पत्रकार संदीप शर्मा के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी करते हुए कहा है कि पत्रकार द्वारा सुरक्षा मांगने के बावजूद उसे सुरक्षा न देना राज्य सरकार की लापरवाही है.
संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भारत में दो पत्रकारों की कथित हत्या और विश्वस्तर पर मीडियाकर्मियों के साथ हो रही हिंसा के प्रति चिंता जाहिर की है.
महासचिव के उप प्रवक्ता फरहान हक ने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में मंगलवार को कहा, ‘हम निश्चित तौर पर विश्व में कहीं भी पत्रकारों के खिलाफ हो रहे किसी भी तरह के उत्पीड़न और हिंसा को लेकर चिंतित हैं और इस मामले में भी हमारा रुख यही है.’
हक से भारत में दो पत्रकारों की हत्या के मामले पर संयुक्त राष्ट्र की प्रतिक्रिया पूछे जाने पर उन्होंने यह जवाब दिया.
गौरतलब है कि सोमवार को मध्य प्रदेश के भिंड जिले के एक स्थानीय समाचार चैनल में काम करने वाले 35 वर्षीय संदीप शर्मा की ट्रक से कुचलकर मौत हो गई थी. परिवार ने दावा किया कि उनकी हत्या की गई थी. संदीप ने अवैध रेत खनन पर एक स्टिंग ऑपरेशन किया था, जिसमें उन्होंने रेत माफिया और पुलिस के गठजोड़ का भांडाफोड़ किया था.
स्टिंग ऑपरेशन के बाद संदीप ने अपनी जान को खतरा बताया था. इस मामले में जांच के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी है.
दूसरी ओर, बिहार में दैनिक भास्कर के पत्रकार नवीन निश्चल भोजपुर जिले के आरा में एक वाहन द्वारा कुचले गए दो लोगों में शामिल थे. परिवार ने आरोप लगाया है कि उनकी हत्या के पीछे गांव के पूर्व प्रधान का हाथ है.
प्रेस की स्वतंत्रता और पत्रकारों के अधिकार के लिए काम करने वाली अमेरिकी संस्था कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (सीपीजे) ने भी पत्रकारों के साथ घटित इन हत्याओं की निंदा की है और भारतीय अधिकारियों से कहा है कि वे हत्या के पीछे के मकसद का निर्धारण करें और शर्मा की मौत के लिए जिम्मेदार लोगों के साथ न्याय करें.
शर्मा के भांजे और सहकर्मी विकास पुरोहित, जो घटना के प्रत्यक्षदर्शी हैं, ने सीपीजे को बताया कि वे शर्मा को एक स्थानीय अस्पताल लेकर गए थे जहां शर्मा को मृत घोषित कर दिया गया था.
पुरोहित ने कहा, ‘ उन्हें और संदीप को अवैध रेत खनन और पुलिस के भ्रष्टाचार से संबंधित दो खबरें जुलाई और अक्टूबर 2017 में चलाने के बाद से जान से मारने की धमकियां मिल रही थीं.’
अमेरिका के वॉशिंगटन से सीपीजे के एशिया प्रोग्राम कॉर्डिनेटर स्टीवन बटलर ने कहा, ‘जिम्मेदार अधिकारियों को संदीप शर्मा की हत्या की जांच करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि क्या उन्हें उनकी पत्रकारिता के चलते निशाना बनाया गया था.’
उन्होंने आगे कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना स्थानीय प्रशासन की असफलता है कि वे एक पत्रकार को पर्याप्त सुरक्षा नहीं दे सके जिसे जान से मारने की धमकियां मिल रही थीं.’
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मध्य प्रदेश सरकार को भेजा नोटिस
दूसरी ओर संदीप के मामले में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है. राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘आयोग ने संदीप शर्मा की मौत के बारे में मीडिया में छपी रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए आज मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव एवं पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी किया है और उनसे इस मामले की विस्तृत रिपोर्ट चार सप्ताह में देने को कहा गया है.’
आयोग ने कहा कि अगर यह समाचार सही है, तो यह प्रशासन विशेष रूप से पुलिस अधिकारियों की ओर से लापरवाही की ओर इशारा करता है. पत्रकार द्वारा कथित तौर पर अधिकारियों को दिये आवेदन में रेत माफिया से अपनी जान को खतरा बताया था और सुरक्षा की मांग के बाद भी उसकी जान को बचाने एवं उसे सुरक्षा देने के लिए उचित कदम नहीं उठाना राज्य सरकार की लापरवाही बताता है.
आयोग ने साथ ही कहा कि संदीप की मौत मानवाधिकार एवं लोकतांत्रिक मूल्यों के उल्लंघन को भी दर्शाता है.
विकास पुरोहित ने पुलिस थाने में अपनी शिकायत में सोमवार को बताया था कि संदीप शर्मा ने मध्यप्रदेश के पुलिस महानिदेशक, पुलिस महानिरीक्षक, भिण्ड पुलिस अधीक्षक एवं मानव अधिकार आयोग से कई बार आवेदन देकर रेत माफियाओं से अपनी जान को खतरा बताते हुये सुरक्षा की मांग की थी.
हालांकि, आयोग ने कहा कि उसे संदीप की ओर से ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली थी, जिसका उल्लेख समाचारों में है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)