एलजीबीटीक्यूआई+ पर आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर एनबीडीएसए ने सुधीर चौधरी, चैनल को फटकारा

एनबीडीएसए ने आज तक चैनल के एंकर सुधीर चौधरी को अपने कार्यक्रमों में एलजीबीटीक्यू+ समुदाय के प्रति संवेदनशीलता, सम्मान बरतने का आदेश देते हुए पिछले कार्यक्रमों के आपत्तिजनक हिस्सों को सात दिनों के भीतर चैनल से हटाने को कहा है.

सुधीर चौधरी. (फोटो साभार: आजतक)

नई दिल्ली: न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी (एनबीडीएसए) ने न्यूज़ चैनल आजतक, इंडिया टुडे और एंकर सुधीर चौधरी को अपने कार्यक्रमों में एलजीबीटीक्यू+ समुदाय के प्रति संवेदनशीलता और सम्मान के साथ व्यवहार करने को कहा है.

रिपोर्ट के मुताबिक, अथॉरिटी ने चैनल के कुछ कार्यक्रमों के दौरान एंकर द्वारा की गई टिप्पणियों को गंभीरता से लेते हुए न्यूज़ चैनल को अपने कार्यक्रमों से उन आपत्तिजनक अंश को हटाने के लिए कहा, जो इस समुदाय के सम्मान को आहत करने वाला है और जिससे समाज में भी एक गलत संदेश जाता है.

लाइव लॉ के अनुसार, एनबीडीएसए ने आज तक और इंडिया टुडे द्वारा प्रसारित तीन कार्यक्रमों के संबंध में इंद्रजीत घोरपड़े और उत्कर्ष मिश्रा द्वारा की गई शिकायतों पर सुनवाई करते हुए ये आदेश पारित किया. इसमें पहला कार्यक्रम ‘ब्लैक एंड ह्वाइट’ समलैंगिक विवाह पर आधारित है, जो 19 अप्रैल, 2023 को आजतक पर प्रसारित हुआ था.

दूसरा कार्यक्रम ‘सीधी बात’ जो 22 अप्रैल, 2023 को आजतक पर ही प्रसारित हुआ और तीसरा कार्यक्रम ‘इंडिया टुडे राउंडटेबल कर्नाटक’, जो 22 अप्रैल, 2023 को इंडिया टुडे पर प्रसारित हुआ था.

इस संबंध में 27 जनवरी, 2025 को अपने एक आदेश में एनबीडीएसए ने कहा कि कार्यक्रम के दौरान एंकर सुधीर चौधरी ने सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक विवाह पर चल रही कार्यवाही के बारे में बात करते हुए उस समुदाय की गरिमा को ठेस पहुंचाई और अपमानजनक टिप्पणियां की. इसमें आगे ये भी कहा गया कि सुधीर चौधरी अदालती कार्यवाही की रिपोर्टिंग से संबंधित एनबीडीएसए के दिशानिर्देशों का उल्लंघन कर रहे थे.

एनबीडीएसए ने चौधरी को अधिक परिपक्वता से काम करने का आदेश दिया और इन कार्यक्रमों के आपत्तिजनक हिस्सों को सात दिनों के भीतर चैनल से हटाने को कहा है. इसके अलावा, एंकर को भविष्य में अधिक जिम्मेदारी के साथ इस तरह के विषयों पर चर्चा करने की सलाह दी गई है.

एनबीडीएसए ने यह भी कहा कि एक अनुभवी एंकर को कानून द्वारा स्वीकृत अधिकारों का सम्मान करना चाहिए और किसी भी समुदाय के प्रति अनादर या भेदभाव नहीं दिखाना चाहिए.

एनबीडीएसए ने कार्यक्रम के फुटेज के संबंध में कहा कि ये बातें किसी राह चलते आम आदमी द्वारा नहीं बल्कि ‘राष्ट्रीय चैनल पर कार्यक्रम में अनुभवी और जानकार एंकर’ द्वारा कही गईं, जो अच्छी भावना के अनुरूप नहीं थीं. न्यायालय की कार्यवाही की रिपोर्टिंग के लिए विशिष्ट दिशानिर्देशों, विशेष रूप से दिशानिर्देश 4(i) और (ii), 5 और 7 तथा संभावित रूप से अपमानजनक सामग्री के प्रसारण पर दिशानिर्देशों के दिशानिर्देश 5 को ध्यान में नहीं रखा गया.

