मणिपुर: मुक्त आवाजाही शुरू होने के बाद से विरोध प्रदर्शन जारी, कुकी-बहुल क्षेत्रों में अनिश्चितकालीन बंद

मणिपुर के राजमार्गों पर मुक्त आवाजाही के सरकारी निर्देश के ख़िलाफ़ प्रदर्शन के दौरान शनिवार को एक प्रदर्शनकारी की मौत के बाद रविवार को कुकी बहुल इलाकों में अनिश्चितकालीन पूर्ण बंद की स्थिति पैदा हो गई, जिससे चूड़ाचांदपुर और कांगपोकपी जिलों में सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ.

मणिपुर मुक्त आवाजाही के पहले दिन कुकी प्रदर्शनकारियों की सुरक्षाकर्मियों के साथ झड़प के बाद आग में जलता हुआ वाहन. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: मणिपुर के राजमार्गों पर मुक्त आवाजाही के सरकारी निर्देश के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान शनिवार को एक प्रदर्शनकारी की मौत के बाद रविवार को कुकी बहुल इलाकों में अनिश्चितकालीन पूर्ण बंद की स्थिति पैदा हो गई, जिससे चूड़ाचांदपुर और कांगपोकपी जिलों में सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ.

ज्ञात हो कि मणिपुर में राजमार्गों पर शनिवार (8 मार्च) से मुक्त आवाजाही के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के 1 मार्च के आदेश के जवाब में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए, जो राज्य में सामान्य स्थिति बहाल करने के प्रयासों का हिस्सा है, जो लगभग दो वर्षों से जातीय हिंसा से जूझ रहा है और दो क्षेत्रों में विभाजित है.

मई 2023 में हिंसा भड़कने के बाद से मेईतेई-बहुल घाटी क्षेत्रों और कुकी-बहुल पहाड़ी क्षेत्रों को अन्य समुदाय के सदस्यों के लिए बंद कर दिया गया है.

रिपोर्ट के अनुसार, 8 मार्च को हिंसा तब शुरू हुई जब मेईतेई समूह ने पहाड़ी जिलों की ओर कूच किया, जिसके कारण कुकी-ज़ो समुदाय के सदस्यों के साथ टकराव हुआ, जिन्होंने उनके प्रवेश को रोकने का प्रयास किया.

मेईतेई समूह ने चूड़ाचांदपुर और कांगपोकपी दोनों जिलों में प्रवेश करने का प्रयास किया था, लेकिन झड़प केवल कांगपोकपी की तरफ हुई है. सबसे बड़ी झड़प गमगीफाई के पास हुई, जो ‘बफर ज़ोन’ है- जिसे नो मैन्स लैंड माना जाता है – जिसके आगे कांगपोकपी जिला शुरू होता है, जहां कुकी-जो समुदाय बहुमत में है.

मणिपुर मुक्त आवाजाही के पहले दिन कुकी आदिवासियों के विरोध प्रदर्शन और नाकेबंदी के बीच सुरक्षाकर्मी पहरा देते हुए. (फोटो: पीटीआई)

कुकी संगठन कमेटी ऑन ट्राइबल यूनिटी के अनुसार, झड़प के दौरान कांगपोकपी में मारा गया कुकी व्यक्ति एक वालिंटियर था, जिसकी भूमिका कुकी गांवों की रक्षा करना था.

मृतक एल. लालगौ सिंगसिट 26 वर्ष के थे और कांगपोकपी जिले के शेरोन वेंग कीथेलमैनबी मिलिट्री कॉलोनी का रहने वाला था. गमगीफाई बफर जोन में घायल होने के कारण उसकी मौत हो गई.

इस साल 13 फरवरी को राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद से मणिपुर में जातीय हिंसा में यह पहली मौत है.

घटना में 48 कुकी समुदाय के लोग घायल हो गए. पुलिस ने बताया कि इस झड़प में 27 सुरक्षाकर्मी भी घायल हुए हैं. द वायर को कई स्रोतों से पता चला है कि 48 घायल कुकी लोगों में से 22 महिलाएं हैं और 16 की हालत गंभीर है.

कुकी-बहुल क्षेत्रों में अनिश्चितकालीन पूर्ण बंद

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सिंगसिट की मौत के बाद कुकी-ज़ो काउंसिल ने कई अन्य कुकी संगठनों के समर्थन से आधी रात से कुकी-बहुल क्षेत्रों में अनिश्चितकालीन पूर्ण बंद का आह्वान किया. प्रदर्शनकारियों ने जले हुए टायरों और लकड़ी के लट्ठों का इस्तेमाल करके इंफाल-दीमापुर रोड और इंफाल को मिज़ोरम से जोड़ने वाली टिडिम रोड सहित प्रमुख राजमार्गों को अवरुद्ध कर दिया.

कुकी समूहों ने अपनी मांगों, खास तौर पर एक अलग केंद्र शासित प्रदेश के निर्माण की मांग पूरी होने तक अपने इलाकों में मुक्त आवाजाही का विरोध जारी रखने की कसम खाई है. रविवार को समर्थन देने वाले समूहों में से एक ने कहा कि उकसावे की वजह एक मेईतेई संगठन द्वारा किया गया विरोध मार्च था.

