सिविल अदालत के फैसले से इस बात की पुष्टि हो गई कि द वायर द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट जनहित में की गई अभिव्यक्ति की आज़ादी के तहत न्यायसंगत है.
प्रेस विज्ञप्ति
23 दिसंबर, 2017
अहमदाबाद के मिर्ज़ापुर सिविल कोर्ट ने 23 दिसंबर 2017 को, द वायर द्वारा भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के बेटे जय शाह के कारोबार में 2014 में भाजपा सरकार आने के बाद हुई ज़बरदस्त वृद्धि पर की गयी रिपोर्ट पर लगाई गई आंशिक अंतरिम रोक (ex parte interim injunction) हटा दी है.
12 अक्टूबर को कोर्ट द्वारा दिए गये एक निर्देश के अनुसार द वायर, इसके संपादकों और इस रिपोर्ट की लेखक को इस रिपोर्ट पर किसी भी तरह के मीडिया माध्यम में प्रकाशित/पुनः प्रकाशित, चर्चा, साक्षात्कार आदि न करने का आदेश दिया गया था.
“using and publishing or printing in any electronic, print, digital or any other media, or broadcast, telecast, print and publish in any manner including by way of interview, holding Tv talks, debate and debates, news items, programs in any language on the basis of the article published in ‘THE WIRE ‘ (dated 8/10/2010) (sic) either directly or indirectly on the subject matter with respect to the plaintiff in any manner whatsoever.”
द वायर द्वारा इस आदेश को प्रेस की आज़ादी पर लगाया गया असंवैधानिक प्रतिबंध बताते हुए चुनौती दी गयी थी. द वायर ने यह भी स्पष्ट किया था कि इस रिपोर्ट में मानहानि जैसा कुछ नहीं है क्योंकि यह पूरी तरह से जय शाह द्वारा दिए गये पब्लिक रिकॉर्ड्स और जानकारी पर आधारित है.
अपने आदेश में जज ने कहा:
‘वादी द्वारा दायर मुक़दमे में इस रिपोर्ट में शामिल रजिस्ट्रार ऑफ कम्पनीज़ से लिए गये किसी भी तथ्य को न नकारा गया है न ही उस पर कोई सवाल किया गया है, न ही इस रिपोर्ट में बताये गये किसी डाटा पर कोई आपत्ति की गयी है. वादी ने ऐसा भी नहीं कहा है कि लिए गये इस डाटा को भ्रामक तरह से दिखाया गया है या प्रतिवादी द्वारा इसको गलत तरह से रखा गया है, जिससे वादी की कंपनी की कोई गलत छवि बने.’
23 दिसंबर को अपने पूर्ववर्ती आदेशों को करीब-करीब दरकिनार करते हुए कोर्ट ने आदेश दिया है कि कोर्ट द्वारा लगाई गयी यह रोक केवल एक लाइन ‘नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने/प्रधानमंत्री चुने गये’ तक ही सीमित रहेगी.
सरल अर्थों में कहें तो द वायर की इस रिपोर्ट के संबंध में इन शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. इसके अलावा द वायर इस मूल रिपोर्ट के साथ-साथ जय शाह के कारोबार, सार्वजनिक गतिविधियों आदि के बारे में लिखने/रिपोर्ट करने के लिए स्वतंत्र है.
इससे पहले जय शाह के वकीलों ने अदालत को बताया कि वे मूल रिपोर्ट को वेबसाइट से हटवाना नहीं चाहते बल्कि उनका उद्देश्य इस विषय पर आगे किसी भी चर्चा पर रोक था. हालांकि अदालत द्वारा इस विषय पर भविष्य में किसी तरह की रोक का कोई आदेश नहीं दिया गया.
जय शाह के वकीलों ने हाईकोर्ट में अपील करने के लिए मूल रिपोर्ट पर लगाये गये प्रतिबंध को एक महीने तक बढ़ाने की मांग की. इस पर अदालत ने उन्हें 15 दिन का समय दिया. द वायर ने इस रोक को एक दिन भी बढ़ाने का विरोध किया.
सिविल अदालत के इस फैसले से इस बात की पुष्टि हो गयी कि द वायर द्वारा इस रिपोर्ट ‘मोदी सरकार आने के बाद 16000 गुना बढ़ा अमित शाह के बेटे की कंपनी का टर्नओवर’ (The Golden Touch of Jay Amit Shah) का प्रकाशन जनहित में की गयी अभिव्यक्ति की आज़ादी के तहत न्यायसंगत है.
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