इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में मणिपुर, त्रिपुरा, मेघालय, असम और अरुणाचल प्रदेश के प्रमुख समाचार.
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बीते पांच जुलाई को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को मणिपुर में सेना, असम राइफल्स और पुलिस द्वारा कथित गैर-न्यायिक हत्याओं और फर्जी मुठभेड़ों के चार मामलों में 27 जुलाई तक अंतिम रिपोर्ट दायर करने का निर्देश दिया. शीर्ष अदालत ने कहा कि मानवाधिकार उल्लंघनों को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता.
उन्होंने कहा कि मणिपुर में जो कुछ हुआ वह बड़े पैमाने पर नज़र आ रहा है और इस मुद्दे को बहुत ज़्यादा महत्व दिया जाना चाहिए क्योंकि लोगों ने अपनी ज़िंदगियां गंवायी हैं.
न्यायाधीश मदन बी. लोकुर और न्यायाधीश यूयू ललित की पीठ ने यह निर्देश उस समय दिया जब सीबीआई के विशेष जांच दल (एसआईटी) ने अदालत को बताया कि उनकी चार मामलों में जांच पूरी हो चुकी है और अंतिम रिपोर्ट तैयार हो रही है.
पीठ ने कहा, ‘दो बातें हैं. हम केवल मानवाधिकार उल्लंघन की बात नहीं कर रहे हैं. हम मौतों के बारे में बात कर रहे हैं. हो सकता है कि मौत हत्या हो या हो सकता है न भी हो. इसे मानवाधिकार उल्लंघन से ज़्यादा महत्व दिया जाना चाहिए.’
शीर्ष अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के दो अधिकारी , वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक महेश भारद्वाज और पुलिस उपाधीक्षक रवि सिंह को उस एसआईटी का सदस्य बनाया जाए जो मुठभेड़ के बचे हुए मामलों की जांच करेगी.
मणिपुर में गैर-न्यायिक हत्याओं के करीब 1528 मामलों की जांच की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही शीर्ष अदालत ने पिछले साल 14 जुलाई को मणिपुर में कथित फर्जी मुठभेड़ों के मामलों में प्राथमिकी दर्ज करने और इनकी जांच करने का आदेश दिया था.
पीठ ने मानवाधिकार आयोग में पर्याप्त स्टाफ की कमी पर चिंता भी जताई और कहा कि आयोग के अधिकारियों पर अत्यधिक काम का बोझ है.
पीठ ने एसआईटी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल मनिंदर सिंह से कहा कि आयोग में पर्याप्त कर्मियों की कमी से संबंधित मामले को केंद्र के साथ तत्काल उठाया जाए ताकि आयोग का कामकाज प्रभावित नहीं हो.
मालूम हो कि न्यायालय ने पिछले साल 12 जुलाई को इन मामलों की जांच के लिए विशेष जांच दल गठित किया था. इसमें सीबीआई के पांच अधिकारियों को शामिल किया गया था. न्यायालय ने मणिपुर मे ग़ैर-न्यायिक हत्याओं के मामलों में प्राथमिकी दर्ज करने और इनकी जांच का आदेश दिया था.
न्यायालय ने इस राज्य में 1528 ग़ैर-न्यायिक हत्याओं की जांच के लिए दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान पिछले साल जुलाई में 81 प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था.
इन मामलों में, 32 मामले जांच आयोग, 32 मामले न्यायिक आयोग और उच्च न्यायालयों की जांच, 11 मामलों में मानवाधिकार आयोग मुआवज़ा दे चुका है और छह मामलों में शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति संतोष हेगड़े की अध्यक्षता वाले आयोग ने जांच की थी, शामिल हैं.
उच्चतम न्यायालय मणिपुर में वर्ष 2000 से 2012 के बीच सुरक्षा बलों और पुलिस द्वारा कथित रूप से की गई 1528 फ़र्ज़ी मुठभेड़ और ग़ैर-न्यायिक हत्याओं के मामले की जांच और मुआवजा मांगने संबंधी एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है.
पिछले साल जुलाई के महीने में सुप्रीम कोर्ट ने उग्रवाद से प्रभावित मणिपुर में सेना, असम राइफल्स और मणिपुर पुलिस द्वारा की गई कथित ग़ैर-न्यायिक हत्याओं के मामले की सीबीआई जांच का निर्देश दिया है.
