संजय लीला भंसाली की फिल्म की रिलीज़ के ख़िलाफ़ दाख़िल पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान और मध्य प्रदेश सरकार को लगाई फटकार. 25 जनवरी को ही रिलीज़ होगी फिल्म.
नई दिल्ली/गुड़गांव: फिल्म पद्मावत को लेकर उपजे विवाद और विरोध के बीच मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश और राजस्थान सरकार की ओर से दाख़िल पुनर्विचार याचिका को ख़ारिज कर दिया. इसके साथ ही संजय लीला भंसाली की इस फिल्म की रिलीज़ का रास्ता साफ़ हो गया.
इससे पहले फिल्म पद्मावत को चार राज्यों की सरकारों ने प्रतिबंधित कर दिया था. ये राज्य मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और गुजरात थे. ग़ौरतलब है कि इन चारों राज्यों में वर्तमान में भाजपा की सरकारें हैं.
बहरहाल, इसके बाद फिल्म के निर्माताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाख़िल कर प्रतिबंध हटाने की मांग की थी. मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 25 जनवरी को पूरे देश में फिल्म पद्मावत की रिलीज़ करने का आदेश दिया था.
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बावजूद फिल्म की रिलीज़ के ख़िलाफ़ राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार और मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने पुनर्विचार याचिका दाख़िल की थी. दोनों राज्यों ने फिल्म की रिलीज़ से कानून व्यवस्था बिगड़ने का हवाला देते हुए सोमवार को याचिका दाख़िल की थी.
मंगलवार को मामले की सुनवाई करते हुए प्रधान न्यायाधीश की तीन सदस्यीय पीठ ने अपने पहले के आदेश में कोई बदलाव करने से इनकार कर दिया. पीठ ने कहा कि सभी राज्यों को सर्वोच्च अदालत के फैसले का सम्मान करना चाहिए और इसका पालन करवाना राज्य सरकारों की दायित्व है.
इस पीठ में न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ शामिल हैं.
सुप्रीम कोर्ट में राजस्थान सरकार का पक्ष रखते हुए एडिशनल सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हम कोर्ट से फिल्म पद्मावत पर रोक लगाने के लिए नहीं सिर्फ़ आदेश में कुछ बदलाव की अनुमति देने की मांग कर रहे हैं. पीठ ने कहा, ‘लोगों को यह समझना होगा कि यहां एक संवैधानिक संस्था है और वैसे भी हमने इस संबंध में आदेश पारित कर दिया है.’
नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, पीठ ने कहा कि राज्यों ने बिना मतलब की यह समस्या ख़ुद पैदा की है और इसके लिए वही ज़िम्मेदार हैं. राज्य सरकारों की ज़िम्मेदारी है कि अपने क्षेत्र में कानून-व्यवस्था बहाल करें.
पीठ ने श्री राजपूत करणी सेना और अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा की संजय लीला भंसाली की फिल्म पर रोक लगाने की याचिकाएं भी ख़ारिज कर दी हैं. गौरतलब है कि करणी सेना लगातार फिल्म के विरोध में पूरे देश में प्रदर्शन कर रही है.
बता दें कि फिल्म पद्मावत 13वीं सदी में मेवाड़ के महाराजा रतन सिंह और उनकी सेना तथा दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन ख़िलजी के बीच हुए ऐतिहासिक युद्ध पर आधारित है. इस फिल्म के सेट पर दो बार जयपुर और कोल्हापुर में तोड़फोड़ की गई और इसके निदेशक संजय लीला भंसाली के साथ करणी सेना के लोगों ने हाथापाई भी की थी.
फिल्म में दीपिका पादुकोण, रणवीर सिंह और शाहिद कपूर मुख्य भूमिकाओं में हैं.
लगातार विवादों में रहने की वजह से पिछले साल दिसंबर में रिलीज़ होने जा रही इस फिल्म की रिलीज़ को टाल दिया गया था.
राजस्थान की राजपूत करणी सेना और तमाम हिंदूवादी के साथ कुछ राजपूत समुदाय ने फिल्म पर आरोप लगाया है कि फिल्म में इतिहास के साथ छेड़छाड़ की गई है. लोग आरोप लगा रहे है कि फिल्म में अलाउद्दीन ख़िलजी और रानी पद्मावती के बीच ड्रीम सीक्वेंस फिल्माया गया है. हालांकि फिल्म के निर्देशक संजय लीला भंसाली ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा था कि फिल्म में ऐसा कोई दृश्य नहीं है.
इन लोगों का आरोप है कि भंसाली ने रानी पद्मावती की छवि को ‘ख़राब करने के लिए’ फिल्म में ऐतिहासिक तथ्यों को ग़लत तरीके से पेश किया गया है जिससे लाखों लोगों की भावनाएं आहत होंगी.
बीते दिसंबर महीने में केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) ने इस फिल्म यू/ए सर्टिफिकेट देने का फैसला किया और फिल्म के निर्देशक को इसका नाम ‘पद्मावती’ से बदलकर ‘पद्मावत’ करने का सुझाव दिया था, जिसके बाद फिल्म का नाम बदलकर पद्मावत कर दिया गया.
इसके अलावा फिल्म के दृश्यों में 26 कट्स लगाए गए थे. सीबीएफसी के समक्ष भी पेश हो चुके भंसाली ने बताया था कि ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर आधारित करीब 150 करोड़ रुपये की लागत से बनी उनकी फिल्म मलिक मोहम्मद जायसी रचित 16वीं सदी के ऐतिहासिक काव्य पद्मावत पर आधारित है.
स्क्रीनिंग नहीं रुकी तो हमारे सदस्य सिनेमाघरों में स्क्रीन को नष्ट करने से नहीं रुकेंगे: करणी सेना
संजय लीला भंसाली के निर्देशन वाली फिल्म पद्मावत के 25 जनवरी को रिलीज़ होने से पहले श्री राजपूत करणी सेना के संस्थापक लोकेंद्र सिंह कालवी ने मंगलवार को गुड़गांव में कहा कि वह इस फिल्म की स्क्रीनिंग की इज़ाज़त नहीं देंगे।
इस फिल्म का विरोध करने वाले प्रमुख संगठनों में करणी सेना भी शामिल है. इसने आरोप लगाया है कि फिल्म में ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया है.
राजपूत वाटिका में अपने समुदाय के लोगों के साथ एक बैठक में कालवी ने कहा, ‘हमें उच्चतम न्यायालय का निर्देश नहीं मिला है. शीर्ष न्यायालय ने सभी राज्य सरकारों को निर्देश दिया है, हमें नहीं. हम अपना ख़ुद का फैसला लेने के लिए स्वतंत्र हैं और फिल्म की स्क्रीनिंग के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करेंगे. यदि फिल्म की स्क्रीनिंग नहीं रोकी गई तो हमारे संगठन के सदस्य सिनेमाघरों में स्क्रीन को नष्ट करने से नहीं रुकेंगे.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)