केरल में 15 दिन से जारी बारिश की वजह से अब तक 45 लोगों की मौत. दिल्ली-एनसीआर में धुंध की वजह से प्रदूषण बरक़रार. पंजाब और हरियाणा में धूल भरी धुंध से थोड़ी राहत.
गुवाहाटी/अगरतला/कोझिकोड/नई दिल्ली/चंडीगढ़: पूर्वोत्तर के विभिन्न राज्योंं में जहां बाढ़ का कहर जारी है, वहीं केरल में पिछले 15 दिनों से जारी बारिश की वजह से लोगों को विभिन्न समस्याओं का समस्या का सामना करना पड़ रहा है.
पूर्वोत्तर में बाढ़ और इससे जुड़े हादसों में जहां 13 लोग जान गंवा चुके हैं वहीं केरल बारिश से जुड़े हादसों की वजह से अब तक 45 लोग मारे जा चुके हैं.
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार बाढ़ से पूर्वोत्तर के राज्यों में तकरीबन आठ लाख लोग प्रभावित हुए हैं. असम में तकरीबन चार लाख लोग प्रभावित हुए हैं, वहीं मणिपुर में 1.5 लाख लोग प्रभावित हुए हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, त्रिपुरा में 50 हज़ार से ज़्यादा लोग कैंपों में रह रहे हैं. राज्य में 5400 हेक्टेयर की फसल बर्बाद हो चुकी है.
इसके उलट राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के अलावा पश्चिमी उत्तर प्रदेश का कुछ हिस्सा, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान का कुछ हिस्सों में रहने वाले लोग गर्मी के अलावा धूल भरी धुंध की वजह से परेशान हैं.
इस वजह से दिल्ली-एनसीआर के वातावरण में प्रदूषण का ख़तरनाक स्तर पर पहुंच गया है. वातावरण में यह धुंध पिछले पांच दिनों से बनी हुई है.
पूर्वोत्तर के विभिन्न राज्यों में बाढ़ से स्थितियां और खराब हो गई हैं. मणिपुर में चार लोगों और त्रिपुरा में एक व्यक्ति की मौत के साथ पूर्वोत्तर में बाढ़ से अब तक 13 लोगों की मौत हो चुकी है.
कुछ मार्गों पर ट्रेन सेवा ठप होने और सड़कों के बह जाने से असम, त्रिपुरा और मणिपुर में स्थिति ज़्यादा ख़राब हैं.
असम में बाढ़ की स्थिति और बिगड़ने के साथ राज्य के सात ज़िलों में तकरीबन चार लाख लोग प्रभावित हुए हैं.
असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एएसडीएमए) के मुताबिक होजाई, कार्बी आंगलांग पूर्व, कार्बी आंगलांग पश्चिम, गोलाघाट, करीमगंज, हैलाकांडी और कछार ज़िले में 3.87 लाख लोग प्रभावित हुए हैं.
बीते 15 जून को जारी रिपोर्ट के मुताबिक सबसे ज़्यादा हैलाकांडी में 2.06 लाख लोग, इसके बाद करीमगंज में तकरीबन 1.33 लाख लोग प्रभावित हुए हैं. 14 जून तक सात जिले में 1.67 लाख लोग प्रभावित हुए थे.
असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एएसडीएमए) ने 15 जून को बताया कि फिलहाल 668 गांव बाढ़ की चपेट में हैं और 1912 हेक्टेयर फसल बर्बाद हुयी है. गुवाहाटी शहर में चार जगहों पर भूस्खलन हुआ लेकिन किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है.
बंदरखल और दामछड़ा स्टेशनों के बीच ज़मीन खिसकने के कारण लामडिंग बदरपुर खंड पर रेल सेवा ठप है.
राज्य के विभिन्न हिस्से में भूस्खलन और बाढ़ जनित घटनाओं में अब तक तीन लोगों की मौत हो चुकी है. बाढ़ की वजह से त्रिपुरा में तीन और मणिपुर में अब सात लोगों की मौत हो चुकी है.
बंदरखल और दामछड़ा स्टेशनों के बीच ज़मीन खिसकने के कारण लामडिंग बदरपुर खंड पर रेल सेवा ठप है.
