नॉर्थ ईस्ट डायरी: त्रिपुरा के मुख्यमंत्री का आरोप, अलगाववादी ताकतों से हाथ मिला रही है भाजपा

इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में असम, मेघालय, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम के प्रमुख समाचार.

//

इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में असम, मेघालय, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम के प्रमुख समाचार.

manik sarkaar
त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक सरकार (फोटो: पीटीआई)

कोलकाता: त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह अलगाववादी तत्वों से हाथ मिला रही है और धार्मिक एवं जातीय आधार पर राज्य के लोगों को बांटने की कोशिश कर रही है.

सरकार ने कहा कि भाजपा और अलगाववादी मिलकर अगले साल त्रिपुरा में होने वाले विधानसभा चुनावों में वाम मोर्चा की सरकार को हराने की  साजिश रच रहे हैं .

28 दिसंबर को कोलकाता में एक सेमिनार को संबोधित करते हुए सरकार ने कहा, ‘भाजपा और अलगाववादी ताकतें, जैसे आईपीटीएफ, त्रिपुरा की वाम मोर्चा सरकार को हराने की साजिश रच रहे हैं. वे जातीय एवं सांप्रदायिक आधारों पर राज्य के लोगों को बांटने की कोशिश कर रहे हैं. वे आदिवासियों एवं गैर-आदिवासियों के आधार पर लोगों को बांटने की कोशिश कर रहे हैं.’

असम: भारतीय नागरिकों को एनआरसी में नाम शामिल कराने के लिए पर्याप्त अवसर मिलेंगे: गृह मंत्रालय

फोटो: nrcassam.nic.in
फोटो: nrcassam.nic.in

नयी दिल्ली: राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के पहले मसौदे में जिन लोगों का नाम नहीं है, उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है. उन्हें अपना परिचय दस्तावेज साबित करने के लिए पर्याप्त मौके दिए जाएंगे. गृह मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने यह बात कही.

एनआरसी राज्य के नागरिकों की सूची होती है और असम के लोग आज यानी 31 दिसंबर को इससे संबंधित मसौदा प्रकाशित होने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं.

अधिकारी ने कहा कि किसी भी मजहब, जाति-समुदाय और भाषा से आने वाले लोगों के साथ समान व्यवहार किया जा रहा है और लोगों को समान अवसर देकर सभी के साथ न्याय किया जाएगा.

उन्होंने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा, ‘किसी को भी मन में यह विचार नहीं लाना चाहिए कि किसी के साथ या किसी खास समुदाय के साथ भेदभाव हो सकता है. सभी को समान दृष्टि से देखा जाता है और अगर पहली सूची में किसी भारतीय नागरिक का नाम नहीं है तो उसे अपना पहचान दस्तावेज साबित करने के पर्याप्त अवसर दिए जाएंगे.’

अधिकारी ने बताया कि नागरिकों की सूची के पहले मसौदे के बाद अंतिम सूची जारी करने से पहले दूसरा और तीसरा मसौदा प्रकाशित किया जाएगा. यह अधिकारी लगातार असम सरकार के उन अधिकारियों के संपर्क में हैं जो मौजूदा स्थिति पर निगरानी रख रहे हैं.

उन्होंने कहा, ‘घबराने की कोई जरूरत नहीं है. वास्तविक भारतीय नागरिकों को उनके अधिकारों से वंचित नहीं किया जाएगा.’

एनआरसी के पहले मसौदे के जारी होने से पहले असम में सैनिकों को तैयार रखा गया है और 45,000 सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया जा रहा है.

एक अन्य अधिकारी ने कहा कि राज्य के जिन हिस्सों में मसौदा सूची से संदिग्ध नागरिकों के नाम बाहर किए जा सकते हैं, वहां संभावित तनाव होने की खुफिया जानकारी मिली है.

असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने बुधवार को कहा था कि जिन वास्तविक भारतीय नागरिकों के नाम इस सूची में नहीं हैं, उन्हें अपना नाम रजिस्टर में शामिल कराने के लिए पर्याप्त अवसर मिलेंगे.

ज्ञात हो कि असम में बांग्लादेश से नागरिक आते रहे हैं.

