द वायर हिंदी पर प्रकाशित वे 10 आलेख, जो साल 2017 में सबसे ज़्यादा पढ़े गए.
इरोम की हार और लोकतंत्र का शोकगीत: ‘थैंक्स फॉर 90 वोट्स’
उस महिला कवि ने फ़ैसला किया कि वह इस काले क़ानून के ख़िलाफ़ लड़ेगी. इस तरह किसी को कैसे मारा जा सकता है? यह कौन सा क़ानून है? यह क़ानून है सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम यानी आफ्सपा, जो पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों में लागू है. यह क़ानून सुरक्षा बलों को यह अधिकार देता है कि वह किसी को शक के आधार पर गोली मार सकते हैं.
क्या संघ ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के ख़िलाफ़ था?
संघ परिवार ने बड़ी चतुराई से अपने और अपने कृत्यों पर ‘राष्ट्रवादी’ होने का जो लेबल चिपका लिया है, उसे बिना सोचे-विचारे इन मीडिया संस्थानों ने स्वीकार कर लिया है. यह स्वीकृति दरअसल हमारे कई वरिष्ठ पत्रकारों के इतिहास के कम ज्ञान की गवाही देती है. आज़ादी के राष्ट्रीय संघर्ष के साथ हिंदुत्ववादी शक्तियों द्वारा किया गया धोखा, उनके सीने पर ऐतिहासिक शर्म की गठरी की तरह रहना चाहिए था, लेकिन इतिहास को लेकर पत्रकारों की कूपमंडूकता हिंदुत्ववादी शक्तियों की ताक़त बन गयी है और वे इसका इस्तेमाल इस बोझ को उतार फेंकने के लिए कर रहे हैं. झूठे आत्मप्रचार को मिल रही स्वीकृति का इस्तेमाल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कट्टर राष्ट्रवादी के तौर पर अपनी नयी झूठी मूर्ति गढ़ने के लिए कर रहा है. वह ख़ुद को एक ऐसे संगठन के तौर पर पेश कर रहा है, जिसके लिए राष्ट्र की चिंता सर्वोपरि है.
मोदी सरकार आने के बाद 16000 गुना बढ़ा अमित शाह के बेटे की कंपनी का टर्नओवर
हालांकि अहमदाबाद सिविल कोर्ट द्वारा इस रिपोर्ट के प्रकाशन/पुनर्प्रकाशन पर लगाई गयी आंशिक अंतरिम रोक (ex parte interim injunction) हटा दी गयी है, लेकिन जय शाह के वकीलों ने हाईकोर्ट में अपील करने के लिए मूल रिपोर्ट पर लगाये गये प्रतिबंध को एक महीने तक बढ़ाने की मांग की. इस पर अदालत ने उन्हें 15 दिन का समय दिया है, जो 10 जनवरी को ख़त्म होगा.
इस रिपोर्ट को द वायर हिंदी की वेबसाइट पर पढ़ा जा सकता है.
अंग्रेज़ों से माफ़ी मांगने वाले सावरकर ‘वीर’ कैसे हो गए?
राजनीति शास्त्री और प्रोफेसर शम्सुल इस्लाम लिखते हैं, ‘‘हिंदू राष्ट्रवादी’ शब्द की उत्पत्ति ब्रिटिश साम्राज्यवाद के विरुद्ध भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान एक ऐतिहासिक संदर्भ में हुई. यह स्वतंत्रता संग्राम मुख्य रूप से एक स्वतंत्र लोकतांत्रिक धर्मनिरपेक्ष भारत के लिए कांग्रेस के नेतृत्व में लड़ा गया था. ‘मुस्लिम राष्ट्रवादियों’ ने मुस्लिम लीग के बैनर तले और ‘हिंदू राष्ट्रवादियों’ ने ‘हिंदू महासभा’ और ‘आरएसएस’ के बैनर तले इस स्वतंत्रता संग्राम का यह कहकर विरोध किया कि हिंदू और मुस्लिम दो पृथक राष्ट्र हैं. स्वतंत्रता संग्राम को विफल करने के लिए इन हिंदू और मुस्लिम राष्ट्रवादियों ने अपने औपनिवेशिक आकाओं से हाथ मिला लिया ताकि वे अपनी पसंद के धार्मिक राज्य ‘हिंदुस्थान’ या ‘हिंदू राष्ट्र’ और पाकिस्तान या इस्लामी राष्ट्र हासिल कर सकें.’
…द्वार खड़ी औरत चिल्लाए, मेरा मरद गया नसबंदी में
कुछ साल पहले तक चुनावी चकल्लस का जरूरी हिस्सा रहने वाले नारे अब कम सुनाई पड़ते हैं. पर हम आपके लिए 50 ऐसे चुनावी नारे लेकर आए हैं जिनके सहारे कभी सत्ता की सीढ़ियां चढ़ने की कोशिश की गई थी.
टीवी पत्रकारिता का यह चेहरा हमें शर्मिंदा करता है
रिपब्लिक टीवी की संवाददाता रेयान स्कूल में मारे गए प्रद्युम्न के पिता से एक लाइव इंटरव्यू के दौरान अशोभनीय व्यवहार करती नज़र आ रही हैं.
बोलते वक़्त मोदी क्यों भूल जाते हैं कि वो देश के पीएम हैं!
‘मेरा कोई क्या बिगाड़ लेगा, मैं तो फक़ीर हूं’, ‘वे मुझे मार डालेंगे, मुझे थप्पड़ मार देना’, ‘मुझे लात मार कर सत्ता से हटा देना’, ‘मुझे फांसी पर चढ़ा देना’, ‘मुझे उलटा लटका देना’, ‘मुझे चौराहे पर जूते मारना’…. ये सब मोदी क्यों बोलते हैं?
किसी भी प्रधानमंत्री ने मोदी जैसी स्तरहीन भाषा का प्रयोग नहीं किया
मोदी ने ऐसा संगीन आरोप सिंह पर क्यों लगाया होगा? एक तो शायद पलटवार करने की गरज से: अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह ने संसद के पिछले सत्र में नोटबंदी पर अपनी दुर्लभ और संक्षिप्त तक़रीर में अपेक्षया तीखा भाषण दिया और ‘संगठित लूट’ और ‘प्लंडर’ शब्दों का प्रयोग किया.
चैनल ने कहा कि आप राहुल गांधी की मिमिक्री कर सकते हैं नरेंद्र मोदी की नहीं: श्याम रंगीला
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मिमिक्री करने के लिए मशहूर कॉमेडियन श्याम रंगीला का मोदी की मिमिक्री करता हुआ एक वीडियो (जिसमें कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की भी मिमिक्री है) सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है. श्याम का आरोप है कि स्टार प्लस ने चैनल के कार्यक्रम ‘द ग्रेट इंडिया लाफ्टर चैलेंज’ के लिए रिकॉर्ड किए गए उनके इस एक्ट को प्रसारित करने से मना कर दिया है.