मणिपुर में बाढ़ से सात लोगों की मौत
इम्फाल: मणिपुर के इम्फाल वेस्ट ज़िले में बाढ़ की वजह से एक व्यक्ति की मौत के बाद मृतकों की कुल संख्या बढ़कर सात हो गई है.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इम्फाल में शनिवार सुबह बारिश में कमी आई लेकिन थाउबल, इम्फाल वेस्ट और बिष्णुपुर में स्थिति में अब भी सुधार नहीं हुआ है.
राहत एवं आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा जारी एक रिपोर्ट में बताया गया है कि इम्फाल वेस्ट ज़िले में 16 जून को नदी में डूबने से एक मछुआरे की मौत हो गई. राज्य के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में अब भी बहुत संख्या में लोग फंसे हुए हैं.
रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य में बाढ़ से क्षतिग्रस्त हुए मकानों की संख्या बढ़ कर 22,624 हो गई है.
सरकार द्वारा जारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि 15 जून को इम्फाल ईस्ट ज़िले के अराप्ती और कियामगई क्षेत्र से असम राइफल्स ने 550 लोगों को बचाया था.
मणिपुर में बाढ़ग्रस्त दो जिलों में 1.5 लाख से अधिक लोग प्रभावित हैं और स्थिति काफी ख़राब है. आपदा प्रबंधन विभाग ने बताया है कि इम्फाल घाटी में स्थिति बदतर हो गई है.
ताज़ा रिपोर्टों के अनुसार, 5,200 लोग क्षेत्र छोड़कर बाहर चले गए हैं. 101 राहत शिविरों में कम से कम 15,100 लोगों को शरण उपलब्ध कराई गई है.
मणिपुर में बाढ़ के कारण ख़राब स्थिति पर चिंतित राज्यपाल नज़मा हेपतुल्ला ने बीते शुक्रवार को कहा कि वह बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए राज्यपाल राहत कोष में एक दिन का वेतन देंगी.
हेपतुल्ला ने संवाददाताओं से कहा कि राजभवन के तमाम कर्मचारी एक दिन के वेतन का योगदान देंगे और दूसरों से भी मदद की अपील की गई है.
मिज़ोरम में बाढ़ के कारण अब तक 1,066 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है. राज्य आपदा प्रबंधन और पुनर्वास विभाग के अधिकारियों ने 15 जून को यह जानकारी दी.
सबसे ज़्यादा दक्षिण मिज़ोरम का लुंगलेई ज़िला प्रभावित हुआ है. तलाबुंग कस्बा और पास के गांव बाढ़ की चपेट में है. अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रीय राजमार्ग 54 से मलबा हटाने का कार्य किया गया. बाढ़ के कारण सड़क का एक हिस्सा बह गया है.
त्रिपुरा में बाढ़ से कुछ राहत, राहत शिविरों में रह रहे 40,000 हज़ार लोग
त्रिपुरा में बाढ़ से पनपे हालात में शनिवार को कुछ सुधार हुआ है जबकि राज्य भर के 189 राहत शिविरों में अब भी 40 हज़ार से ज़्यादा लोग फंसे हुए हैं. आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी.
राजस्व विभाग के उपसचिव शंकर चक्रवर्ती ने बताया कि मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने बीते 15 जून को उनाकोटी ज़िले के बुरी तरह प्रभावित सब डिवीज़न कैलाशहर और कुमारघाट का दौरा किया था.
16 जून की शाम को उन्होंने लोक निर्माण विभाग, जल संसाधन, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण के प्रमुखों की एक समीक्षा बैठक बुलाई है.
चक्रवर्ती ने बताया कि मुख्यमंत्री ने राज्य के अधिकारियों से असहाय लोगों तक जल्द से जल्द राहत सामग्री और चिकित्सा सहायता पहुंचाने को कहा है.
साथ ही उन्होंने बताया कि बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित कैलाशहर सबडिवीज़न में भारतीय वायु सेना के दो हेलीकॉप्टरों को खाना, पानी, दवाइयां आदि लेकर पहले ही भेजा जा चुका है. यहां बाढ़ के चलते 21,000 लोग बेघर हो गए. इन्हें राहत शिविरों में रखा गया है.
चक्रवर्ती ने बताया, ‘राष्ट्रीय आपदा मोचन बल, असम राइफल्स और त्रिपुरा स्टेट राइफल्स के कर्मचारियों को बाढ़ राहत कार्यों में लगाया गया है और बाढ़ से प्रभावित इलाकों में तलाश जारी है ताकि मालूम हो सके कि कहीं कोई फंसा हुआ तो नहीं है.’