मौजूदा प्रक्रिया साल 2005 में कांग्रेस शासन के दौरान शुरू हुई थी और भाजपा के सत्ता में आने के बाद इसमें तेजी आई. इस पूरी प्रक्रिया पर नजर रख रहे उच्चतम न्यायालय ने आदेश दिया था कि 31 दिसंबर तक एनआरसी का पहला मसौदा प्रकाशित किया जाए.

मसौदे से पहले असम में पुख्ता सुरक्षा बंदोबस्त

असम के नागरिकों की सूची के पहले मसौदे के प्रकाशन से पहले राज्य में 45 हजार जवानों की तैनाती की गई है और सेना के जवानों को तैयार रहने के लिए कहा गया है.

एनआरसी के मसौदे के एक हिस्से का 31 दिसंबर को प्रकाशन होना है और अर्द्धसैनिक बल के 22 हजार जवानों सहित बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों की विभिन्न जिलों खासकर संवेदनशील स्थानों पर तैनाती की गई है.

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि सेना, पुलिस, अर्द्धसैनिक और खुफिया एजेंसियां स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए हैं और मसौदा एनआरसी के प्रकाशन के बाद शांति सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव कार्रवाई का निर्देश दिया गया है.

अधिकारी ने कहा कि सेना के जवानों को अलर्ट कर दिया गया है और किसी भी संकट की स्थिति में प्रशासन की मदद के लिए उन्हें बुलाया जाएगा. मसौदा सूची से कुछ संदेहपूर्ण नागरिकों के नाम हटाने के बाद राज्य के कुछ हिस्सों में संभावित तनाव के बारे में खुफिया सूचना है.

मेघालय: 5 कांग्रेस विधायकों का इस्तीफा, राहुल गांधी ने बदला प्रदेश अध्यक्ष

Mukul Sangma 1 PTI
मुख्यमंत्री मुकुल संगमा (फोटो: पीटीआई)

नयी दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मेघालय में प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष के रूप में सेल्सटाइन लिंगदोह और कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में विनसेंट एच पाला की नियुक्ति को मंजूरी दी है.

पार्टी महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने एक बयान में बताया कि मेघालय पीसीसी के निवर्तमान अध्यक्ष डीडी लपांग को प्रदेश कांग्रेस समिति का सलाहकार बनाया गया है. राहुल ने 13 सदस्यीय राज्य चुनाव समिति का भी गठन किया है.

सेल्सटाइन लिंगदोह को इसका अध्यक्ष बनाया गया है. राज्य के मुख्यमंत्री मुकुल संगमा इसके सदस्य हैं.

पार्टी अध्यक्ष ने नगालैंड के लिए भी 14 सदस्यीय प्रदेश चुनाव समिति तथा 25 सदस्यीय चुनाव अभियान समिति का गठन किया है. मेघालय और नगालैंड विधानसभा के लिए चुनाव 2018 में निर्धारित हैं.

ज्ञात हो कि 29 दिसंबर को पूर्व उपमुख्यमंत्री रोवेल लिंगदोह समेत इसके पांच विधायकों ने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था.

विधानसभा के प्रधान सचिव एंड्रयू सिमंस ने समाचार एजेंसी भाषा को बताया कि इनके साथ यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी के एक विधायक और दो निर्दलीय विधायकों ने भी सदन से इस्तीफा दे दिया.

राज्य में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रोवेल ने बाद में घोषणा की कि इस्तीफा देने वाले सभी आठ विधायक अगले सप्ताह एक रैली में नेशनल पीपुल्स पार्टी में शामिल होंगे. मेघालय में 60 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 30 विधायक थे.

एक अन्य कांग्रेस विधायक पीएन सीएम ने कुछ दिनों पहले पार्टी से इस्तीफा दिया था जिसके बाद पार्टी के पांच विधायकों ने इस्तीफे दिए. इन इस्तीफों के साथ ही विधानसभा में कांग्रेस के विधायकों की संख्या 24 रह गई है.

मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल छह मार्च को खत्म हो रहा है और नगालैंड तथा त्रिपुरा के साथ राज्य में अगले साल चुनाव होने हैं. विधानसभा से इस्तीफे देने वाले सभी पांच कांग्रेस विधायकों ने इससे पहले मुख्यमंत्री मुकुल संगमा और पार्टी नेतृत्व के खिलाफ बगावत की थी.

