डिजीपब ने सरकार के ‘पत्रकारिता सार्वजनिक उद्देश्य की पूर्ति नहीं करती’ बयान की आलोचना की 

आयकर विभाग ने खोजी पत्रकारिता आउटलेट 'द रिपोर्टर्स कलेक्टिव' और कन्नड़ समाचार वेबसाइट 'द फाइल' के गैर-लाभकारी स्टेट्स को रद्द करते हुए आरोप लगाया है कि ये संस्थान यह बताने में विफल रहे हैं कि उनकी गतिविधियों से जनता को क्या लाभ होता है. डिजीपब ने इसका विरोध किया है.

(फोटो साभार: Flickr/CC BY 2.0)

नई दिल्ली: डिजीटल मीडिया पोर्टल्स के संगठन डिजीपब ने सोमवार (3 मार्च) को सरकार के इस दावे की निंदा की है कि पत्रकारिता सार्वजनिक उद्देश्य की पूर्ति नहीं करती है. संगठन ने सरकार के इस रुख पर चिंता व्यक्त करते हुए इसे परेशान करने वाला और लोकतंत्रिक मूल्यों के उलट बताया है.

रिपोर्ट के मुताबिक, डिजीपब ने सरकार से पत्रकारिता के खिलाफ इस रुख को बदलने और स्वतंत्र मीडिया आउटलेट्स को परेशान न करने का आग्रह किया है.

मालूम हो कि ये विवाद तब शुरू हुआ, जब आयकर विभाग ने दिल्ली स्थित खोजी पत्रकारिता आउटलेट द रिपोर्टर्स कलेक्टिव और कन्नड़ समाचार वेबसाइट ‘द फाइल’ की गैर-लाभकारी (non-profit) स्टेटस रद्द कर दिया था. विभाग ने आरोप लगाया कि ये संगठन यह बताने में विफल रहे कि उनकी गतिविधियों से जनता को क्या लाभ होता है.

ज्ञात हो कि आयकर विभाग के इस कदम से द रिपोर्टर्स कलेक्टिव, जो एक सार्वजनिक रूप से वित्त पोषित गैर-लाभकारी ट्रस्ट है, को कर से मिली छूट नहीं मिलेगी. इसके अलावा संस्थान पर उस पत्रकारिता के लिए संभावित रूप से कर लगाया जा सकता है, जिसे आयकर विभाग ने पहले सार्वजनिक हितकारी काम के तौर पर छूट के लिए मंजूरी दी थी.

डिजीपब ने तर्क दिया कि इस तरह के दावे का इस्तेमाल ऐसे अन्य स्वतंत्र समाचार संस्थानों को वित्तीय रूप से निशाना बनाने के लिए किया जा सकता है, जिन्होंने सरकार के खिलाफ आलोचनात्मक रिपोर्टिंग की है.

संगठन ने एक बयान में कहा, ‘सरकार का दावा है कि पत्रकारिता सार्वजनिक उद्देश्य की पूर्ति नहीं करती है, यह लोकतंत्र की बुनियाद के लिए बेहद परेशान करने वाला और विरोधाभासी है. इस तरह के दावे का इस्तेमाल अन्य स्वतंत्र समाचार संस्थानों को वित्तीय रूप से निशाना बनाने के लिए किया जा सकता है. यदि सरकार मानती है कि भारत एक लोकतंत्र है, केवल नाम के लिए नहीं, तो उसे यह रुख बदलना चाहिए.’

डिजीपब की चिंताएं भारत की गिरती प्रेस स्वतंत्रता रैंकिंग से भी बढ़ गई हैं, जिसमें भारत अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है.

संगठन ने सरकार से स्वतंत्र मीडिया आउटलेट्स को परेशान नहीं करने का आग्रह किया है, जिससे उन्हें पत्रकारिता के माध्यम से जनता की सेवा जारी रखने की अनुमति मिल सके. इसके अलावा, यह रेखांकित किया गया कि ऐसे आउटलेट आवश्यक हैं, खासकर जब मुख्यधारा का मीडिया तेजी से सरकार के साथ जुड़ गया है.

इसमें कहा गया है, ‘ऐसे समय में जब प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक पर भारत की रैंकिंग अब तक की सबसे निचले पायदान पर पहुंच गई है और मुख्यधारा के मीडिया का बड़ा हिस्सा सरकार के चीयरलीडर्स बन गए हैं, स्वतंत्र मीडिया आउटलेट मौजूदा सरकार और उसकी नीतियों पर सवाल उठा रहे हैं.’

बयान में आगे कहा गया है, ‘इनमें से अधिकांश आउटलेट, जो सरकारी और कॉरपोरेट विज्ञापन के बिना खुद को बनाए रखते हैं, आर्थिक रूप से संघर्ष कर रहे हैं. सरकार उन पर कानूनी और आर्थिक रूप से असंख्य तरीकों से हमला करके उनका रहना मुश्किल बना देती है, जिससे जनता महत्वपूर्ण कवरेज तक पहुंच सकती है. डिजीपब सरकार से आग्रह करता है कि वह स्वतंत्र मीडिया आउटलेट्स को परेशान न करे और उन्हें पत्रकारिता के माध्यम से जनता की सेवा करने दे.’

गौरतलब है कि रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (आरएसएफ) द्वारा जारी 2024 विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत को 159वां स्थान दिया गया है.