श्रीनगर में वरिष्ठ पत्रकार शुजात बुख़ारी की गोली मारकर हत्या

राइज़िंग कश्मीर अख़बार के संपादक शुजात बुख़ारी पर जिस समय हमला हुआ उस वक़्त वह अपने दफ़्तर से इफ़्तार पार्टी के लिए निकल रहे थे. कार पर हुए हमले में उनके दोनों सुरक्षा अधिकारियों की भी मौत हो गई.

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राइज़िंग कश्मीर अख़बार के संपादक शुजात बुख़ारी पर जिस समय हमला हुआ उस वक़्त वह अपने दफ़्तर से इफ़्तार पार्टी के लिए निकल रहे थे. कार पर हुए हमले में उनके दोनों सुरक्षा अधिकारियों की भी मौत हो गई.

Shujaat Bukhari The Wire
पत्रकार शुजात बुख़ारी. (फोटो: द वायर)

श्रीनगर: वरिष्ठ पत्रकार एवं राइज़िंग कश्मीर के संपादक शुजात बुख़ारी और उनके दो निजी सुरक्षा अधिकारियों (पीएसओ) हामिद चौधरी और मुमताज़ अवान की गुरुवार शाम जम्मू कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में उनके कार्यालय के बाहर आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी.

पुलिस के अधिकारियों ने बताया कि 50 वर्षीय बुख़ारी यहां लाल चौक पर प्रेस एनक्लेव स्थित अपने कार्यालय से एक इफ़्तार पार्टी के लिए जा रहे थे कि तभी उन पर गोलियां चलाई गई.

वह राष्ट्रीय दैनिक ‘द हिंदू’ के लिए भी संवाददाता के तौर काम कर चुके थे.

इस घटना का ब्योरा देते हुए पुलिस ने एक बयान में बताया कि गुरुवार शाम आतंकवादियों ने प्रेस एनक्लेव में राइज़िंग कश्मीर के प्रधान संपादक शुजात बुख़ारी पर गोलियां चलाईं.

बयान में कहा गया है, ‘शुजात बुख़ारी प्रेस एनक्लेव के पास अपनी कार में थे कि तभी उन पर अंधाधुंध गोलियां चलाई गईं. मौके पर ही उनकी और उनके एक पीएसओ हामिद चौधरी की मौत हो गई. दूसरे पीएसओ को गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया जहां उसने दम तोड़ दिया.’

बयान में कहा गया है, ‘प्राथमिक जांच से… संकेत मिला है कि यह आतंकवादी हमला था. पुलिस मामले की जांच कर रही है और वह इस नृशंस हरकत की निंदा करती है.’

पुलिस के अनुसार, संभवत: तीनों अज्ञात हमलावर बुख़ारी का इंतज़ार कर रहे थे, क्योंकि (माना जाता है कि) उन्हें पता था कि कब बुख़ारी कार्यालय से निकलने वाले हैं. जिस वाहन में बुख़ारी बैठे, हमलावरों ने उस पर अंधाधुंध गोलियां चलाईं और फिर निजी सुरक्षा अधिकारी अब्दुल हामिद का हथियार लेकर मोटसाइकिल से भाग गए. यह पीएसओ घटनास्थल पर ही मारे गए.

हमले में एक अन्य पुलिसकर्मी तथा एक आम नागरिक घायल हुए हैं. अधिकारियों ने बताया कि हमले में घायल दोनों लोगों की हालत गंभीर है.

बुख़ारी के परिवार में पत्नी तहमीना, बेटा तमहीद और बेटी दुरिया हैं. उनके भाई बशारत बुख़ारी पीडीपी के वरिष्ठ नेता और महबूबा मुफ़्ती सरकार में उद्यान, कानून, न्याय और संसदीय मामलों के मंत्री हैं.

हमले में घायल दूसरे पीएसओ हमीद को श्री महाराजा हरि सिंह (एसएमएचएस) अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां इलाज के दौरान उन्होंने भी दम तोड़ दिया. दोनों सुरक्षा अधिकारी सीमा से लगे कुपवाड़ा ज़िले के करनाह इलाके के रहने वाले थे.