पांच में से चार कांग्रेस विधायक पहले राज्य मंत्रिमंडल में शामिल थे और मुख्यमंत्री ने उन्हें कथित अयोग्यता को लेकर बर्खास्त कर दिया था.

विधानसभा के प्रधान सचिव सिमंस ने समाचार एजेंसी भाषा को बताया, ‘आठ विधायकों ने 29 दिसंबर को अध्यक्ष के कार्यालय में अपना इस्तीफा सौंपा. अध्यक्ष बाहर हैं और वह अपने कार्यालय में मौजूद नहीं थे.’

उन्होंने कहा कि विधायकों ने अपना इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष अबू ताहिर मंडल को ईमेल के जरिए भेजा.

इस्तीफा देने वाले तीन अन्य विधायक रेमिंगटन पिनग्रोप यूडीपी और दो निर्दलीय विधायक स्टीफंसन मुखिम और होपफुल बैमन हैं. रोवेल ने पत्रकारों से कहा, ‘हम पोलो ग्राउंड्स में चार जनवरी को एक रैली में एनपीपी में शामिल हो रहे हैं.’

उन्होंने कहा कि कांग्रेस को छोड़ना मुश्किल फैसला था लेकिन लोगों के कारण उन्हें ऐसा करना पड़ा.

मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘मुख्यमंत्री के काम करने के निरंकुश तरीके ने मेरे और अन्य लोगों के लिए सरकार में काम करना मुश्किल कर दिया था.’

रोवेल ने कहा कि राज्य के वित्त पोषण से पीपीपी मॉडल पर शिलांग में एक मेडिकल कॉलेज स्थापित करने और तुरा में एक अन्य कॉलेज स्थापित करने का फैसला मंत्रिमंडल में बिना विचार विमर्श के लिए लिया गया.

उन्होंने प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष डीडी लपांग की भी आलोचना की. उन्होंने आरोप लगाया कि लपांग मुख्यमंत्री के इशारों पर चलते हैं और उन्होंने उनके निर्वाचन क्षेत्र समेत कई विधानसभा क्षेत्रों में ब्लॉक कांग्रेस समिति को भंग कर दिया.

वरिष्ठ कांग्रेस नेता और मंत्रिमंडल के पूर्व मंत्री प्रेस्टोन टिनसोंग ने कहा कि इससे मेघालय में कांग्रेस के भविष्य पर बुरा असर पड़ेगा.

त्रिपुरा: बीएसएफ को बांग्लादेश सीमा पर  निगरानी रखने को कहा गया है: मुख्य निर्वाचन अधिकारी

Bangladesh border From Tripura Wikimedia Commons
बांग्लादेश सीमा (फोटो: विकीमीडिया कॉमन्स)

अगरतला: त्रिपुरा से लगती 856 किलोमीटर लंबी भारत-बांग्लादेश सीमारेखा से किसी अवांछित तत्व को राज्य में प्रवेश करने से रोकने के लिए बीएसएफ को सीमा पर कड़ी निगरानी रखने को कहा गया है. अगले साल त्रिपुरा में विधानसभा चुनाव होना है. एक चुनाव अधिकारी ने इसकी जानकारी दी है.

त्रिपुरा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) श्रीराम तरनीकांति ने सीमा पर निगरानी के संबंध में बीएसएफ के शीर्ष अधिकारियों के साथ एक बैठक की.

तरनीकांति ने शुक्रवार 29 दिसंबर को शाम यहां संवाददाताओं से कहा, ‘कुछ दिन पहले बीएसएफ के महानिरीक्षक के साथ बैठक हुई. सीमा से लगते हुए सभी मतदान केंद्रों को ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) का इस्तेमाल करते हुए मैप कर लिया गया है. मैं आशा करता हूं कि आने वाले सप्ताह में यहां कड़ी निगरानी शुरू हो जाएगी.’

मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि केंद्रीय अर्धसैनिक बल राज्य में जल्द ही पहुंचने लगेंगे और केंद्र सरकार ने चुनाव आयोग की जरूरत के हिसाब से सुरक्षा बल भेजने पर सहमति दे दी है.

उन्होंने कहा कि सीमा से लगी तार की बाड़ के दूसरी ओर रह रहे भारतीय मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल बिना किसी परेशानी के कर सकते हैं.