एनबीडीएसए ने आगे कहा, ‘एंकर जैसा जानकार व्यक्ति, वह भी एक राष्ट्रीय चैनल का, एलजीबीटीक्यूआई+ समुदाय का सम्मान करने वाला होना चाहिए, जिन्हें कानून ने भी रेखांकित किया है. इस संदर्भ में इस बात पर जोर दिया जाना चाहिए कि इस समुदाय से संबंधित व्यक्तियों के साथ भी सामान्य इंसानों की तरह व्यवहार किया जाना चाहिए और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि उन्हें उचित सम्मान से देखा जाना चाहिए.

आजतक के कार्यक्रम में चौधरी ने कहा था कि एलजीबीटीक्यूृ+ विवाह पश्चिमी दुनिया का मुद्दा है. इसी कार्यक्रम में एक ऐसे व्यक्ति की एआई-जनित छवि दिखाई गई थी, जो आधा दूल्हा और आधा दुल्हन है. तब चौधरी ने दर्शकों से कहा था कि वे कल्पना करें कि उनका बच्चा इस तरह के व्यक्ति को घर ला रहा है.

उन्होंने यह भी कहा कि विवाह के अधिकार की मांग समाज के ‘विशिष्ट वर्गों’ द्वारा ही की जाती है.

एनबीडीएसए ने आजतक को नफरत फैलाने वाले भाषण, तटस्थता और निष्पक्षता सिद्धांतों और दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हुए भी पाया.

दो अन्य कार्यक्रमों में चौधरी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और पूर्व कानून मंत्री किरण रिजिजू का साक्षात्कार किया था और उनसे समान विवाह अधिकारों के बारे में सवाल पूछे थे. इस संबंध में एनबीडीएसए ने कहा कि यह भी वांछनीय है कि बहस/इंटरव्यू वस्तुनिष्ठ, संतुलित और सौहार्दपूर्ण वातावरण में हों.

एनबीडीएसए ने पाया कि इंटरव्यू की प्रक्रिया में मौखिक सुनवाई के दौरान भारत के माननीय चीफ जस्टिस के कुछ कथनों को उद्धृत करना, जैसे कि, ‘यहां वही होगा जो मैं चाहूंगा’ न केवल सही प्रतीत होता है, बल्कि संदिग्ध भी है… सबसे बढ़कर, इस संदर्भ में एंकर का सबसे आपत्तिजनक कथन यह कहना है कि ‘यह देश किसी के बाप का नहीं है और कुछ लोग इसे चलाने की कोशिश कर रहे हैं’ गलत था.

संस्था ने कहा कि यह स्पष्ट रूप से अपमानजनक टिप्पणी है. …अदालतें सुनवाई के समय कुछ टिप्पणियां करती हैं, जो उनका अंतिम निर्णय नहीं हो सकता है. अगर यह अंतिम राय है तो भी न्यायालय के निर्णय/दृष्टिकोण का सम्मान किया जाना चाहिए और अगर एंकर को यह स्वीकार्य नहीं है, तो उसे उपरोक्त उद्धृत ‘अभद्र’ भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहिए था.

एनबीडीएसए के अनुसार, एंकर ने गृह मंत्री के साथ इंटरव्यू करते समय एंकर ने समलैंगिक विवाह का मुद्दा उठाया और कार्यक्रम के दौरान कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट की जो बेंच है, वो काफी नए-नए तर्क लेकर आ रहा है कि ये हमारे देश में क्यों होना चाहिए?’

इस संबंध में संस्था ने कहा कि एंकर को भविष्य में ऐसे कार्यक्रम आयोजित करते समय अधिक परिपक्वता दिखाने की सलाह दी जाती है.