झारखंड विधानसभा चुनाव: शुरुआती रुझानों में ‘इंडिया’ गठबंधन को बढ़त

इलेक्शन कमीशन (ईसीआई) द्वारा जारी किए गए आकड़ों के अनुसार शुरुआती रुझानों में 'इंडिया' गठबंधन बहुमत का आंकड़ा पार करते हुए नज़र आ रही है.  झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो ) 30, कांग्रेस 12, राष्ट्रिय जनता दल (आरजेडी) 6 और  सीपीआई (एमएल) (एल) 2 सीटों पर आगे है.  वहीं एनडीए की 27 सीटों पर बढ़त हासिल है .  

(फोटो: द वायर)

नई दिल्लीः दो चरणों में संपन्न हुए झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए मतों की गिनती जारी है. इलेक्शन कमीशन (ईसीआई) द्वारा जारी किए गए आकड़ों के अनुसार शुरूआती रुझानों में ‘इंडिया’ गठबंधन बहुमत का आंकड़ा पार करते हुए नज़र आ रही है.  झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो ) 30, कांग्रेस 12, राष्ट्रिय जनता दल (आरजेडी) 6 और  सीपीआई (एमएल) (एल) 2 सीटों पर आगे है.  वहीं एनडीए की 27 सीटों पर बढ़त हासिल है .  

राज्य की 81 विधानसभा सीटों के लिए दो चरणों में संपन्न हुए मतदान में  67.74 प्रतिशत वोटिंग दर्ज की गई.  43 सीटों के लिए पहले चरण का मतदान 13 नवंबर को संपन्न हुआ था, 66 प्रतिशत की वोटिंग दर्ज की गई थी. दूसरे चरण के लिए मतदान 20 नवंबर को हुए, जहां 12 जिलों की 38 सीटों पर 68.95 प्रतिशत का मतदान रिकॉर्ड किया गया. 

किसके बीच है मुख्य मुकाबला ? 

यहां मुख्य मुक़ाबला भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) के नेतृत्व वाली एनडीए और झामुमो (झारखंड मुक्ति मोर्चा) के नेतृत्व वाली ‘इंडिया’ गठबंधन के बीच है. 

क्या रहे मुख्य मुद्दे

चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा ने सबसे ज्यादा ‘झारखंड की बदलती डेमोग्राफी’ के मुद्दे को उठाया. इसके लिए उन्होंने ‘घुसपैठिए’ (बांग्लादेश और म्यांमार के मुसलमानों) के प्रवेश का जिम्मेदार ठहराया और हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली ‘इंडिया’ गठबंधन की सरकार पर आरोप लगाया कि वह आदिवासियों का हक़ छीन कर ‘घुसपैठिओं’ को दे रही है. 

हेमंत सोरेन की मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तारी और फिर उनकी रिहाई भी इस बार के इलेक्शन के अहम मुद्दे रहे.  झारखंड की सत्ताधीन पार्टी इस गिरफ़्तारी को राजनीतिक लाभ से प्रेरित बताती रही, वहीं भाजपा का कहना था कि झामुमो भ्रष्टाचार में लीन पार्टी है इसलिए उनके ऊपर कार्रवाई की गई. 

आदिवासी वोट पर रही भाजपा की नज़र 

भाजपा नेताओं द्वारा झारखंड में आदिवासी वोट को साधने के लिए ‘भड़काऊ’ बयानबाज़ी की गई.  

झारखंड की कुल 81 सीटों में से 28 सीटें अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित हैं. जबकि कुल 39 सीटें ऐसी हैं जहां पर आदिवासियों की आबादी 25 प्रतिशत से अधिक है. आदिवासियों की आबादी पूरे राज्य की आबादी का 27 प्रतिशत है.  

इन चेहरों पर रहेंगी नज़रें   

राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन साहेबगंज की बरहेट सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. उनका मुकाबला भाजपा के गमलियल हेम्ब्रम से है. वहीं झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी धनवार सीट से मैदान में हैं, उनके मुकाबले झामुमो के निजामुद्दीन अंसारी खड़े हैं.

झामुमो की स्टार प्रचारक और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन गिरिडीह ज़िले की गांडेय विधानसभा सीट से मैदान में हैं. उनका मुकाबला भाजपा की मुनिया देवी से है. 

टाइगर जयराम महतो नाम से मशहूर 30 वर्षीय झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (जेकेएलएम) के मुखिया डुमरी और बेरमो- दो विधानसभा सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं. युवा नेता के तौर पर उभर रहे जयराम महतो पर निगाहें रहेंगी. 

पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन सरायकेला सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, भाजपा के लिए अहम सोरेन की इस सीट पर सबकी नज़रें हैं. 

पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नी और पूर्व लोकसभा सांसद गीता कोड़ा जगनाथपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रही हैं. 

‘इंडिया’ गठबंधन और एनडीए में किसको कितनी सीटें 

इस बार सबसे ज्यादा 42 सीटें झामुमो को मिलीं. कांग्रेस को 30 सीटें तो राजद के हिस्से 6 सीटें आईं. सीपीआई (एमएल) ने 3 सीटों पर चुनाव लड़ा. 

एनडीए में भाजपा ने सर्वाधिक 68 सीटों पर चुनाव लड़ा, ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) के हिस्से 10 सीटें आईं, जेडीयू और लोजपा क्रमशः दो और एक सीटों पर लड़ीं.

क्या कहते हैं एग्जिट पोल के आकड़ें ?

अधिकांश एग्जिट पोल के आंकड़े प्रदेश में मिले जुले परिणाम का संकेत दे रहे हैं.  तीन एग्जिट पोल एनडीए की सरकार बनते दिखा रहे हैं, दो ‘इंडिया’ गठबंधन की और तीन पोलों में कहा जा रहा है कि किसी भी गठबंधन को अपने दम पर बहुमत हासिल नहीं होगी.

अभी किसकी सरकार है ? 

साल 2019 में राज्य में हुए विधानसभा चुनावों में झामुमो के नेतृत्व में झामुमो, कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के गठबंधन को 47 सीटें हासिल हुई थी और हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री बने थे. हालांकि जमीन घोटाला मामले में ईडी द्वारा गिरफ्तारी के बाद 2 फरबरी 2024 को सोरेन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने दुबारा से 4 जुलाई को मुख्यमंत्री के पद की शपथ ली. 

अब यह देखना दिलचस्प होगा की क्या हेमंत सोरेन दुबारा से सरकार बनाने में कामयाब होंगे या फिर 5 सालों के अंतराल के बाद एनडीए की राज्य में वापसी होगी.