इंदिरा-मुजीब समझाौता, 1971 और 1975 में हस्ताक्षर हुए सीमा प्रबंधन समझौते का पालन करते हुए अंतरराष्ट्रीय जीरो लाइन से 150 गज हटकर तार की बाड़ लगायी गई है. मतदान प्रक्रिया को आसान बनाने और मतदान केंद्रों के बीच की दूरी कम करने के लिए राज्य में 44 अधिक पोलिंग स्टेशन अगले विधानसभा चुनाव में बनाए जाएंगे.

तरनीकांति ने बताया, ‘इस बार विधानसभा चुनाव में कुल 3,214 मतदान केंद्रों का इस्तेमाल किया जाएगा.’ सभी मतदान केंद्र आबादी से 3.5 किलोमीटर क्षेत्र के दायरे में होंगे.

असम: गडकरी ने ब्रह्मपुत्र पर मालवाहक पोत को हरी झंडी दिखाई

The Union Minister for Road Transport & Highways, Shipping and Water Resources, River Development & Ganga Rejuvenation, Shri Nitin Gadkari flagging off the Regular Inland Waterways from Pandu to Dhubri/Hatsingimari on River Brahmaputra, at a function, at Rawnapara, Majuli on December 29, 2017. The Chief Minister of Assam, Shri Sarbananda Sonowal is also seen.
फोटो साभार: पीआईबी

माजुली: पूर्वोत्तर में अंतर्देशीय जलमार्ग परिवहन प्रणाली को बढ़ावा देते हुए केंद्रीय पोत परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने शुक्रवार 29 दिसंबर को ब्रह्मपुत्र से लगे पांडु-ढुबरी मार्ग पर मालवाहक पोत की आवाजाही को हरी झंडी दिखायी.

केंद्रीय मंत्री ने इस अवसर पर घोषणा की कि सुगम आवाजाही के लिए नदी पर पांच पुल बनाए जाएंगे.

माजुली द्वीप पर हरी झंडी दिखाने के कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि ये पुल जोरहाट को नेमतीघाट, दिसांगमुख को टेकलीफुआ, लोउट को खाबलू, नुमालीगढ़ को गोहपुर और उत्तरी गुवाहाटी को गुवाहाटी से जोड़ेंगे .

मंत्री ने कहा, ‘बड़ी संख्या में यात्रियों और वाहनों को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने के लिए यहां जल्द ही रोल ऑन, रोल ऑफ रोरो फेरी सेवा शुरू की जाएगी.’

नदी किनारे आधुनिक और सभी सुविधाओं से लैस बंदरगाह बनाए जाने का जिक्र करते हुए मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय जलमार्ग दो- गुवाहाटी में पांडु से असम-बंगाल की सीमा से लगे धुबरी- के जरिए मालवाहक जहाज की आवाजाही से रसद लागत कम हो जाएगी और 300 किलोमीटर सड़क दूरी कम होगी.

मणिपुर: नगा शांति वार्ता को लेकर प्रधानमंत्री मोदी से मिले प्रबुद्ध समाज संगठन

Manipur Civil Society Group Twitter
नागरिकों के इस समूह ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह से भी मुलाकात की. (फोटो साभार: twitter/@NBirenSingh)

नयी दिल्ली: मणिपुर के प्रबुद्ध समाज संगठनों के प्रतिनिधियों ने गुरुवार 28 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भेंट की और उनसे नगा विद्रोही संगठन एनएससीएन और केंद्र के बीच हुई प्रारुप संधि का ब्योरा मांगा.

इन संगठनों की संयुक्त समिति की ओर से जारी बयान के अनुसार इस भेंट के दौरान आठ सदस्यीय दल ने मोदी से कहा कि वर्तमान नगा शांति वार्ता में पारदर्शिता के अभाव के चलते मणिपुर में लोगों के मन में राज्य की क्षेत्रीय अखंडता को लेकर आशंकाएं हैं.

इन संगठनों में यूनाईटेड कमिटी मणिपुर (यूसीएम), ऑल मणिपुर यूनाईटेड क्लब ऑर्गनाइजेशन (एएमयूसीओ) और कमिटी ऑन सिविल सोसायटीज कांगलीपाक शामिल हैं.

