सपा और बसपा ने कहा कि इस पैसे का इस्तेमाल ग़रीबों के कल्याण के लिए किया जा सकता था.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश निवेशक सम्मेलन 2018 (इन्वेस्टर्स समिट) के लिए राजधानी के सौंदर्यीकरण पर 65 करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च की गयी.
जिला प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सम्मेलन के लिए राजधानी के सौंदर्यीकरण पर 66.15 करोड़ रुपये खर्च हुए.
इसमें लखनऊ नगर निगम ने सबसे अधिक 24.25 करोड़ रुपये खर्च किये. लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) ने लगभग 13 . 08 करोड़ रुपये खर्च किये. लोक निर्माण विभाग ने 12 . 58 करोड़ रुपये खर्च किये.
राज्य में होने वाला यह अब तक का सबसे बड़ा सम्मेलन था. इसके लिए 22 चार्टर्ड विमान, 12 से अधिक लक्जरी होटलों में 300 कमरों की व्यवस्था की गयी थी.
इसके अलावा शहर भर में सड़कों का निर्माण हुआ, उन्हें दुरुस्त किया गया. पूरे शहर में होर्डिंग एवं पोस्टर लगाये गये और रंग-बिरंगी रोशनी से राजधानी को सजाया गया.
बिज़नेस स्टैंडर्ड के अनुसार इस 65 करोड़ के खर्च में इस समारोह के प्रचार और 6 मेट्रो शहरों (मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु, कोलकता, हैदराबाद और अहमदाबाद) में हुए रोड शो के खर्च को नहीं जोड़ा गया है. इसके अलावा विभिन्न मंत्रियों और अधिकारियों की अलग-अलग टीमें अहमदाबाद सहित कई शहरों में उद्योगपतियों से मिलने और उनके यहां हुए निवेशक सम्मेलनों के बारे में समझने गयी थी.
हालांकि सरकार की ओर से इस बारे में अभी कोई जानकारी नहीं दी गई है, लेकिन ऐसा अंदाजा है कि सम्मलेन की तैयारियों, प्रचार और ट्रांसपोर्ट को मिलाकर सम्मलेन का कुल खर्च 1 अरब रुपये के करीब होगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 फरवरी को निवेशकों के इस सम्मेलन का उद्घाटन किया और 22 फरवरी को समापन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया.
विपक्ष ने बताया धन की बर्बादी
विपक्षी सपा और बसपा ने राज्य सरकार पर निवेशक सम्मेलन के नाम पर धन की ‘बर्बादी’ का आरोप लगाते हुए कहा कि इस धन का इस्तेमाल गरीबों के कल्याण के लिए किया जा सकता था.
बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि कि उद्योग-धंधे लगवाने के लिये कानून-व्यवस्था का दुरुस्त होना जरूरी है मगर मौजूदा हालात में तो ऐसा नहीं लगता कि निवेशक यहां आने में कोई खास रुचि लेंगे. लिहाजा इस बात की पूरी आशंका है कि जनता की गाढ़ी कमाई का अरबों रुपया खर्च करके हुई यह ‘इन्वेस्टर्स समिट’ राजनीतिक अखाड़ेबाजी के साथ-साथ ‘शो-बाजी’ मात्र ही बनकर रह जायेगी.
उधर, सपा ने कहा कि बड़ी शानशौकत के साथ भाजपा ने राजधानी लखनऊ में निवेशकों का जो मेला आयोजित किया, उसमें निवेशकों की ओर से वादे तो बड़े-बड़े किये गये लेकिन उनमें से कितने जमीनी हकीकत बनेंगे, कहना मुश्किल है. ऐसा लगता है कि प्रदेश की जनता विशेषकर नौजवानों को सब्जबाग दिखाने के लिए लोकसभा चुनाव के पहले की यह रणनीति है.
बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि सम्मेलन पर खर्च किये गये धन से गरीबों, मजदूरों तथा बेरोजगार युवाओं तथा बाकी जनता के कल्याण के अनेक महत्वपूर्ण कार्य हो सकते थे.
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र तथा कई अन्य राज्यों के बाद अब उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार पर भी ‘निवेशक सम्मेलन’ का बुखार चढ़ गया है. पूरी सरकार इसे ही सबसे बड़ी जनसेवा और विकट जनसमस्याओं का हल मानकर व्यस्त रही और सरकारी धन को पानी की तरह बहाया गया.
बसपा प्रमुख ने आरोप लगाया कि इन्वेस्टर्स समिट भाजपा सरकार की घोर नाकामियों से ध्यान हटाने का जरिया भी बन गयी है.
सपा के राष्ट्रीय सचिव राजेंद्र चौधरी ने कहा, ‘यह संयोग ऐसे ही नहीं है कि एक ओर भाजपा सरकार ने उत्तर प्रदेश में करोड़ों रुपये विज्ञापन और शहर की साफ-सफाई तथा सुरक्षा व्यवस्था पर खर्च कर वाहवाही लूटने की कोशिश की है, वहीं भाजपा का मातृ संगठन आरएसएस वाराणसी में अपने प्रदर्शन के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर में तीन लाख से ज्यादा स्वयंसेवकों को जुटाकर शक्ति प्रदर्शन करने जा रहा है. यह 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों से पहले यह ध्रुवीकरण की नई साजिश होगी. आश्चर्य है कि चार साल कि चुप्पी के बाद अचानक इतनी तेजी कहां से आ गई?’
उन्होंने कहा, ‘प्रदेश का भविष्य में कायाकल्प करने का इरादा रखने वाली भाजपा की संकीर्ण मानसिकता का पता इसी से चल जाता है कि प्रदेश के विकास में अखिलेश यादव के योगदान को स्वीकार करने में उसे पसीना छूटता है. प्रदेश में अवस्थापना सुविधाओं का विस्तार कर अखिलेश यादव ने ही निवेशकों के आने की आधार भूमि तैयार की थी.’
इस बीच, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पाण्डेय ने कहा, ‘योगी सरकार के सशक्त कानून व्यवस्था, भ्रष्टाचार से मुक्ति की ओर बढ़े हुए सशक्त कदमों ने इन्वेस्टर्स समिट के आयोजन का हौसला दिया और सफल आयोजन ने सरकार की ईमानदार नीयत पर मुहर लगा दी.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)