नई दिल्ली: पिछले करीब डेढ़ साल से जातीय हिंसा से प्रभावित मणिपुर के इंफाल पश्चिम जिले के कुछ हिस्सों में मंगलवार को तनाव व्याप्त हो गया, जब 57 माउंटेन डिवीजन लेइमाखोंग सेना शिविर से मेईतेई समुदाय से संबंधित 56 वर्षीय व्यक्ति लापता हो गए.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इंफाल पश्चिम के लोइतांग खुनौ गांव के निवासी लैशराम कमल बाबू आर्मी कैंप में कॉन्ट्रैक्ट वर्क में शामिल सुपरवाइजर थे. उनके परिवार के अनुसार, सोमवार को दोपहर 2 बजे से कमल का मोबाइल फोन बंद है, जब से वह लेइमाखोंग आर्मी कैंप में काम के लिए निकले थे.
कांगपोकपी जिले के एक पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘पुलिस और केंद्रीय बलों द्वारा क्षेत्र में संयुक्त तलाशी अभियान शुरू किया गया है.’
लेइमाखोंग कुकी-प्रभुत्व वाले कांगपोकपी और मेईतेई-प्रभुत्व वाले इंफाल पश्चिम की सीमा पर स्थित है. लापता होने की घटना से व्यापक स्तर पर गुस्सा भड़क उठा और मंगलवार की सुबह बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी, जिनमें अधिकतर महिलाएं थीं, सड़कों पर उतर आए, सड़कें जाम कर दीं.
कांटो सबल में एक महिला प्रदर्शनकारी ने कहा, ‘हमेशा की तरह कमल गेट नंबर 1 से लेइमाखोंग आर्मी कैंप में दाखिल हुआ. पूछताछ करने पर हमें पता चला कि उसने सोमवार को सुबह करीब 9.30 बजे 57 माउंटेन डिवीजन कैंपस के मुख्य द्वार पर पंजीकरण कराया था. हालांकि, दोपहर 2 बजे तक उसका फोन बंद हो गया था. हम लेइमाखोंग में सेना से अपील करते हैं कि कमल को ढूंढ़ा जाए.’
कमल के अधीन काम करने वाले एक मज़दूर ने पत्रकारों को बताया कि वह लापता सुपरवाइज़र से दोपहर 1.30 बजे काम की जगह पर मिला था. उन्होंने आगे कहा, ‘लेकिन उसके बाद से मैंने उन्हें नहीं देखा.’
कमल के एक परिवार के सदस्य ने 57 माउंटेन डिवीजन के जनरल ऑफिसर कमांडिंग (जीओसी) मेजर जनरल एसएस कार्तिकेय से मुलाकात की और वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से बताया कि लापता व्यक्ति का पता लगाने के लिए लगभग 2,000 सैन्य कर्मियों को तैनात किया गया है.
नाम न छापने की शर्त पर एक सैन्य अधिकारी ने बताया, ‘सेना ने लापता सुपरवाइजर का पता लगाने या उसके स्कूटर को खोजने के लिए तलाशी अभियान में हेलिकॉप्टरों को तैनात किया, लेकिन अभी तक उसे या उसके स्कूटर को नहीं ढूंढा जा सका है. कैंप के पास की पहाड़ियों और जंगल में लापता व्यक्ति और उसके स्कूटर का पता लगाने के लिए क्वाडकॉप्टर का भी इस्तेमाल किया गया. दो अलग-अलग बैठकें भी हुईं, एक लेइमाखोंग गांव रक्षा समिति के सदस्यों (कुकी), स्थानीय निवासियों (कुकी) और दूसरी स्थानीय मेईतेई लोगों के साथ. आदिवासी लोगों और नेताओं से कहा गया कि अगर उनके पास कोई जानकारी है तो वे आगे आएं.’
उन्होंने कहा, ‘यह घटना कानून और स्थिति को फिर से खराब कर सकती है. मेईतेई लोगों से कहा गया है कि वे कोई भी सड़क ब्लॉक न करें क्योंकि इससे तलाशी अभियान में बाधा आ रही है. सीसीटीवी कैमरों में कहीं भी लापता व्यक्ति के बाहर निकलने की कोई तस्वीर कैद नहीं हुई है, इसलिए पुलिस और सेना के अधिकारी परिसर की जांच कर रहे हैं. दोनों बल पूरे परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरों की फीड की फिर से जांच कर रहे हैं.’
मालूम हो कि पिछले साल 3 मई से मणिपुर में मेईतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय संघर्ष चल रहा है, जिसमें अब तक कम से कम 250 लोगों की जान जा चुकी है और हजारों लोग बेघर हो गए हैं.
मेईतेई संगठन ने आफस्पा हटाने की मांग को लेकर बंद की घोषणा की
इस बीच, मंगलवार को मेईतेई समुदाय के प्रभावशाली नागरिक समाज संगठन ने सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम (आफस्पा) को हटाने और संदिग्ध कुकी उग्रवादियों के खिलाफ अभियान चलाने की मांग करते हुए 27 नवंबर से दो दिनों के लिए केंद्र और राज्य सरकार के कार्यालयों को ‘बंद’ करने की घोषणा की.
एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑन मणिपुर इंटीग्रिटी (सीओसीओएमआई) के समन्वयक थोकचोम सोमोरेंड्रो ने दावा किया कि राज्य सरकार संदिग्ध कुकी उग्रवादियों के खिलाफ अभियान शुरू करने के लिए 18 नवंबर को विधायकों की बैठक के दौरान लिए गए प्रस्ताव पर कार्रवाई करने में विफल रही है.
उन्होंने आरोप लगाया, ‘राज्य सरकार ने 18 नवंबर को एनडीए विधायकों की बैठक में आफस्पा हटाने और कुकी उग्रवादियों के खिलाफ सात दिनों के भीतर ‘बड़े पैमाने पर अभियान’ चलाने का प्रस्ताव पारित किया था. हालांकि, सरकार निर्धारित समय सीमा के भीतर अपने प्रस्ताव पर कार्रवाई करने में विफल रही है.
मालूम हो कि मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह की अध्यक्षता में 18 नवंबर को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में विधायकों ने 11 नवंबर की हिंसा के दौरान जिरीबाम में महिलाओं और बच्चों के अपहरण और हत्या के लिए जिम्मेदार कुकी उग्रवादियों को सात दिनों के भीतर गैरकानूनी संगठन घोषित करने और केंद्र से ‘आफस्पा लगाने की समीक्षा’ करने का आग्रह किया गया था. साथ ही कुकी उग्रवादियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर अभियान चलाने की मांग की थी.