बयान के अनुसार प्रधानमंत्री ने दल के सदस्यों से भारत सरकार पर विश्वास करने और सुनी-सुनाई बातों पर यकीन नहीं करने को कहा. बयान के मुताबिक मोदी ने कहा कि केंद्र ने नगा वार्ता के ब्योरे के बारे में कोई घोषणा नहीं की है और उनकी सरकार राज्य के संदर्भ में विभिन्न मुद्दों पर सुझावों के प्रति खुले मन से विचार करेगी.

मोदी ने उनसे कहा कि आपके मन में जब कभी कोई सुझाव या आशंका हो तब आप संबंधित अधिकारियों को बताएं.

अगस्त, 2105 में केंद्र और नेशनलिस्ट सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (एनएससीएन) आईएम गुट ने देश के इस सबसे पुराने उग्रवाद की समाप्ति का मार्ग प्रशस्त करते हुए एक संधि पर दस्तखत किये थे. इसे प्रारुप संधि बताया गया था लेकिन अबतक कोई अंतिम हल सामने नहीं आया है.

एनएससीएन आईएम ने पूर्वोत्तर में नगाबहुल क्षेत्रों को आपस में मिलाने और प्रस्तावित क्षेत्र के लिए स्वायाता की मांग की है. इस मांग से मणिपुर पर प्रभाव पड़ता है क्येंकि वहां कई नगा बहुल क्षेत्र हैं.

त्रिपुरा: चुनावी गठबंधन को लेकर आईपीएफटी-भाजपा में चल रही है चर्चा

Agartala: Supporters of Indigeneous Peoples Front of Twipra (IPFT) shout slogans as they block national highway (NH-44) to demand for a separate of Tipraland state at Khamtingbari, Baramura Hill range, some 36 km north of Agartala on Sunday. PTI Photo (PTI7_16_2017_000285A)
जुलाई महीने में अलग राज्य की मांग को लेकर प्रदर्शन करते आईपीएफटी समर्थक (फोटो: पीटीआई)

अगरतला: वाम विरोधी इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंटआफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) अगले साल होने वाले त्रिपुरा विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा से चुनावी गठबंधन को लेकर बातचीत कर रहा है. आईपीएफटी त्रिपुरा के मूल निवासियों के लिए अलग राज्य की मांग करती रही है.

आईपीएफटी के नेताओं ने बताया कि पार्टी प्रमुख एनसी देबबर्मा की अध्यक्षता में पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को गुवाहाटी में पहले दौर की बैठक की. इस दौरान उन्होंने त्रिपुरा जनजाति स्वाया जिला परिषद (टीटीएएडीसी) में अलग राज्य के गठन की मांग की.

टीटीएडीसी राज्य के कुल क्षेत्रफल का दो-तिहाई हिस्सा है. यहां जनजातीय समुदायों के लोग रहते हैं, जिनकी आबादी राज्य की जनसंख्या का एक तिहाई है.

देबबर्मा ने  समाचार एजेंसी भाषा से बात करते हुए कहा, ‘बातचीत के दौरान भाजपा ने मामले पर गौर करने के लिये उसे  केंद्र सरकार को भेजने पर सहमति जाहिर की. हम सर्वसम्मति से इस बात को लेकर सहमत हुए कि पिछले 25 वर्षों से त्रिपुरा में सत्तासीन माकपा हम दोनों की ही प्रतिद्वंद्वी है और इसे सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाया जाना चाहिए.’

उन्होंने बताया, ‘अगले दौर की बातचीत जनवरी के पहले सप्ताह में दिल्ली में होगी. हम इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के समक्ष भी अपनी मांगों को रखेंगे.

अरुणाचल प्रदेश: केंद्र सरकार ने चीन से कहा, अरुणाचल भारत का अभिन्न अंग

Kibithu : Defence Minister Nirmala Sitharaman interacting with the officers & Jawans at Kibithu, Arunachal Pradesh on Sunday.PTI Photo/pib(PTI11 5 2017 000124B)
बीते नवंबर में अरुणाचल यात्रा के दौरान सैनिकों से मिलती रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण (फोटो: पीटीआई)

नयी दिल्ली: सरकार ने आज स्वीकार किया कि चीन ने भारतीय नेताओं की अरुणाचल प्रदेश की यात्राओं के बारे में कड़ी टिप्पणियां की हैं, जिनमें पांच नवंबर 2017 को रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की प्रदेश यात्रा भी शामिल है.

