नैक घूसखोरी केस: जेएनयू ने सीबीआई द्वारा गिरफ़्तार आरोपी प्रोफेसर को निलंबित किया

अकादमिक संस्थानों का मूल्यांकन करने वाले परिषद- नैक के निरीक्षण दल के सदस्य और जेएनयू ने प्रोफेसर राजीव सिजारिया को सीबीआई ने घूसखोरी के केस में गिरफ़्तार किया है. आरोप है कि नैक निरीक्षण दल ने 'ए++' रेटिंग देने के एवज में आंध्र प्रदेश के एक संस्थान से 1.8 करोड़ रुपये की मांग की थी.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: ambuj/Flickr, CC BY 2.0)

नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) ने प्रोफेसर राजीव सिजारिया को निलंबित कर दिया है, जिन्हें राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (NAAC- नैक) से जुड़े रिश्वतखोरी मामले में सीबीआई ने गिरफ्तार किया था.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, मामले में दर्ज एफआईआर में उल्लेख किया गया है कि सीबीआई द्वारा गिरफ्तार सिजारिया, नैक रिश्वत मामले में हिरासत में लिए गए 10 लोगों में शामिल हैं. इसमें आरोप लगाया गया है कि नैक निरीक्षण दल ने आंध्र प्रदेश के कोनेरू लक्ष्मैया एजुकेशन फाउंडेशन (केएलईएफ) से उनके लिए अनुकूल रिपोर्ट देने के एवज में 1.8 करोड़ रुपये की मांग की थी.

इसमें कहा गया है कि, बातचीत के बाद केएलईएफ के शीर्ष अधिकारियों ने कथित तौर पर टीम के अध्यक्ष के लिए 10 लाख रुपये, प्रत्येक सदस्य के लिए 3 लाख रुपये और एक सदस्य की पत्नी के लिए लैपटॉप और यात्रा व्यय जैसे अतिरिक्त भत्ते स्वीकार करने पर सहमत हो गए.

एफआईआर में दावा किया गया है कि सिजारिया ने सौदे में मदद की और शुरू में अपने लिए 1.3 करोड़ रुपये की मांग की, अंततः 28 लाख रुपये पर समझौता हुआ.

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के अटल बिहारी वाजपेयी स्कूल ऑफ मैनेजमेंट एंड एंटरप्रेन्योरशिप (एबीवीएसएमई) के प्रोफेसर राजीव सिजारिया को पहले भी विवादों का सामना करना पड़ा है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2023 में एबीवीएसएमई के ​​डीन के रूप में उनके दो साल के कार्यकाल को छोटा कर दिया गया था, क्योंकि कई फैकल्टी सदस्यों ने उन पर ‘अलोकतांत्रिक निर्णय लेने’ और ‘छात्रों को फैकल्टी सदस्यों के खिलाफ भड़काने’ का आरोप लगाया था.

सूत्रों के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि तीन सदस्यीय समिति द्वारा कुलपति को अपना सुझाव दिए जाने के बाद सिजारिया को निलंबित कर दिया गया.

जेएनयू की कुलपति शांतिश्री पंडित द्वारा जारी निलंबन आदेश में कहा गया है, ‘राजीव सिजारिया… को केएलईएफ को अनुकूल ए++ नैक मान्यता रेटिंग दिलाने के लिए रिश्वतखोरी के आरोपों से संबंधित भ्रष्टाचार के मामले में प्रथमदृष्टया संलिप्त पाया गया है… अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए… सिजारिया को सीबीआई जांच/निष्कर्षों और विभागीय जांच के नतीजे आने तक विश्वविद्यालय की सेवाओं से तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है.’

सिजारिया 2020 में पूर्व कुलपति एम. जगदीश कुमार के कार्यकाल में जेएनयू में शामिल हुए थे. उनकी शैक्षणिक योग्यताओं में प्रबंधन में पीएचडी, उपभोक्ता व्यवहार में विशेषज्ञता, मार्केटिंग और मानव संसाधन प्रबंधन में एमबीए और भौतिकी (इलेक्ट्रॉनिक्स) में एमएससी शामिल हैं.

25 वर्षों से अधिक के व्यावसायिक अनुभव के साथ उन्होंने 21 वर्ष शैक्षणिक और प्रशासनिक नेतृत्व में बिताए हैं.

इस बीच, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष एम. जगदीश कुमार, जो नैक गवर्निंग काउंसिल के भी प्रमुख हैं, ने कहा, ‘नैक मान्यता प्रक्रिया में ईमानदारी और पारदर्शिता के उच्चतम मानकों को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है. किसी भी तरह की गड़बड़ी के आरोपों को बहुत गंभीरता से लिया जाता है और निर्धारित प्रोटोकॉल और कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करते हुए उचित कार्रवाई की जाएगी. नैक ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए प्रक्रियाओं को मजबूत करने के लिए लगातार काम कर रहा है.’