यूजीसी-नेट पेपर लीक: सीबीआई ने जांच बंद की, कहा- साज़िश का कोई सबूत नहीं मिला

यूजीसी-नेट 18 जून, 2024 की परीक्षा रद्द कर दी गई थी, क्योंकि ऐसी सूचना मिली थी कि इसका प्रश्नपत्र डार्कनेट पर लीक हो गया था. अब सीबीआई ने मामले की जांच बंद करते हुए कहा कि इसमें कोई साजिश या संगठित रैकेट को कोई सबूत नहीं मिला.

(प्रतीकात्मक तस्वीर साभार: फ्लिकर/Alberto G./CC BY 2.0)

नई दिल्ली: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने पिछले वर्ष संदिग्ध यूजीसी-नेट पेपर लीक मामले की जांच बंद कर दी है. एजेंसी का कहना है कि उन्हें इसमें कोई साजिश या संगठित रैकेट नहीं मिला है. एजेंसी के अधिकारियों ने गुरुवार को बताया कि इस संबंध में कोई सबूत नहीं मिलने के बाद उन्होंने जांच बंद कर दी है.

द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने बताया कि एक छात्र ने पैसा कमाने के लिए प्रश्नपत्र में छेड़छाड़ की थी.

यूजीसी-नेट 18 जून, 2024 की परीक्षा अगले दिन रद्द कर दी गई थी, क्योंकि ऐसी सूचना मिली थी कि यह डार्कनेट पर लीक हो गई है. डार्क नेट का मतलब ऐसे नेटवर्क से है, जिन तक केवल विशेष सॉफ्टवेयर के माध्यम से ही पहुंचा जा सकता है.

इस परीक्षा के लिए 11 लाख से अधिक अभ्यर्थियों ने पंजीकरण कराया था.

दिल्ली की विशेष अदालत में दाखिल अपनी क्लोजर रिपोर्ट में सीबीआई ने कहा कि मामले में पेपर लीक होने का कोई सबूत नहीं है. एजेंसी ने केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को भी रिपोर्ट भेजी है. अब अदालत तय करेगी कि रिपोर्ट स्वीकार करके केस बंद किया जाए या एजेंसी को आगे की जांच करने का निर्देश दिया जाए.

सीबीआई के एक अधिकारी ने कहा, ‘हमारी जांच से पता चला है कि लीक हुए प्रश्नपत्र का स्क्रीनशॉट एक छात्र द्वारा पैसे कमाने के लिए प्रसारित किया गया और एक छेड़छाड़ किया गया दस्तावेज था.’

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, एजेंसी के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, ‘हमारी जांच से पता चला है कि 18 जून की परीक्षा के लिए लीक हुए प्रश्नपत्र का स्क्रीनशॉट एक छात्र द्वारा पैसे कमाने के लिए प्रसारित किया गया एक नकली दस्तावेज था. इसे परीक्षा के दिन दोपहर में दूसरी शिफ्ट से पहले टेलीग्राम चैनलों पर प्रसारित किया गया था, जिससे यह आभास होता है कि यह लीक हो गया है और प्रसारित करने वाले व्यक्ति के पास पेपर तक पहुंच हो सकती है.’

उन्होंने बताया कि जांच में पता चला कि एक छात्र ने एक ऐप का उपयोग करके तस्वीर, दिनांक और समय की मुहर के साथ छेड़छाड़ की.

नाम न छापने की शर्त पर एक दूसरे सीबीआई अधिकारी ने कहा, ‘चूंकि हमें लीक या किसी साजिश का कोई सबूत नहीं मिला, जिससे परीक्षा के दौरान किसी उम्मीदवार को फायदा हुआ हो, इसलिए हमने मामला बंद कर दिया है.’

पिछले साल 18 जून को होने वाली परीक्षा आखिरकार 26 अगस्त से 5 सितंबर के बीच आयोजित की गई.

सीबीआई ने 19 जून को इस मामले में एफआईआर दर्ज की थी. धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश से संबंधित आईपीसी की धाराएं – 420 और 120बी लगाते हुए अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था.

एजेंसी ने इससे पहले केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को अपने निष्कर्षों से अवगत कराते हुए एक विस्तृत रिपोर्ट भेजी थी.

ज्ञात हो कि यूजीसी-नेट परीक्षा हर साल जून और दिसंबर में आयोजित की जाती है, जिसका उद्देश्य जूनियर रिसर्च फेलोशिप, सहायक प्रोफेसर के रूप में नियुक्ति और भारतीय विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में डॉक्टरेट कार्यक्रमों में प्रवेश के लिए भारतीय नागरिकों की पात्रता निर्धारित करना है.

इसका आयोजन नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) द्वारा किया जाता है, जो मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा, नीट सहित कई अन्य परीक्षाएं भी आयोजित करती है. मई में नीट के संचालन में गंभीर विसंगतियों की रिपोर्ट आने के तुरंत बाद यह आशंका जताई जाने लगी थी कि नेट की शुचिता से समझौता किया गया है.