राजस्थान की श्री राजपूत करणी सेना ने जनता कर्फ्यू लगाने का आह्वान किया. मध्य प्रदेश और राजस्थान में फिल्म पद्मावत के प्रदर्शन पर अनिश्चितता.
जयपुर/इंदौर/अहमदाबाद: संजय लीला भंसाली की विवादित फिल्म पद्मावत के रिलीज़ होने की परेशानियां ख़त्म होती दिखाई नहीं दे रही हैं. जहां राजस्थान सरकार की वसुंधरा राजे सरकार ने उच्चतम न्यायालय के निर्णय के ख़िलाफ़ पुनर्विचार याचिका दायर करने का निर्णय लिया है, वहीं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्पष्ट रूप से कह दिया है कि सरकार फिर से उच्चतम न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाएगी.
राजस्थान के गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि सरकार ने उच्चतम न्यायालय के फिल्म पर प्रतिबंध के निर्णय के विरुद्ध पुनर्विचार याचिका दायर करने का निर्णय लिया है.
उन्होंने कहा कि पुनर्विचार याचिका सोमवार या मंगलवार को दायर की जाएगी. उन्होंने याचिका को मज़बूती देने के लिये करणी सेना को भी याचिका में पार्टी बनने का आग्रह किया है.
करणी सेना के नेताओं के साथ एक बैठक के बाद कटारिया ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के निर्णय का अध्ययन करने के बाद सरकार ने उच्चतम न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायर करने का निर्णय लिया है. उन्होंने कहा कि सरकार का मानना है कि आमजन की भावनाओं का ध्यान रखा जाए.
उन्होंने कहा कि शनिवार की बैठक में सेना के नेताओं को आमंत्रित किया गया था और उच्चतम न्यायालय में सरकार की ओर दायर की जाने याचिका को मज़बूत करने लिए उन्हें भी पार्टी बनने का आग्रह किया गया था. करणी सेना के साथ-साथ मेवाड़ का राज परिवार भी याचिका का हिस्सा बन सकती है.
श्री राजपूत करणी सेना के संरक्षक लोकेंद्र सिंह कालवी ने संवाददाताओं से कहा कि भंसाली प्रोडेक्शन कंपनी ने श्री राजपूत करणी सेना और जयपुर के श्री राजपूत सभा एक पत्र भेजा है. लेकिन यह पत्र मूर्ख बनाने के लिए भेजा गया है. इस पत्र को जला दिया जाएगा और इसका कोई जवाब नहीं दिया जाएगा.
उन्होंने कहा कि इसमें कुछ नहीं है बल्कि यह फिल्म निर्माता द्वारा एक नाटक है. इसमें फिल्म की प्रदर्शन की कोई तारीख़ नहीं दे रखी है.
कालवी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने अपना निर्णय फिल्म के प्रतिबंध के विरोध में दिया है, लेकिन अब देश भर में रिलीज़ हो रही फिल्म को रोकने के लिए ‘जनता कर्फ्यू’ लगाया जाएगा.
उन्होंने कहा कि 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के सम्मान में हम देशव्यापी बंद का आयोजन नहीं करेंगे लेकिन अब जनता सिनेमाघरों में कर्फ्यू लगाएगी. कालवी ने कहा कि ‘जनता कर्फ्यू’ के लिए फिल्म वितरकों, सिनेमाघरों के मालिकों, और जनता को आगे आना चाहिए. उन्होंने कहा कि सेंसर बोर्ड और केंद्र सरकार अभी भी चलचित्र अधिनियम के तहत फिल्म पर प्रतिबंध लगा सकती है.
उन्होंने कहा कि यह मामला केवल राजपूत समाज का नहीं बल्कि फिल्म को लेकर पूरे देश के लोगों में असंतोष है. लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं और सरकार को फिल्म पर प्रतिबंध लगाने के लिए आगे आना चाहिए.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री हाल में बाड़मेर आए थे और उन्होंने अपने भाषण में कई राजपूत विभूतियों का ज़िक्र किया लेकिन उन्होंने रानी पद्मावती का ज़िक्र नहीं किया.