ईद के ठीक पहले हुई इन हत्याओं ने सभी को झकझोर कर रख दिया है. लोगों ने शुजात बुख़ारी की हत्या की निंदा की है. जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती बुख़ारी की हत्या की निंदा करते हुए भावुक हो गईं और उन्होंने कुछ पहले ही उनके साथ हुई अपनी एक मुलाकात याद किया.

उन्होंने अपने आंसू रोकने की कोशिश करते हुए कहा, ‘मैं क्या कह सकती हूं. कुछ ही दिन पहले वह मुझसे मिलने आए थे.’

महबूबा ने कहा कि बुख़ारी की हत्या से आतंकवाद का चेहरा सामने आया है, ‘वह भी ईद की पूर्व संध्या पर. शांति बहाल करने के हमारे प्रयासों के विरुद्ध खड़ी शक्तियों के ख़िलाफ़ हमें एकजुट होना चाहिए.’

उन्होंने टि्वटर पर कहा, ‘आतंकवाद की बुराई ने ईद की पूर्व संध्या पर अपना घिनौना चेहरा दिखाया है. मैं इस बर्बर हिंसा के कृत्य की कड़ी निंदा करती हूं और ईश्वर से प्रार्थना करती हूं कि उनकी (बुख़ारी) आत्मा को शांति मिले. उनके परिवार के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं.’

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2006 में कुछ अज्ञात बंदूकधारियों ने श्रीनगर के रेज़िडेंसी रोड से उनका अपहरण कर लिया था.

कुछ किलोमीटर चलने के बाद बंदूकधारियों ने चलती आॅटो से उन्हें बाहर फेंक दिया था और उन पर फायरिंग की थी. हालांकि उनकी पिस्तौल काम नहीं की, जिसकी वजह से बाल-बाल बच गए थे.

इस घटना के बाद जम्मू कश्मीर सरकार ने उनकी सुरक्षा के लिए पुलिसकर्मियों की तैनाती कर दी थी.

बुख़ारी साहित्यिक गतिविधियों में ख़ासा सक्रिय थे. वह घाटी की सबसे पुराने और सबसे बड़े साहित्यिक और सांस्कृतिक संगठन ‘अदबी मरकज़ कामराज़’ के दो साल तक अध्यक्ष भी रहे थे. कश्मीरी भाषा को स्कूलों में बढ़ावा देने के लिए भी वे सक्रिय थे.

ब्रिटिश संगठन कॉन्सिलिएशन रिसोर्सेस के साथ भी बुख़ारी काम कर चुके थे. ये संगठन संघर्षग्रस्त इलाकों में हिंसा रोकने और शांति स्थापित करने के लिए काम करता है. उन्होंने कश्मीर घाटी में कई शांति सम्मेलनों के आयोजनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. वे पाकिस्तान के साथ ट्रैक -2 प्रक्रिया का भी हिस्सा थे.

10 साल पहले ‘राइज़िंग कश्मीर’ अख़बार शुरू करने से पहले बुख़ारी ने ‘द हिंदू’ अख़बार के कश्मीर संवाददाता के रूप में भी काम किया था.

शुजात अंग्रेज़ी दैनिक ‘राइज़िंग कश्मीर’ का संपादक होने के अलावा उर्दू दैनिक ‘बुलंद कश्मीर’ और कश्मीरी डेली ‘संगरमाल’ के भी संपादक थे. ये तीनों अख़बार कश्मीर मीडिया हाउस (केएमएच) की ओर प्रकाशित किए जाते हैं.

राइज़िंग कश्मीर की रिपोर्ट के अनुसार, शुजात का शव उत्तर कश्मीर के बारामुला ज़िले के क्रीरी ले जाया गया है, जो कि उनका पैत्रिक गांव है. शुक्रवार को उनके पुरखों के कब्रिस्तान में उन्हें दफनाया जाएगा.

बुख़ारी कश्मीर में तीन दशक से जारी हिंसा में आतंकवादियों के हाथों मारे गए चौथे पत्रकार हैं. 1991 में अलसफा के संपादक मोहम्मद शबान वकील की आतंकवादियों ने हत्या कर दी थी. 1995 में बम धमाके में पूर्व बीबीसी संवाददाता यूसुफ जमील बाल-बाल बच गए लेकिन एएनआई के कैमरामैन की जान चली गई थी. 31 जनवरी 2003 को नाफा के संपादक परवेज़ मोहम्मद सुल्तान की आतंकवादियों ने हत्या कर दी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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