नॉर्थ-ईस्ट फ्रंटियर रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि लुमदिंग-बदरपुर खंड पर रेल सेवाएं अब भी निलंबित हैं क्योंकि भारी बारिश के चलते हुए भू-स्खलन से उस मार्ग पर पटरियां और सुरंग टूट गई हैं.
मालूम हो कि त्रिपुरा में बाढ़ की स्थिति बीते शुक्रवार को और बिगड़ गई थी. बारिश के कारण खोवई नदी का पानी कुछ और इलाकों में घुस गया जिससे हज़ारों लोग बेघर हो गए और सड़कों तथा फसलों को नुकसान पहुंचा. बाढ़ से जुड़ी घटनाओं में अब तक तीन लोगों की मौत हो चुकी है.
त्रिपुरा और असम से 3600 से ज़्यादा लोगों को बचाया गया: एनडीआरएफ
एनडीआरएफ ने बीते 15 जून को बताया कि त्रिपुरा और असम के बाढ़ प्रभावित इलाके से 3600 से ज़्यादा लोगों को बचाया गया है.
केंद्रीय राहत और बचाव बल के करीब 450 कर्मचारियों वाले 10 दलों को त्रिपुरा में बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए तैनात किया गया है.
एनडीआरएफ के एक प्रवक्ता ने बताया, ‘एनडीआरएफ की टीमों ने राज्य में अब तक 3600 से ज़्यादा लोगों को बचाया और राहत तथा बचाव अभियान अभी भी जारी है.’
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय आपदा राहत बल (एनडीआरएफ) की टीम प्रभावित इलाके में पेयजल, खाना, नाश्ता तथा दवा भी बांट रही है.
अधिकारियों ने बताया कि बारिश से खोवाई नदी में उफान के कारण त्रिपुरा के कुछ और इलाके बाढ़ग्रस्त हो गए हैं. इस वजह से हज़ारों लोग बेघर हो गए हैं और सड़कों तथा फसल को नुकसान हुआ है.
उन्होंने बताया कि असम के कई इलाकों में बाढ़ के कारण 235 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया. असम में भी शुक्रवार को बाढ़ से स्थिति और खराब हो गई. राज्य के सात ज़िलों में चार लाख लोग प्रभावित हुए हैं.
करीमगंज, हैलाकांडी, सोनितपुर, बोंगाइगांव, गुवाहाटी, सिल्चर, बारपेटा, तिनसुकिया, धेमाजी और गोलाघाट में राहत और बचाव की कम से कम 10 टीम तैनात की गई है.
केरल में लगातार बारिश से हुई घटनाओं में अब तक 45 लोगों की मौत
केरल में मानसून के आगमन के बाद वर्षा जनित घटनाओं में मृतकों की संख्या बीते 15 जून तक 45 हो गई.
अधिकारियों ने बताया कि कटिपारा में भूस्खलन के बाद मलबे से डेढ़ वर्षीया रीफा मरियम का शव मिला. वडाकरा तालुक में अभिनव (17) अचानक आई बाढ़ की चपेट में आ गया.
भूस्खलन में मरियम की मां के भी लापता होने की खबर है.
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, केरल के कोझिकोड के कट्टीपारा में 14 जून को बारिश की वजह से हुए भूस्खलन में मरने वालों की संख्या आठ हो गई है, जबकि छह लोग अभी भी लापता हैं. वहीं कर्नाटक के हासन समेत कई तटवर्ती ज़िलों में बाढ़ के हालात पैदा हो गए हैं.
मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन ने जान-माल का नुकसान झेलने वाले परिवारों को मुआवजा राशि देने को कहा है. तिरुवनंतपुरम में जिलाधिकारी कार्यालय में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिये उन्होंने जिलाधिकारियों को निर्देश दिया.
राज्य के मंत्री टीपी रामकृष्णन और एके शशींद्रण ने कोझिकोड ज़िले में प्रभावित इलाके का दौरा किया. दमकल और बचाव दल तथा पुलिस के साथ स्थानीय लोग भी लापता लोगों की तलाश में जुटे हैं.