श्री राजपूत करणी सेना के अध्यक्ष महिपाल सिंह ने कहा कि सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी दूषित मानसिकता के शिकार हैं, जिसे उन्होंने फिल्म को प्रमाण पत्र जारी कर दर्शा दिया है. उन्होंने कहा कि जोशी को राजस्थान में प्रवेश नहीं करना चाहिए. उन्होंने कहा यदि वो आते हैं तो स्वयं की ज़िम्मेदारी पर आएं.
उन्होंने फिल्म के विरोध में सैनिकों से एक दिन का मैस का और एक दिन हथियार का बहिष्कार करने का आग्रह किया.
सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी 25 जनवरी से शुरू हो रहे पांच दिवसीय जयपुर लिटेचर फेस्टिवल के दौरान 28 जनवरी को हिस्सा लेने वाले हैं.
वहीं, फिल्म वितरक राज बंसल ने बताया, ‘मैं फिल्म और फिल्म के वितरण के अधिकारों को नहीं ख़रीदूंगा, क्योंकि मैं 24 जनवरी को परिवार के साथ छुट्टियों पर देश से बाहर जा रहा हूं.’
उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के निर्णय के बाद फिल्म को ख़रीदने और वितरण के अधिकार लिए जा सकते थे, लेकिन राजस्थान के लोगों की भावनाओं के दृष्टिगत उन्होंने फिल्म ख़रीदने की बजाय छुट्टियों पर जाने को प्राथमिकता दी है.
एंटरटेंनमेंट पैराडाइज़ के प्रबंधक गोविंद खंडेलवाल ने बताया कि यदि फिल्म वितरक फिल्म ख़रीदने के लिए तैयार नहीं होते तो फिल्म निर्माता फिल्म के प्रदर्शन के लिए सिनेमाघरों से संपर्क करते हैं लेकिन पद्मावत को लेकर असमंजस बरक़रार है.
राजमंदिर सिनेमा के प्रबंधक अशोक तंवर ने कहा जब वितरकों ने फिल्म के अधिकार नहीं ख़रीदे हैं तो फिल्म को परदे पर उतरने का को प्रश्न ही नहीं उठता. जो लोग फिल्म को परदे पर उतरने को लेकर हमसे पूछताछ कर रहे हैं, उन्हें हम बता रहे हैं कि हमें फिल्म के परदे पर उतरने की उम्मीद नहीं है.
राजस्थान में करीब 280 स्क्रीन है.
इससे पहले फिल्म पद्मावत पर चार राज्यों में लगे प्रतिबंध को सुप्रीम कोर्ट ने बीते 18 जनवरी को हटा दिया था. हरियाणा, मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान सरकार ने संजय लीला भंसाली की फिल्म पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिसके खिलाफ फिल्म के निर्माता वायाकॉम 18 ने सुप्रीम कोर्ट में अर्ज़ी लगाई थी.
यह फिल्म 13वीं सदी में मेवाड़ के महाराजा रतन सिंह और उनकी सेना तथा दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन ख़िलजी के बीच हुए ऐतिहासिक युद्ध पर आधारित है. इस फिल्म के सेट पर दो बार जयपुर और कोल्हापुर में तोड़फोड़ की गई और इसके निदेशक संजय लीला भंसाली के साथ करणी सेना के लोगों ने हाथापाई भी की थी.
राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और हरियाणा की सरकारों ने कानून एवं व्यवस्था का हवाला देते हुए इस फिल्म पर प्रतिबंध लगा दिया था.
लगातार विवादों में रहने की वजह से पिछले साल दिसंबर में रिलीज़ होने जा रही इस फिल्म की रिलीज़ को टाल दिया गया था.
राजस्थान की राजपूत करणी सेना और तमाम हिंदूवादी के साथ कुछ राजपूत समुदाय ने फिल्म पर आरोप लगाया है कि फिल्म में इतिहास के साथ छेड़छाड़ की गई है. लोग आरोप लगा रहे है कि फिल्म में अलाउद्दीन ख़िलजी और रानी पद्मावती के बीच ड्रीम सीक्वेंस फिल्माया गया है. हालांकि फिल्म के निर्देशक संजय लीला भंसाली ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा था कि फिल्म में ऐसा कोई दृश्य नहीं है.
