मैगज़ीन कवर पर स्तनपान कराती महिला की तस्वीर पर कोर्ट ने कहा, अश्लीलता देखने वाले की नज़र में

फरवरी माह में गृहलक्ष्मी पत्रिका के मलयालम अंक के कवर पर स्तनपान कराती मॉडल का फोटो छपा था. जिसे अश्लील बताते हुए अदालत में याचिका लगाई गई थी.

//
इस साल फरवरी महीने में गृहलक्ष्मी पत्रिका का कवर. (फोटो साभार: फेसबुक)

फरवरी माह में गृहलक्ष्मी पत्रिका ने अपने मलयालम अंक के कवर पर स्तनपान कराती मॉडल का फोटो प्रकाशित किया था. इसे अश्लील बताकर याचिका दाख़िल की गई थी जिसे केरल हाईकोर्ट ने ख़ारिज कर दिया.

breastfeeding the wire
इस साल फरवरी महीने में गृहलक्ष्मी पत्रिका का कवर. (फोटो साभार: फेसबुक)

कोच्चि: केरल उच्च न्यायालय ने कवर पेज पर एक मॉडल के स्तनपान की तस्वीर छापने को लेकर मलयालम पत्रिका के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग वाली याचिका को निरस्त करते हुए कहा कि कुछ लोगों के लिए अश्लील चीजें दूसरों के लिए कलात्मक हो सकती हैं.

अदालत ने कहा कि एक व्यक्ति के लिए जो चीज अभद्रता है वही दूसरे के लिए काव्यात्मक है.

जस्टिस एंटनी डॉमिनिक और जस्टिस दामा शेषाद्रि नायडू की पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘हमें तस्वीर में कुछ भी अश्लील नहीं लग रहा है, न ही इसके कैप्शन में कुछ आपत्तिजनक है. हम तस्वीर को उन्हीं नजरों से देख रहे हैं जिन नजरों से हम राजा रवि वर्मा जैसे कलाकारों की पेंटिंग्स को देखते हैं.’

पीठ ने कहा, ‘चूंकि सौंदर्य देखने वाले की नजर में होता है उसी तरह अश्लीलता भी संभवत: नजर में होती है.’

आदेश हालांकि मार्च माह में सुनाया गया था, लेकिन लोगों के सामने अब आया है. जस्टिस डॉमिनिक अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं.

लाइव लॉ के मुताबिक, याचिका में याचिकाकर्ता फेलिक्स एमए ने कहा था कि पत्रिका का कवर पेज यौन अपराधों से बच्चों की सुरक्षा कानून (पॉक्सो) और किशोर न्याय कानून की धारा 45 का उल्लंघन करता है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि इससे महिलाओं का अश्लील प्रतिनिधित्व (निषेध) अधिनियम, 1986 का उल्लंघन होता है और संविधान के अनुच्छेद 39(ई) और (एफ) का भी यह उल्लंघन है.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक अदालत ने कहा, ‘हम देख सकते हैं कि भारतीय मानसिकता जमाने से इतनी परिपक्व रही है कि वह पवित्रता में भी कामुकता देख सकती है. उदाहरण

आदेश में विभिन्न अदालतों के कई फैसलों और साहित्यिक कार्यों को उदृधत करते हुए अंतिम निर्णय में कहा गया, ‘समकालीन सामुदायिक मानकों के साथ जाते हुए हम देख सकते हैं कि दिए गए चित्र की विशेष मुद्रा और इसकी बैकग्राउंड सेटिंग्स (स्तनपान कराना जैसा कि पत्रिका में चित्रित किया गया है, यह अश्लील या कामुक नहीं है और ऐसा संकेत भी नहीं देती है.’

गौरतलब है कि इसी साल फरवरी में गृहलक्ष्मी पत्रिका के मलयालम अंक के कवर पर मॉडल और अभिनेत्री गिलु जोसेफ की बच्चे को स्तनपान कराती एक तस्वीर लगी थी.  जिसने राज्य में विवाद को जन्म दे दिया था. समाज के एक बड़े हिस्से का इसे समर्थन मिला लेकिन कई अन्य लोगों के गुस्से का भी सामना करना पड़ा.

हालांकि पत्रिका का उद्देश्य सार्वजनिक स्थानों पर भी स्तनपान कराने को जनता के बीच सामान्य बनाना था. लेकिन सोशल मीडिया पर कई लोगों ने सवाल पूछा कि पत्रिका ने बच्चे के साथ फोटोशूट के लिए क्यों एक ऐसी मॉडल को चुना, जिसका वह बच्चा नहीं था.

जोसेफ ने इंडियन एक्सप्रेस से तब बात करते हुए कहा था, ‘मैंने वही किया है जो मुझे ठीक लगा. मैं असफल हो सकती थी, लेकिन मुझे कोई पछतावा नहीं है. महिलाओं को स्वतंत्र रूप से बिना किसी डर और पाबंदी के स्तनपान कराना चाहिए और लेख में मेरा संदेश यही था लेकिन लोगों ने मेरी आलोचना शुरू कर दी, बिना पढ़े ही कि मेरा क्या कहना था.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)