दिल्ली में प्रदूषण पांचवें दिन भी ‘ख़तरनाक’ स्तर पर
दिल्ली में प्रदूषण का स्तर शनिवार को कुछ कम हुआ लेकिन अब भी वह ‘ख़तरनाक’ स्तर पर बना हुआ है. अधिकारियों ने उम्मीद जताई कि प्रदूषक तत्वों के कम होने के कारण दिन में वायु की गुणवत्ता में सुधार होगा.
केंद्र द्वारा संचालित सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च इंस्टिट्यूट (एसएएफएआर) ने बताया कि ‘बेहद ख़तरनाक’ स्तर पर पहुंच गया प्रदूषण का स्तर धीरे- धीरे कम हो रहा है क्योंकि प्रदूषक तत्व कम हो गए हैं.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार, पीएम 10 का स्तर (10 मिलीमीटर से कम मोटाई वाले कणों की मौजूदगी) 16 जून को दिल्ली-एनसीआर में 522 और दिल्ली में 529 मापा गया.
गौरतलब है कि बुधवार को पीएम 10 का स्तर दिल्ली-एनसीआर में 778 और दिल्ली में 824 पर पहुंच गया था जिससे शहर की आबोहवा पूरी तरह से दूषित हो गई थी.
सीपीसीबी के आंकड़ों के अनुसार, पीएम 2.5 (2.5 मिलीमीटर से कम मोटाई के कणों की मौजूदगी) का स्तर ‘बेहद ख़राब’ से ‘ख़तरनाक’ पर पहुंच गया था और अब वह कम होकर ‘बहुत ख़राब’ की श्रेणी में आ गया है. दिल्ली-एनसीआर और दिल्ली में पीएम 2.5 का स्तर 16 जून को 124 मापा गया.
इस बीच, शहर में 15 जून तक के लिए निर्माण गतिविधियों पर रोक लगा दी गई है.
सीपीसीबी ने बताया कि पश्चिमी भारत ख़ासतौर से राजस्थान से धूल भरी आंधी चलने के कारण मंगलवार को वायु की गुणवत्ता बहुत ख़राब हो गई थी. धूल भरी आंधी चलने से हवा में मोटे कणों की मात्रा बढ़ गई थी.
एसएएफएआर के एक वैज्ञानिक गुफ़रान बेग ने कहा कि हवा ने 15 जून को रफ्तार पकड़ी जिसके बाद प्रदूषक तत्वों में तेजी से कमी आ रही है इससे हवा की गुणवत्ता में सुधार हुआ है. आगे भी वायु गुणवत्ता में सुधार होने की संभावना है.
मौसम विभाग ने राष्ट्रीय राजधानी में गरज के साथ छीटें पड़ने और आसमान में बादल छाए रहने का अनुमान जताया है.
पंजाब और हरियाणा में कई जगह बारिश, धूल भरी धुंध से राहत
पंजाब और हरियाणा के कई हिस्सों तथा चंडीगढ़ में शनिवार को बारिश हुई जिससे पिछले तीन दिन से क्षेत्र में छाई धूल भरी धुंध छंट गई और कम दृश्यता की वजह से प्रभावित हुईं उड़ानें भी शुरू हो गईं.
बारिश बीती मध्य रात्रि शुरू हुई और इस कारण धूल भरी धुंध छंट गई जिसकी वजह से दोनों राज्यों में जनजीवन बुरी तरह प्रभावित था.
पंजाब और हरियाणा के कई हिस्सों में बारिश के साथ ही चंडीगढ़ में भी 16 जून को भारी बारिश हुई. इस कारण लोगों को धूल भरी धुंध और उमस भरे मौसम से राहत मिली.
मौसम विभाग के अधिकारियों ने बताया कि बारिश के बाद तापमान में कई डिग्री सेल्सियस की गिरावट दर्ज की गई.
चंडीगढ़ अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के अधिकारियों ने बताया कि धूल भरी धुंध के चलते कम दृश्यता की स्थिति थी जिससे उड़ानों पर बुरा असर पड़ा था. बारिश से धुंध छंटने के साथ ही प्रभावित उड़ान परिचालन 16 जून से शुरू हो गया.
पिछले दो दिन में कम दृश्यता के चलते ज़्यादातर उड़ानें रद्द करनी पड़ी थीं.
पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ में धूल भरी धुंध के चलते पिछले तीन दिनों में वायु गुणवत्ता पर भी बुरा असर पड़ा था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)