इन लोगों का आरोप है कि भंसाली ने रानी पद्मावती की छवि को ‘ख़राब करने के लिए’ फिल्म में ऐतिहासिक तथ्यों को ग़लत तरीके से पेश किया गया है जिससे लाखों लोगों की भावनाएं आहत होंगी.
बीते दिसंबर महीने में केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) ने इस फिल्म यू/ए सर्टिफिकेट देने का फैसला किया और फिल्म के निर्देशक को इसका नाम ‘पद्मावती’ से बदलकर ‘पद्मावत’ करने का सुझाव दिया था, जिसके बाद फिल्म का नाम बदलकर पद्मावत कर दिया गया.
इसके अलावा फिल्म के दृश्यों में 26 कट्स लगाए गए थे. सीबीएफसी के समक्ष भी पेश हो चुके भंसाली ने बताया था कि ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर आधारित करीब 150 करोड़ रुपये की लागत से बनी उनकी फिल्म मलिक मोहम्मद जायसी रचित 16वीं सदी के ऐतिहासिक काव्य पद्मावत पर आधारित है.
मध्य प्रदेश सरकार ने दिए उच्चतम न्यायालय जाने के संकेत
मध्य प्रदेश सरकार ने शनिवार रात संकेत दिए कि वह 25 जनवरी को रिलीज़ होने जा रही विवादास्पद फिल्म पद्मावत का सूबे में प्रदर्शन रुकवाने के लिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाएगी.
चौहान से इंदौर में हुए एक कार्यक्रम के बाद मीडिया ने पूछा कि चूंकि शीर्ष अदालत ने अपने हालिया आदेश में देशभर में इस फिल्म के परदे पर उतरने का रास्ता साफ़ कर दिया है. लिहाज़ा अब इस मामले में राज्य सरकार का क्या रुख़ है?
इस पर मुख्यमंत्री ने विस्तृत जानकारी दिए बगैर कहा, ‘हम फिर उच्चतम न्यायालय की शरण में जाएंगे.’
राजपूत समाज के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के दौरान शिवराज ने गत 20 नवंबर को घोषणा की थी कि फिल्म पद्मावत को प्रदेश में प्रदर्शित होने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
मध्य प्रदेश के सिंगल स्क्रीन थियेटरों में प्रदर्शन को लेकर अनिश्चितता
भोपाल: उच्चतम न्यायालय द्वारा विवादास्पद फिल्म पद्मावत के 25 जनवरी को प्रदर्शन का रास्ता साफ करने के बावजूद मध्य प्रदेश के सिंगल स्क्रीन थियेटरों में इसके प्रदर्शन को लेकर फिलहाल अनिश्चितता का वातावरण बना है, क्योंकि प्रदेश सरकार ने इस मामले में अभी तक अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की है.
सेंट्रल सिने सर्किट एसोसिएशन के पूर्व महासचिव और प्रदेश के प्रमुख फिल्म वितरक जितेंद्र जैन ने फोन पर बताया, ‘प्रदेश सरकार के इस मामले में अब तक अपना रुख़ स्पष्ट नहीं करने के कारण प्रदेश में विशेषकर सिंगल स्क्रीन थियेटरों में फिल्म के प्रदर्शन को लेकर फिलहाल अनिश्चितता का वातावरण बना हुआ है. सिंगल स्क्रीन थियेटरों के लिए सुरक्षा प्रमुख मुद्दा है और प्रदेश सरकार ने उन्हें सुरक्षा उपलब्ध कराने में मामले में फिलहाल कुछ भी स्पष्ट नहीं किया है.’
उन्होंने कहा कि जहां तक प्रदेश के मल्टीप्लेक्स में पद्मावत के रिलीज़ होने का सवाल है तो मल्टीप्लेक्सों में इसका निर्णय देश के स्तर पर मुंबई से होता है इसलिए मल्टीप्लेक्स में फिल्म रिलीज़ होने की संभावना है.
उन्होंने कहा कि फिल्म के रिलीज़ होने में अभी भी पांच दिन का वक्त है यदि सरकार सिंगल स्क्रीन थियेटर मालिकों को सुरक्षा उपलब्ध कराती है तो इन थियेटरों में भी फिल्म का प्रदर्शन किया जा सकता है.