कुकी-ज़ो संगठन, इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) ने एक बयान में कहा, ‘कल, कुकी-ज़ो क्षेत्रों के माध्यम से मेईतेई लोगों की आवाजाही की अनुमति देने के भारत सरकार के फैसले से कांगपोकपी में आंदोलन और विरोध हुआ… सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों पर अत्यधिक बल का प्रयोग किया.’

फेडरेशन ऑफ सिविल सोसाइटी (एफओसीएस) नामक मेईतेई संगठन द्वारा निकाले गए इस जुलूस में 10 से ज़्यादा वाहन शामिल थे, लेकिन सुरक्षा बलों ने इसे कांगपोकपी जिले में पहुंचने से पहले ही सेकमाई में रोक दिया. मणिपुर पुलिस ने कहा कि जुलूस को इसलिए रोका गया क्योंकि इसे निकालने वालों के पास ज़रूरी अनुमति नहीं थी.

मेईतेई नागरिक समाज ने राजमार्ग नाकाबंदी की निंदा की, निर्णायक कार्रवाई का आह्वान किया

रिपोर्ट के अनुसार, मेईतेई नागरिक समाज ने एक बयान में कहा, ‘यह बेहद परेशान करने वाला और जानबूझकर किया गया अवज्ञाकारी कृत्य है, जो सीधे तौर पर केंद्रीय गृह मंत्रालय के राजमार्गों को फिर से खोलने के फैसले को चुनौती देता है, जो मणिपुर में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने की दिशा में उठाया गया कदम है.’

इसमें आगे कहा गया है, ‘राष्ट्रीय जीवनरेखा को बाधित करके प्रदर्शनकारियों ने खुले तौर पर भारतीय राज्य के अधिकार की अवहेलना की है और घाटी जिलों में रहने वाले सभी समुदायों के लोगों को बंधक बनाना जारी रखा है.’

संगठन ने अधिकारियों से आग्रह किया कि वे इन अवरोधों के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करें, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि मुक्त आवाजाही और आवश्यक आपूर्ति निहित स्वार्थों के कारण न रुके.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 1 मार्च को घोषणा की थी कि मणिपुर में सभी मार्ग 8 मार्च से मुक्त आवाजाही के लिए खोल दिए जाएंगे, साथ ही इस प्रक्रिया में बाधा डालने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

शाह के निर्देश के बाद घाटी के लगभग 20 संगठनों के गठबंधन फेडरेशन ऑफ सिविल सोसाइटीज (एफओसीएस) ने ‘मार्च टू द हिल्स’ का आह्वान किया, जिससे तनाव और बढ़ गया क्योंकि मेईतेई लोगों ने पहाड़ियों में प्रवेश करने का प्रयास किया.

कुकी नेताओं ने ‘थोपी गई शांति’ को अस्वीकार किया

इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) ने सरकार के दृष्टिकोण की निंदा की. आईटीएलएफ के प्रवक्ता गिन्ज़ा वुअलज़ोंग ने कहा, ‘शांति को न तो थोपा जा सकता है और न ही जबरदस्ती थोपा जा सकता है. जातीय हिंसा के कारण अनगिनत लोगों की जान और संपत्ति का नुकसान हुआ है, और घाव अभी भी ताजा और गहरे हैं. सच्ची शांति केवल राजनीतिक समझौते से ही प्राप्त होगी.’

कुकी-ज़ो समुदाय अलग प्रशासन की अपनी मांग पर अड़ा हुआ है तथा तर्क दे रहा है कि संवैधानिक सुरक्षा उपायों के बिना जबरन सुलह से तनाव ही बढ़ेगा.

कुकी-ज़ो समूहों ने एफओसीएस के मार्च का कड़ा विरोध किया और इसे उकसावा करार बताया.

कमेटी ऑन ट्राइबल यूनिटी के प्रवक्ता लून ने द वायर से बात करते हुए एफओसीएस पर ‘मेईतेई वर्चस्ववादियों की विस्तारवादी विचारधारा’ को आगे बढ़ाने और गवर्नर की शांति पहल की गलत व्याख्या करने का आरोप लगाया, जिसमें कुकी-ज़ो-प्रभुत्व वाले क्षेत्रों के माध्यम से राजमार्ग तक निर्बाध पहुंच की मांग की गई थी.

सीओटीयू ने जिरीबाम घटना की पुनरावृत्ति के खिलाफ भी चेतावनी दी, जहां कट्टरपंथी मेईतेई समूहों ने कथित तौर पर कुकी गांवों पर हमला करने के लिए मुख्यमंत्री के एस्कॉर्ट काफिले का इस्तेमाल किया था. समूह ने अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि ऐसी हिंसा दोबारा न हो.

सीओटीयू ने किसी भी संभावित हिंसा के लिए सुरक्षा बलों को जिम्मेदार ठहराया तथा चेतावनी दी कि कुकी-ज़ो क्षेत्रों से मेईतेती समूह के नियोजित मार्ग से तनाव और बढ़ सकता है.