गुजरात: पत्रकार महेश लांगा को धोखाधड़ी मामले में अदालत से अग्रिम ज़मानत मिली

अहमदाबाद अपराध शाखा ने लांगा को जीएसटी चोरी करने वाली कंपनियों के गठजोड़ का हिस्सा होने के आरोप में 10 अक्टूबर को गिरफ़्तार किया था. जिसके बाद उन पर कई केस दर्ज हुए. जिस मामले में उन्हें अग्रिम ज़मानत मिली है, वो व्यवसायी द्वारा लगाए गए धोखाधड़ी के आरोप का है.

पत्रकार महेश लांगा. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: गुजरात के अहमदाबाद की एक अदालत ने सोमवार (25 नवंबर) को वरिष्ठ पत्रकार महेश लांगा को एक धोखाधड़ी मामले में अग्रिम जमानत दे दी.

रिपोर्ट के मुताबिक, महेश लांगा पर एक व्यवसायी से 28 लाख रुपये की धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया गया है.

बार और बेंच ने बताया है कि इस मामले में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एचजी पंड्या ने अग्रिम जमानत देते हुए कहा कि लांगा एक स्थानीय निवासी है, जो समाज से जुड़े हैं और इसलिए उनके कहीं भागने की संभावना नहीं है.

अदालत ने आगे कहा, ‘इस तथ्य पर विचार करते हुए कि पहले मुखबिर ने शिकायत दर्ज करने में देरी का कोई कारण नहीं बताया है, मैं वर्तमान अग्रिम जमानत की अनुमति देकर आवेदक के पक्ष में अपने विवेकाधीन शक्ति का प्रयोग करने में इच्छुक हूं.’

जस्टिस पंड्या ने आगे कहा कि यह विवाद दीवानी प्रकृति का प्रतीत होता है, क्योंकि यह पैसे के भुगतान से संबंधित है.

मालूम हो कि द हिंदू के वरिष्ठ सहायक संपादक लांगा वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं और साबरमती सेंट्रल जेल में बंद हैं.

हमदाबाद अपराध शाखा ने उन्हें  वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) चोरी करने वाली कंपनियों के गठजोड़ का हिस्सा होने के आरोप में 10 अक्टूबर को गिरफ्तार किया था. ये एफआईआर जीएसटी खुफिया महानिदेशालय (डीजीजीआई) की शिकायत पर आधारित है.

एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि 200 फर्जी फर्मों का एक नेटवर्क एक ही पैन नंबर का इस्तेमाल करके सरकार को जीएसटी का चूना लगाने का काम कर रहा है. इन 13 कंपनियों में से एक कंपनी कथित तौर पर पत्रकार के भाई लांगा मनोज कुमार रामभाई की है. दिलचस्प बात यह है कि मनोज कुमार रामभाई को गिरफ्तार नहीं किया गया है.

हालांकि, जैसा कि पहले बताया गया है, एफआईआर में उनका नाम नहीं है. लांगा के वकील वेदांत राजगुरु ने यह भी कहा है कि उनके मुवक्किल डीए एंटरप्राइज कंपनी के न तो निदेशक थे और न ही प्रमोटर थे, जिसका नाम मामले की एफआईआर में है.

वर्तमान मामला जिसमें लांगा को जमानत दी गई थी, वह विज्ञापन उद्योग के एक व्यवसायी द्वारा लगाए गए आरोपों से संबंधित है, जिसने लांगा पर 28.68 लाख रुपये की धोखाधड़ी करने और पैसे वापस करने के लिए कहने पर उनका कारोबार बर्बाद करने की धमकी देने का आरोप लगाया था.

गौरतलब है कि वरिष्ठ पत्रकार महेश लांगा के खिलाफ गुजरात मैरीटाइम बोर्ड (जीएमबी) की शिकायत के आधार पर भी एफआईआर दर्ज की गई है, जिसमें उन पर जीएमबी के गोपनीय दस्तावेज रखने के आरोप लगाया गया है. इस संबंध में 22 अक्टूबर को गांधीनगर के सेक्टर-7 पुलिस थाने में दर्ज की गई थी.

द हिंदू में वरिष्ठ सहायक संपादक महेश लांगा पिछले दो दशकों से गुजरात से संबंधित मुद्दों पर रिपोर्टिंग करते रहे हैं. उनकी गिरफ्तारी से मीडिया समुदाय में संदेह उत्पन्न हो गया है, कई पत्रकार उनकी ईमानदारी की वकालत कर रहे हैं. कई लोग हाल में उनके द्वारा हीरा व्यापार के संबंध में की गई रिपोर्ट का जिक्र करते हुए किसी साज़िश का इशारा भी कर रहे हैं.

हालांकि, द हिंदू अखबार का कहना है कि गिरफ्तारी का उनकी रिपोर्ट्स से कोई संबंध नहीं प्रतीत होता.