हालांकि भारत ने चीन से स्पष्ट कहा है कि अरुणाचल प्रदेश हमारा अभिन्न अंग है. विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह ने आज राज्यसभा को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी.

उन्होंने बताया कि पांच नवंबर को रक्षा मंत्री अरुणाचल प्रदेश के दौरे पर गई थीं. इस दौरे तथा अन्य भारतीय नेताओं की अरुणाचल प्रदेश की यात्राओं के बारे में चीन ने कड़ी टिप्पणियां की हैं.

सिंह ने बताया कि सरकार ने ऐसी टिप्पणियों को सिरे से खारिज करे हुए चीनी पक्ष को स्पष्ट बता दिया है कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न एवं अविभाज्य हिस्सा है.

उन्होंने बताया कि भारतीय नेतागण अपनी इच्छानुसार अरुणाचल प्रदेश की यात्रा उसकी तरह करते हैं जैसे वे भारत के अन्य हिस्से की यात्रा करते हैं.

एक अन्य प्रश्न के लिखित उत्तर में सिंह ने बताया कि सरकार का ध्यान कुछ समाचार पत्रों में छपी इन खबरों पर गया है कि चीन ने तिब्बती गड़रियों को सीमाई क्षेत्रों में अपनी जड़ें जमाने, चीन के इलाके की रक्षा करने और वहां अपने घर बनाने का आग्रह किया है.

उन्होंने बताया कि सरकार सीमा क्षेत्रों मे रहने वालों के लिए आजीविका, विशेष विकासमूलक आवश्यकताएं पूरी करने और उनकी देखभाल को बढ़ावा देने के लिए सीमाई इलाकों के सुधार एवं विकास पर खास ध्यान देती है.

चीन ने कहा, तिब्बत में आए भूकंप की वजह से गंदा हुआ ब्रह्मपुत्र का पानी

Pema Khandu at Siang River Twitter
अरुणाचल में नदी का मुआयना करते मुख्यमंत्री पेमा खांडू (फाइल फोटो: twitter/@PemaKhanduBJP)

बीजिंग: चीन ने बुधवार 27 दिसंबर को कहा कि तिब्बत में नवंबर के मध्य में आये 6.9 वेग वाले भूकंप ने ब्रह्मपुत्र के पानी को गंदा कर दिया है. ज्ञात हो कि पानी के रंग बदलने ने भारत में चिंता पैदा कर दी थी.

चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा कि हालिया परीक्षणों ने दर्शाया कि पानी की गुणवत्ता तृतीय श्रेणी के स्तर पर पहुंच गई है. तृतीय श्रेणी का पानी मछली पालन और वन्यजीवन के लिये ठीक माना जाता है.

इससे पहले, मीडिया में आई खबर में ब्रह्मपुत्र नदी में भारी प्रदूषण की बात कही गई थी. इस नदी को अरुणाचल प्रदेश में सियांग नदी के नाम से जाना जाता है.

मीडिया के एक हिस्से में खबरों में अरुणाचल प्रदेश के करीब तिब्बत में रोधिका झील (बैरियर लेक) बनाने की बात कही गई थी. इसने नदी में संभावित बाढ़ को लेकर चिंता पैदा कर दी थी.

उन्होंने एक सवाल के जवाब में समाचार एजेंसी भाषा को बताया,’ हमने गौर किया है कि भारतीय मीडिया ने हाल में इस मुद्दे पर कई खबरें प्रकाशित कीं. उन्होंने कहा कि चीन जल संरक्षण परियोजना चला रहा है या खदान का इस्तेमाल कर रहा है. हालांकि, अब दावा करता है कि धारा के प्रतिकूल रोधिका झील (बैरियर लेक) का निर्माण किया जा रहा है.

उन्होंने कहा, ‘मैं आपको जिम्मेदारी के साथ कह सकती हूं कि चीनी अधिकारियों की जांच के निष्कर्षों के अनुसार कोई भी अटकल सही नहीं है.’

उन्होंने कहा कि तिब्बत के मेनलिंग काउन्टी के निकट क्षेत्र में मध्य नवंबर में आए 6.9 की तीव्रता वाले भूकंप की वजह से हो सकता है कि कुछ समय के लिये नदी के मध्य और निचले हिस्से में गंदगी पैदा हुई हो.

