तेलंगाना एटीएस के अधिकारी आतंकवादियों को पकड़ने आए थे, लेकिन यूपी पुलिस ने उन्हें ही आतंकी समझ लिया और लॉकअप में बंद करके पिटाई की.
उत्तर प्रदेश पुलिस कई बार अपने काम के लिए नहीं, बल्कि कारनामों के लिए चर्चा में रहती है. कभी नेता की भैंस खोजने के लिए तो कभी फ़र्ज़ी एनकाउंटर करने के लिए. अब लखनऊ में एक विवादित एनकाउंटर के साथ पुलिस ने एक और कारनामा किया है. उसने तेलंगाना एटीएस के तीन अधिकारियों को आतंकी समझ लिया और लॉकअप में बंद करके रात भर धुनाई की.
हिंदुस्तान अख़बार की ख़बर के मुताबिक, मंगलवार रात इटावा के लखना बाईपास पर स्थानीय लोगों ने आतंकी समझकर तीन लोगों को पकड़ा, उनकी पिटाई की और फिर पुलिस को सौंप दिया. लखनऊ में सैफुल्ला के एनकाउंटर के बाद प्रदेश में हाई अलर्ट था. तेलंगाना एटीएस के सभी तीन अफ़सर हिंदी नहीं बोल सकते थे इसलिए जनता और पुलिस उनकी बात समझ नहीं पाई और उनको संदिग्ध मानकर हवालात में डाल दिया. बाद में उनका एक और साथी थाने पहुंचा और अपने उच्च अधिकारियों से बात कराई, तब यूपी पुलिस यह जान सकी कि वे लोग तेलंगाना एटीएस के अधिकारी हैं और आतंकियों को पकड़ने के लिए जाल बिछा रहे थे. इसके बाद यूपी पुलिस ने उन्हें छोड़ दिया. हालांकि ये नौबत आने तक रात गुज़र चुकी थी.
वेबसाइट इंडिया संवाद ने लिखा है, ‘लखनऊ में हुई आतंकी घटना के बाद उत्तर प्रदेश अलर्ट पर था. जिसके बाद इटावा पुलिस ने मंगलवार रात तीन लोगों को आतंकी समझकर लॉकअप में बंद कर रातभर पीटा. यह घटना उस समय घटी जब लखनऊ, कानपुर, इटावा समेत कई शहरों में पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां आतंकवाद के ख़िलाफ़ आॅपरेशन चला रही थीं और लखनऊ में मुठभेड़ हो रही थी.’
बताया जा रहा है कि यूपी एटीएस ने जो भी कार्रवाई की है वह तेलंगाना और केरल एटीएस की सूचना पर आधारित है. इंडिया संवाद के मुताबिक, ‘दो दिन पहले ही तेलंगाना और केरल से आईबी को उत्तर प्रदेश में आतंकियों की गतिविधियों के बारे में इनपुट दिया गया था, इनपुट देने से पहले तेलंगाना एटीएस ने खुद भी इस पर काम शुरू कर दिया था. 15 दिन से वे यहां डेरा डाल कर खुद आतंकियों की गिरफ्तारी के लिए जाल बिछा रहे थे लेकिन उसी आॅपरेशन के बीच खुद शिकार हो गए.’