नई दिल्ली: आयकर (आईटी) विभाग ने अपनी जांच के लिए मशहूर डिजिटल मीडिया आउटलेट द रिपोर्टर्स कलेक्टिव (टीआरसी) का गैर-लाभकारी (Non-Profit) दर्जा रद्द कर दिया है.
रिपोर्ट के अनुसार, विभाग का दावा है कि टीआरसी की पत्रकारिता सार्वजनिक उद्देश्य की पूर्ति नहीं करती है, बावजूद इसके कि संगठन के काम से महत्वपूर्ण खबरें सामने आती रही हैं, जैसे कि सैनिक स्कूलों को लेकर केंद्र सरकार का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसके सहयोगी दलों के साथ व्यवहार और कैसे भाजपा को चुनावी बॉन्ड योजना से फायदा हुआ.
टीआरसी ने मंगलवार (28 जनवरी) जारी एक बयान में कहा, ‘हमने अपने सीमित संसाधनों से एक अनौपचारिक समूह के रूप में शुरुआत की थी. जुलाई 2021 से हम नागरिकों द्वारा वित्तपोषित एक औपचारिक पंजीकृत गैर-लाभकारी ट्रस्ट के रूप में अस्तित्व में हैं. लेकिन अब आयकर अधिकारियों ने हमारा गैर-लाभकारी दर्जा रद्द कर दिया है, उनका दावा है कि पत्रकारिता किसी सार्वजनिक उद्देश्य की पूर्ति नहीं करती है और इसलिए इसे भारत में गैर-लाभकारी गतिविधि के रूप में नहीं चलाया जा सकता है.’
टीआरसी ने खोजी पत्रकारिता करने के अपने अधिकार की रक्षा के लिए कानूनी उपाय तलाशने की योजना की बात कही है.
टीआरसी ने कहा, ‘रिपोर्टर्स कलेक्टिव में हम मानते हैं कि पत्रकारिता, जब सही तरीके से की जाती है, तो हमारे लोकतंत्र के लिए एक आवश्यक जनसेवा है. सही तरीके से की गई पत्रकारिता एक सार्वजनिक भलाई है. खोजी पत्रकारिता, जो ताकतवर पदों पर बैठे लोगों को जवाबदेह बनाती है, अनिवार्य रूप से नागरिकों, विशेष रूप से गरीबों और हाशिए पर पड़े लोगों की सेवा करती है.’
कलेक्टिव ने आगे कहा, ‘हमारे गैर-लाभकारी दर्जे को रद्द करने वाले आदेश से हमारे काम करने की क्षमता पर ख़राब असर पड़ता है और देश में स्वतंत्र सार्वजनिक-उद्देश्य वाली पत्रकारिता के लिए स्थितियां और खराब होती हैं. हम पत्रकारिता के विचार को जनहित के रूप में सुरक्षित रखने के लिए कानूनी उपायों की मांग कर रहे हैं और खोजी पत्रकारिता, शोध और प्रशिक्षण को बाधाओं, भय या धमकियों से मुक्त करने के हमारे अधिकार की रक्षा कर रहे हैं. हम अपने सभी सहयोगियों के साथ खड़े हैं जिन्होंने पत्रकारिता करने के लिए असाधारण साहस, कौशल और दृढ़ता दिखाई है जिस पर हम सभी को गर्व है.’
द न्यूज मिनट के अनुसार, इसी तरह के नोटिस कम से कम दो अन्य मीडिया आउटलेट्स को दिए गए हैं जो एक चैरिटेबल ट्रस्ट के तहत काम करते हैं और कर छूट प्राप्त करते हैं, जिसमें बेंगलुरु स्थित कन्नड़ वेबसाइट ‘द फाइल’ भी शामिल है, जिसे दिसंबर 2024 में नोटिस मिला था. द फाइल के संस्थापक और संपादक जी. महंतेश ने विभाग के इस दावे पर विरोध किया कि उनकी वेबसाइट एक वाणिज्यिक उद्यम है, उन्होंने कहा कि वे एक विज्ञापन-मुक्त स्थान हैं.
2022 में आयकर विभाग ने द इंडिपेंडेंट और पब्लिक-स्पिरिटेड मीडिया फाउंडेशन की बैलेंस शीट का सर्वेक्षण किया, जिससे मीडिया में सरकारी हस्तक्षेप को लेकर चिंताएं पैदा हुईं.
रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (आरएसएफ) द्वारा जारी 2024 विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत को 159वां स्थान दिया गया है.