उन्होंने कहा, ‘भूकंप के बाद हमने यारलंग जांगबो (ब्रह्मपुत्र का चीनी नाम) के पानी की गुणवत्ता की निगरानी की और नतीजों ने दर्शाया कि यह तृतीय श्रेणी के मानदंडों के लायक था. मालूम हो कि चीन अरुणाचल प्रदेश पर दक्षिण तिब्बत के रूप में अपना दावा करता है.

मेघालय की गुफा में मिली अंधी मछली की नई प्रजाति

प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स
प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स

शिलॉन्ग: मेघालय के पूर्वी जयन्तिया हिल्स जिले में एक गुफा के भीतर अंधी मछली की एक नयी प्रजाति का पता चला है. न्यूजीलैंड की विज्ञान पत्रिका जूटैक्सा में इस खोज का खुलासा किया गया.

पत्रिका में कहा गया है कि स्किस्तुरा लार्केटेंसिस मछली को यह नाम लार्केट गांव में मिला है, जहां यह मछली पाई गई.

गौहाटी विश्वविद्यालय और नॉर्दन ईस्टर्न हिल विश्वविद्यालय ने कहा कि इस प्रजाति की मछलियों ने गुफा के भीतर हमेशा रहने वाले अंधेरे के कारण अपनी आंखों की रोशनी खो दी.

उन्होंने बताया कि डार्क वॉटर्स में रहने के कारण इन मछलियों ने अपनी रंगत भी खो दी है.

गौहाटी विश्वविद्यालय के प्रमुख शोधकर्ता खलर मुखिम को एक अभियान के दौरान कई वर्षों पहले गुफा में अंधी मछली के बारे में पता चला. यह गुफा समुद्र की सतह से करीब 880 मीटर पर है और लंबाई में सात किलोमीटर से अधिक है.

मुखिम ने कहा कि यह अध्ययन हाल ही में सामने आया क्योंकि उन्हें इन तथ्यों की पुष्टि करने मे काफी वक्त लग गया कि यह मछली वास्तव में अंधी है और यह एक नई प्रजाति की मछली है.

उन्होंने कहा कि इस मछली का नाम लार्केट गांव के नाम पर रखा गया ताकि स्थानीय लोगों को जैव विविधता संरक्षण के प्रति प्रेरित किया जा सकें.

शोधकर्ता के अनुसार, ‘भारत-चीन और दक्षिणपूर्व एशिया में झीलों और नदियों में रहने वाले इस तरह की 200 प्रजातियां हैं लेकिन यह इस तरह की पहली खोज है.

अरुणाचल प्रदेश: नाबालिग के साथ बलात्कार और हत्या, मुख्यमंत्री ने घटना की निंदा की

इटानगर: अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने नामसाई जिले में पिछले सप्ताह 13 साल की लड़की से कथित बलात्कार और हत्या की घटना की निंदा की.

नामसाई के उपायुक्त आरके शर्मा ने बताया कि जिले के मिशनरी स्कूल की आठवीं कक्षा में पढ़ने वाली बच्ची का शव शनिवार 23 दिसंबर को खेत के पास गड्ढे  में पड़ा मिला था.

उन्होंने बताया, ‘यह घटना 23 दिसंबर को उस समय हुई, जब वह लड़की किसी काम से खेत गयी थी. उसके पिता का देहांत कुछ साल पहले हो गया था, जबकि उसकी मां एक आंगनवाड़ी में काम करती है.

उन्होंने बताया कि जांच के बाद इसके बारे में विस्तृत जानकारी मिल सकेगी. मुख्यमंत्री ने अपेक्षा जताई है कि इस तरह के जघन्य अपराध करने वाले अपराधियों को तुरंत पकड़ा जाएगा और कड़ी सजा दी जाएगी.

उन्होंने जिला प्रशासन और पुलिस को जांच तेज करने और तत्काल न्याय सुनिश्चित करने के निर्देश दिये, ताकि सार्वजनिक प्रशासन और पुलिस के प्रति लोगों का विश्वास बहाल हो सके.

खांडू ने नाबालिग लड़की के परिजन को चार लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की भी घोषणा की. उप मुख्यमंत्री चाउना मीन ने भी घटना पर दुख जताया और इसे शर्मनाक तथा चिंताजनक बताया.