इससे पहले बीते दो जुलाई को उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की मणिपुर में मुठभेड़ के मामलों की जांच में सक्रिय भागीदारी होनी चाहिए.
न्यायाधीश मदन बी. लोकुर और न्यायाधीश उदय यू. ललित की पीठ ने टिप्पणी की, ‘आयोग को स्वत: ही किसी भी मामले की जांच करने का अधिकार है. हमारे पिछले आदेश में संकेत दिया गया था कि आयोग को इसमें सक्रिय होना चाहिए. हम दो बातें सोच रहे हैं. आयोग की जांच में सक्रिय भागीदारी होनी चाहिए. दूसरा चार अंतिम रिपोर्ट पेश करने का मसला है. आप अपनी अंतिम रिपोर्ट के मसौदे जैसी सूचना आयोग के साथ साझा कर सकते हैं. मानवाधिकार आयोग स्वतंत्र रूप से इन पर गौर करे और हमारे पास आए.’
त्रिपुरा: भाजपा और आईपीएफटी 2019 का लोकसभा चुनाव अलग-अलग लड़ेंगी
अगरतला: इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) और उसकी गठबंधन सहयोगी भाजपा अगले वर्ष होने वाला लोकसभा चुनाव अलग-अलग लड़ेगी. आईपीएफटी ने कहा कि भाजपा के दो त्रिपुरा लोकसभा सीटों के लिए नेताओं के एकतरफा नाम तय करने के बाद उसे मजबूरन यह फैसला लेना पड़ा.
वहीं दूसरी ओर भाजपा ने दावा किया कि इस वर्ष हुए विधानसभा चुनाव में आईपीएफटी के साथ उसका गठबंधन एक बार के लिए था. आईपीएफटी और भाजपा ने इस वर्ष जनवरी में पहली बार एक साथ मिलकर चुनाव पूर्व गठबंधन किया था और 25 साल के वाममोर्चा शासन को उखाड़ फेंका था.
22 साल बाद ब्रू समुदाय के 32,876 लोगों को त्रिपुरा से मिज़ोरम भेजा जाएगा
नई दिल्ली: त्रिपुरा के छह शरणार्थी शिविरों में रह रहे ब्रू समुदाय के 32,876 लोगों को 22 साल बाद वापस उनके राज्य मिज़ोरम वापस भेजा जाएगा.
गृह मंत्रालय ने बीते तीन जुलाई को कहा कि दो राज्य सरकारों और केंद्र सरकार के बीच त्रिपक्षीय समझौते होने के कारण दो दशक से ज़्यादा समय बाद ब्रू समुदाय के 32,876 लोगों को त्रिपुरा से मिज़ोरम भेजा जाएगा.
गृह मंत्री राजनाथ सिंह, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब देब और मिज़ोरम के मुख्यमंत्री ललथनहवला की मौजूदगी में केंद्र, मिज़ोरम और त्रिपुरा सरकार के अलावा समझौते पर मिज़ोरम ब्रू डिस्प्लेस्ड पीपुल्स फोरम (एमबीडीपीएफ) ने भी हस्ताक्षर किया है.
गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने बताया कि 5,407 परिवारों के विस्थापित लोग वर्तमान में त्रिपुरा में अस्थायी शिविरों में रहते हैं. उन्हें इस साल 30 सितंबर के पहले मिज़ोरम भेजा जाएगा.
हालांकि समुदाय के लोगों ने वापस मिज़ोरम भेजे जाने को लेकर फिर से हमला होने की आशंका जताई है.
गृह मंत्रालय के मुताबिक त्रिपुरा इन लोगों के लिए बने शिविरों को अक्टूबर तक बंद कर दिया जाएगा.
केंद्र सरकार ब्रू समुदाय के सदस्यों के मिज़ोरम में पुनर्वास में वित्तीय सहायता प्रदान करेगी और मिज़ोरम तथा त्रिपुरा की सरकारों के साथ विचार विमर्श कर सुरक्षा, शिक्षा और आजीविका के उनके मुद्दों का समाधान करेगी.