प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बीते शुक्रवार को कहा था कि इस मामले में कोई भी कदम उठाने से पहले प्रदेश के महाधिवक्ता को शीर्ष अदालत के आदेश का अध्ययन करने के लिए कहा गया है.
गुजरात में कुछ मल्टीप्लेक्सों नहीं करेंगे फिल्म का प्रदर्शन
गुजरात में कुछ मल्टीप्लेक्स और सिंगल स्क्रीन सिनेमाघर हिंसा के डर से संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावत को नहीं दिखाएंगे. वाइड एंगल मल्टीप्लेक्स के मालिक ने बताया कि वह तब तक फिल्म नहीं दिखाएंगे जब तक राजपूत समुदाय के नेताओं और फिल्म प्रोड्यूसरों के बीच विवाद सुलझ नहीं जाता. वाइड एंगल मल्टीप्लेक्स के अहमदाबाद शहर और मेहसाणा में थियेटर हैं.
राज्य के कई हिस्सों में फिल्म के ख़िलाफ़ प्रदर्शन जारी है लेकिन राजकोट के मल्टीप्लेक्स मालिकों के संघ ने कहा कि वे फिल्म नहीं दिखाएंगे.
मल्टीप्लेक्स मालिक संघ के राज्य अध्यक्ष मनुभाई पटेल ने कहा, ‘हमने अहमदाबाद और मेहसाणा में तब तक फिल्म न दिखाने का फैसला किया है जब तक विवाद नहीं सुलझ जाता.’
पटेल ने कहा कि अन्य मल्टीप्लेक्स के मालिक अपना फैसला ख़ुद लेंगे क्योंकि संघ ने इस मुद्दे पर कोई भी सामूहिक निर्णय नहीं किया है.
उन्होंने कहा, ‘हमने हमारी संपत्ति और दर्शकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए फिल्म की स्क्रीनिंग न करने का फैसला लिया है.’
राजकोट में राजपूत संगठन करणी सेना के प्रतिनिधियों और थियेटर मालिकों के बीच बैठक के बाद शहर में किसी भी मल्टीप्लेक्स या सिंगल स्क्रीन थिएटरों में फिल्म ना दिखाने का फैसला किया गया है.
करणी सेना की सौराष्ट्र इकाई के सचिव राजभा जाला ने दावा करते हुए कहा, ‘कोई भी थियेटर पद्मावत नहीं दिखाएगा. यह फैसला बैठक में किया गया. राजपूत समुदाय के नेताओं और मल्टीप्लेक्स तथा सिंगल स्क्रीन थियेटरों के मालिक बैठक में शामिल हुए.’
राजपूत समूहों ने फिल्म के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन स्वरूप बनासकांठा, मेहसाणा, सुरेंद्रनगर और भुज में टायरों को जलाकर सड़कों को अवरुद्ध किया.
उच्चतम न्यायालय ने पद्मावत की स्क्रीनिंग को रोकने के लिए राजस्थान और गुजरात सरकार द्वारा जारी आदेशों/अधिसूचनाओं पर रोक लगा दी है.
राजपूत महिला संगठन ने रानी पद्मावती पर कैलेंडर का लोकार्पण किया
जमशेदपुर: राजपूत महिलाओं के एक संगठन ने शनिवार को कहा कि उसका इस साल का कलेंडर रानी पद्मावती को समर्पित है. ऐसा पद्मावत फिल्म के निर्माण के विरोध स्वरूप किया गया है.
अंतरराष्ट्रीय क्षत्रिय वीरांगना फाउंडेशन (एकेवीएफ) की अंतरराष्ट्रीय महासचिव भारती सिंह ने जमशेदपुर में कहा कि एकेवीएफ ने अपने वार्षिक कैलेंडर का पांचवां संस्करण पद्मावती को समर्पित किया है ताकि रानी के बारे में सही संदेश का प्रसार किया जा सके.
सिंह ने कहा, ‘इस कैलेंडर को पेश करने का मक़सद फिल्म पद्मावत में प्रदर्शित विकृत ऐतिहासिक तथ्यों का प्रतिकार है.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)