उन्होंने नामसाई के जिला प्रशासन को इस मामले की जांच करने और इस जघन्य अपराध को अंजाम देने वाले दोषियों को जल्द से जल्द पकड़ने के लिये सभी आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं.

सिक्किम: एसडीफए विधायकों से परामर्श के बाद राज्यसभा के उम्मीदवार का निर्णय करेगी

Pawan Kumar Chamling Facebook
मुख्यमंत्री पवन चामलिंग (फोटो साभार: फेसबुक)

गंगटोक: सत्तारूढ़ सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ) अपने विधायकों के साथ परामर्श के बाद राज्य से राज्यसभा की एकमात्र सीट के प्रत्याशी का निर्णय करेगी.

एसडीएफ के प्रवक्ता केटी ग्याल्तसेन ने समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा से कहा कि पार्टी अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग राज्यसभा की सीट के पार्टी प्रत्याशी के लिये जल्द ही पार्टी के विधायकों के साथ एक बैठक करेंगे.

राज्यसभा की इस सीट के लिये चुनाव 16 जनवरी को होने हैं. एसडीएफ विधायकों के साथ बैठक की तिथि के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि इसके बारे में चामलिंग निर्णय करेंगे.

उल्लेखनीय है कि 32 सदस्यों वाले सदन में एसडीएफ के 29 विधायक हैं और वह बहुत आसानी से नामित उम्मीदवार को राज्यसभा भेज सकती है.

एसडीएफ के राज्यसभा सदस्य हिशे लाचुंगपा का कार्यकाल 23 फरवरी 2018 को समाप्त हो रहा है.

पूर्व मंत्रियों के भाजपा में शामिल होने को एसडीएफ ने नहीं दी तवज्जो

एसडीएफ ने कहा कि तीन पूर्व मंत्रियों के भाजपा में शामिल होने से उसपर चुनावी समर में या किसी और तरह से कोई फर्क नहीं पड़ेगा.

पिछले हफ्ते राष्ट्रीय राजधानी में भाजपा महासचिव और पूर्वोत्तर के प्रभारी राम माधव की मौजूदगी में, एसडीएफ के तीन पूर्व मंत्री-आरबी सुब्बा, केएन उप्रेती और बीरबल लिम्बो के साथ पार्टी के मध्य स्तर के कुछ नेताओं ने भाजपा का दामन थाम लिया था.

एसडीएफ के प्रवक्ता के टी ग्यालत्सेन ने समाचार एजेंसी पीटीआई भाषा से कहा, ‘इन पूर्व मंत्रियों के साथ एसडीएफ के पूर्व नेता प्रेम करकी मूल पार्टी को छोड़ कर और कहीं नहीं जा सकते थे. इसका सत्तारूढ़ पार्टी पर चुनाव में या किसी और तरीके से न अभी असर पड़ेगा और न कभी पड़ेगा.’

उन्होंने कहा कि भाजपा ने हाल में जिन नेताओं को शामिल किया है उनका खुद का कोई समर्थन आधार नहीं है.

असम: धान के खेत में पुआल से बने थिएटर में हुआ अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह का आयोजन

फोटो साभार: twitter/@UtpalBorpujari
फोटो साभार: twitter/@UtpalBorpujari

मेलेंग: असम के मेलेंग में एक दूर-दराज के गांव में धान के एक खेत में बनाये गये अस्थायी ऑडोटोरियम में एक अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव का आयोजन किया गया, जिसका लक्ष्य गुणवत्तापूर्ण सिनेमा को ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचाने का है.

असम अंतरराष्ट्रीय ग्रामीण फिल्म महोत्सव (एआईआरएफएफ) के पहले संस्करण में दर्शकों को दुनिया की कुछ बेहतरीन फिल्में देखने को मिलीं. कार्यक्रम का आयोजन स्थल गुवाहाटी से 320 किलोमीटर पूर्व और जोरहाट शहर से करीब 25 किलोमीटर दूर मेलेंग चाय बगान इलाके के फेसुअल गांव में किया गया था.

असम फिल्म सोसाइटी (एएफएस) द्वारा आयोजित इस चार दिवसीय महोत्सव में ग्रामीणों को कुछ बेहतरीन पुरानी फिल्मों के साथ-साथ नयी क्षेत्रीय फिल्में भी दिखायी गयीं. इस महोत्सव का आरंभ 23 दिसंबर को हुआ था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)