ब्रू और बहुसंख्यक मिज़ो समुदाय के लोगों की बीच 1996 में हुआ सांप्रदायिक दंगा इनके पलायन का कारण बना था.
इस तनाव ने ब्रू नेशनल लिबरेशन फ्रंट (बीएनएलएफ) और राजनीतिक संगठन ब्रू नेशनल यूनियन (बीएनयू) को जन्म दिया जिसने राज्य के चकमा समुदाय की तरह एक स्वायत्त ज़िले की मांग की.
इस तनाव की नींव 1995 में तब पड़ी जब शक्तिशाली यंग मिज़ो एसोसिएशन और मिज़ो स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने राज्य की चुनावी भागीदारी में ब्रू समुदाय के लोगों की मौजूदगी का विरोध किया. इन संगठनों का कहना था कि ब्रू समुदाय के लोग राज्य के नहीं है.
इसके बाद 21 अक्टूबर, 1996 को बीएनएलफए ने एक मिज़ो अधिकारी की हत्या कर दी जिसके बाद से दोनों समुदायों के बीच सांप्रदायिक दंगा भड़क गया.
दंगे के दौरान ब्रू समुदाय के लोगों पड़ोसी उत्तरी त्रिपुरा की ओर धकेलते हुए उनके बहुत सारे गांवों को जला दिया गया था. इसके बाद से ही समुदाय के लोग त्रिपुरा के कंचनपुर और पाणिसागर उपसंभागों में बने राहत शिविरों में रह रहे हैं.
मेघालय: संदिग्ध गो-तस्करों ने ग्राम प्रधान सहित तीन लोगों की हत्या की
शिलॉन्ग: मेघालय के वेस्ट जयंतिया हिल्स ज़िले में बांग्लादेश की सीमा के पास संदिग्ध गो- तस्करों के एक समूह की ओर से किए गए हमले में एक ग्राम प्रधान सहित तीन लोग मारे गए जबकि तीन अन्य जख्मी हो गए. पुलिस ने यह जानकारी बीते सात जुलाई को दी.
पुलिस ने बताया कि यह घटना छह जुलाई को दोपहर करीब ढाई बजे हुई जब छह लोग ज़िले के अमलारेम उप-संभाग में एक सरकारी बैठक में हिस्सा लेने के बाद अपने गांव अमलानी लौट रहे थे.
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि उन छह लोगों को त्रांग्ब्लांग गांव के पास एक जगह रोका गया और संदिग्ध गो-तस्करों ने उन पर हमला कर दिया.
वेस्ट जयंतिया हिल्स ज़िले के पुलिस अधीक्षक (एसपी) विवेक साइम ने बताया कि ग्राम प्रधान, ग्राम सचिव और गांव के एक अन्य सदस्य ने मौके पर ही दम तोड़ दिया जबकि तीन अन्य, जो गंभीर रूप से घायल हुए, को जोवई सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया.
एसपी ने बताया कि शुरू में मुख्य आरोपी, उसके भाई और उसके रिश्ते के एक भाई को गिरफ्तार किया गया और बाद में पुलिस ने मुख्य आरोपी के एक अन्य भाई सहित तीन और शख्स को गिरफ्तार किया.
ग्रामीणों के मुताबिक, इस हफ्ते की शुरुआत में प्रधान और अन्य ग्रामीणों ने मुख्य आरोपी को उस वक्त पकड़ा था जब वह तस्करी के ज़रिये मवेशियों को बांग्लादेश भेजने की कोशिश कर रहा था.
एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि ग्रामीणों ने उसकी पिटाई की थी और पुलिस को उसे बचाना पड़ा था. अधिकारी ने कहा कि बुधवार को ग्राम प्रधान एवं अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी.
असम: बाढ़ की स्थिति में आंशिक सुधार, मरने वालों की संख्या बढ़कर 33 हुई
गुवाहाटी: असम में बाढ़ की स्थिति में बीते सात जुलाई को आंशिक सुधार आया लेकिन एक और शव मिलने से बाढ़जनित घटनाओं में मरने वालों की संख्या 33 हो गई.
असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एएसडीएमए) के रोजाना बुलेटिन के अनुसार, पांच जिलों में 41,065 लोग अब भी बाढ़ की चपेट में हैं, बीते छह जुलाई को सात जिलों में 51,400 लोग बाढ़ से प्रभावित थे.
