मध्य प्रदेश: डीआइजी ने स्कूली छात्राओं को दी ‘ओजस्वी’ बच्चे पैदा करने की सलाह

सोशल मीडिया पर सामने आए एक वीडियो में शहडोल की डीआईजी सविता सोहाने युवा स्कूली छात्राओं को यह बताती दिख रही हैं कि 'ओजस्वी' बच्चे पैदा करने के लिए वे क्या करें और क्या न करें. डीआईजी ने छात्राओं को यह भी सलाह दी कि पूर्णिमा की रात को गर्भधारण न किया जाए.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: Unicef India)

नई दिल्ली: मध्य प्रदेश की एक पुलिस उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) का वीडियो इस समय इंटरनेट पर वायरल है, जिसमें वे छात्राओं को ‘ओजस्वी’ बच्चे पैदा करने के टिप्स दे रही हैं. वीडियो में वे छात्राओं को यह बताती हैं कि ओजस्वी बच्चे पैदा करने के लिए क्या करें और क्या न करें? उन्होंने यह भी सलाह दी कि पूर्णिमा की रात को गर्भधारण न किया जाए.

हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक, वायरल फुटेज में शहडोल की डीआईजी सविता सोहाने को युवा स्कूली छात्रों के साथ एक कार्यक्रम के दौरान नई पीढ़ी को जन्म देने के बारे में अपने सुझाव साझा करते हुए देखा जा सकता है.

मालूम हो कि सोहाने, जो खुद अविवाहित हैं, ने कक्षा 10 से 12 तक के छात्रों को संबोधित किया और उनकी संतानों के लिए उज्ज्वल भविष्य की योजना बनाने पर अपने विचार साझा किए.

यह वीडियो कथित तौर पर मध्य प्रदेश के शहडोल के एक निजी स्कूल में 4 अक्टूबर को दिए गए एक व्याख्यान का बताया जा रहा है. यह कार्यक्रम बालिकाओं की सुरक्षा के लिए राज्य जागरूकता कार्यक्रम के हिस्से के रूप में आयोजित किया गया था.

यह वीडियो हाल ही में वायरल हुआ, जिसके बाद काफी आक्रोश फैल गया और विवाद ने तूल पकड़ लिया.

वीडियो में डीआईजी सविता सोहाने यह कहती हैं, ‘आप पृथ्वी पर नया बचपन लाएंगे. आप यह कैसे करेंगे? इसके लिए आपको एक योजना बनाने की जरूरत है. पहली बात यह ध्यान रखें कि पूर्णिमा के दिन गर्भधारण न करें.’

उन्होंने आगे कहा कि सूर्य के सामने झुकने और जल चढ़ाकर नमस्कार करने से ओजस्वी संतान पैदा होगी.

डीआइजी ने अपना पक्ष रखा

वीडियो वायरल होने के बाद डीआईजी ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए बताया कि उनकी सलाह आध्यात्मिक ग्रंथों में उनकी रुचि, हिंदू आध्यात्मिक नेताओं के उपदेशों और आध्यात्मिक ज्ञान की खोज से प्रेरित है.

अधिकारी ने आगे कहा कि वह ‘मैं हूं अभिमन्यु’ कार्यक्रम में बोल रही थीं, जिसका उद्देश्य सुरक्षित वातावरण बनाना और बालिकाओं के लिए सम्मान को बढ़ावा देना है.

सोहाने 31 साल पहले पुलिस बल में शामिल हुईं थीं. इससे पहले वे सागर जिले के एक सरकारी स्कूल में पढ़ाती थीं.

उन्होंने कहा, ‘मैं हर महीने स्कूलों में व्याख्यान देती हूं और यह एक ऐसा सत्र था जिसका उद्देश्य बच्चियों के लिए सुरक्षित वातावरण बनाना और उनके सम्मान को बढ़ावा देना था .’

उन्होंने स्पष्ट किया कि पूर्णिमा की रात गर्भधारण से बचने के बारे में उनकी टिप्पणियां हिंदू परंपराओं की उनकी समझ पर आधारित थीं, जो इस अवधि को विशेष रूप से पवित्र मानती हैं.

सोहाने ने आगे कहा कि उनका व्याख्यान एक घंटे से अधिक समय तक चला था और इसका उद्देश्य लड़कियों के प्रति सम्मान को बढ़ावा देना और महिलाओं के खिलाफ अपराधों का मुकाबला करना था, लेकिन व्याख्यान का केवल एक हिस्सा साझा किया गया, जिससे उनकी सलाह की गलत व्याख्या हुई.