पाटण ज़िले के दूधका गांव के दलितों को पैसा जमा करने के बाद भी लगभग तीन साल से ज़मीन आवंटित नहीं की गई है. निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी ने वणकर की आत्महत्या को ‘सरकारी हत्या’ क़रार दिया है.
अहमदाबाद: जमीन आवंटन में हो रही देरी के खिलाफ आत्मदाह करने वाले 61 वर्षीय दलित कार्यकर्ता भानू वणकर की शुक्रवार रात 10 बजे एक निजी अस्पताल में मौत हो गई. गुरुवार को दोपहर में उन्होंने पाटण जिलाधिकारी कार्यालय के बाहर खुद को आग लगा ली थी.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, वडगाम के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी ने घटना पर नाराज़गी जताते हुए अपनी प्रेस रिलीज़ में इसे ‘सरकारी हत्या’ कहा है और मांग की है कि शनिवार 4 बजे तक अगर जिम्मेदार लोगों की गिरफ्तारी नहीं होती, तो वे अहमदाबाद-मेहसाणा हाईवे जाम कर देंगे.
वणकर गुजरात के मेहसाणा जिले के उंझा कस्बे का निवासी थे. राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच (आरडीएएम) के सह संयोजक सुबोध परमार ने कहा कि भानूभाई 90 फीसदी झुलस गए थे और इलाज के दौरान अस्पताल में उनकी मौत हो गई. वे राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच के सक्रिय सदस्य थे.
राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच के संयोजक निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी हैं.
मेवाणी ने मामले में जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को निलंबित करने की मांग करते हुए कहा, ‘हम चाहते हैं कि मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया जाए और घटना के लिए जिम्मेदार राजस्व और पुलिस अधिकारियों का नाम भी एफआईआर में दर्ज किया जाना चाहिए. मुख्यमंत्री विजय रूपाणी अभी तक पीड़ित परिवार से मिलने भी नहीं गए, जो गांधीनगर के अस्पताल में है.’
शुक्रवार को पाटण पुलिस ने अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है. विधायक अल्पेश ठाकोर, शैलेश परमार, नौशाद सोलंकी, चंदनसिंह ठाकोर और कीर्ति पटेल की जिलाधिकारी और एसपी से चार घंटों की बातचीत के बाद मामला दर्ज किया गया.
इससे पहले गुजरात के मुख्यमंत्री ने दलित कार्यकर्ता के आत्मदाह के प्रयास की जांच का आदेश भी शुक्रवार को दे दिया था. रूपाणी ने दुख प्रकट करते हुए कहा था कि वणकर के इलाज का खर्च सरकार वहन करेगी. एक बयान में रूपाणी ने कहा कि मुख्य सचिव जेएन सिंह को घटना की जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई है.
वणकर एक रिटायर्ड तलाटी (पटवारी) थे और आरडीएएम से जुड़े रहे थे. उन्होंने 17 जनवरी को अपने साथी हेमा वणकर और रामा चमार के साथ मुख्यमंत्री रूपाणी को पत्र लिखकर कहा था कि अगर समी तालुका के दूधका गांव में दलितों को जमीन आवंटित नहीं होती, तो वे खुद को आग लगाकर आत्मदाह कर लेंगे.
दूधका गांव के दलित लगभग तीन साल से जमीन आवंटन की मांग कर रहे हैं. दलितों ने योजना के तहत पैसा भी जमा करवा दिया था. जिलाधिकारी ने एक हफ्ते के भीतर जमीन आवंटन की प्रक्रिया शुरू करने की बात कही है.
राधनपुर से कांग्रेस विधायक अल्पेश ठाकोर ने मामले को शर्मनाक बताते हुए इंडियन एक्सप्रेस से फ़ोन पर कहा, ‘अभी तक इस मामले को लेकर सरकार की तरफ से कोई औपचारिक बयान क्यों नहीं आया? ये बहुत बड़ा मुद्दा है और हम इसे विधानसभा में उठाएंगे. एक व्यक्ति अपने अधिकार के लिए खुद को आग के हवाले कर देता है और अगर आजादी के इतने वर्षों बाद भी ऐसी स्थिति है तो ये देश के लिए शर्म की बात है.’
पाटण जिले के एसपी अश्विन चौहान ने मामले की जांच का आश्वासन देते हुए कहा, ‘हमने अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है. आत्महत्या के लिए मजबूर करने और एससी/एसटी एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है.’
(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)