प्राधिकरण के अनुसार, उदालगुरी जिले में एक व्यक्ति का शव मिलने के साथ ही बाढ़जनित घटनाओं में मरने वालों की संख्या 33 हो गई है. यह व्यक्ति तीन जुलाई से लापता था.
उसके मुताबिक ज़्यादातर नदियों में जलस्तर घट रहा है लेकिन धेमाजजी, लखीमपुर, सोनितपुर, बारपेटा और नागांव ज़िलों के विशाल भूखंड अब भी पानी में डूबा हुआ है. 2,156.88 एकड़ क्षेत्र में लगी फसल नष्ट हो गई है.
मणिपुर: आईआरबी के सेवानिवृत्त कमांडेंट समेत चार लोग अगवा किए गए
इम्फाल: मणिपुर में पश्चिम इम्फाल ज़िले के सेकमाई से चौथी इंडियन रिज़र्व्ड बटालियन (आईआरबी) के एक सेवानिवृत कमांडिंग अफसर समेत चार व्यक्तियों का सशस्त्र बंदूकधारियों ने अपहरण कर लिया है.
पुलिस महानिदेशक एल एम खौते ने बताया कि पांच जुलाई की शाम को जब ये चारों वरिष्ठ नागरिक सेकमाई से खुरकुल गांव जा रहे थे तब उन्हें अगवा कर लिया गया.
उन्होंने बताया कि वे चतुर्थ आईआरबी के सेवानिवृत्त सीओ आंगोम कुंजो (70), ख्वैराकपाम याईसकुल (70), ख्वैराकपाम अबालो (65) और ख्वैराकपाम रोटोनमानी (70) हैं. अज्ञात सशस्त्र लोग उन्हें एक वाहन में ले गए.
पुलिस ने सेकमाई थाने में मामला दर्ज किया है. विभिन्न स्थानों पर तलाशी अभियान चल रहा है.
त्रिपुरा: पीट-पीट कर हत्या के मामले में चार पुलिसकर्मी निलंबित
अगरतला: त्रिपुरा में सरकार की ओर से अफवाहों के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए रखे गए व्यक्ति की पीट-पीट कर हत्या के मामले में बीते चार जुलाई को चार पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया.
इस व्यक्ति की बच्चा चोर होने के संदेह में पीट-पीट कर हत्या की गई थी.
पुलिस महानिरीक्षक (कानून एवं व्यवस्था) के वी. श्रीजेश ने बताया कि राज्य पुलिस के एक सहायक उपनिरीक्षक और एक कांस्टेबल तथा त्रिपुरा राज्य राइफल्स के दो राइफलमैन को निलंबित किया गया है.
उन्होंने कहा कि ये पुलिसकर्मी किसी और उद्देश्य से उस इलाके में थे. हमने उन्हें निलंबित किया है क्योंकि उस दिन उनकी भूमिका को लेकर विभागीय जांच शुरू की गई है.
दक्षिण त्रिपुरा ज़िले के कलाछारा में 28 जून को बच्चा-चोर होने के संदेह में भीड़ ने 33 वर्षीय सुकांत चक्रवर्ती की पीट-पीट कर हत्या कर दी. चक्रवर्ती राज्य के सूचना एवं संस्कृति विभाग की एक टीम के सदस्य थे जो अफवाहों के खिलाफ अभियान चला रही थी.
चक्रवर्ती पर उस समय हमला किया गया जब उनकी टीम सबरूम से लौट रही थी. इस संबंध में अब तक 14 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
असम: बच्चा चोरी की अफवाह के बाद सुरक्षा बलों ने तीन लोगों को भीड़ से बचाया
हाफलांग: असम के दिमा हसाओ ज़िले में माहुर रेलवे स्टेशन पर सेना और पुलिसकर्मियों ने तीन ‘साधुओं’ को बचाया. बच्चा चोरी की अफवाह के चलते भीड़ उनकी जान लेने पर उतारू थी.
ज़िले के अधिकारियों ने बताया कि बच्चा चोरी की अफवाह के बाद बीते पांच जुलाई को सैकड़ों लोग साधुओं पर हमला करने के लिए एकत्र हो गए. इसके बाद पुलिस अधिकारी और नज़दीकी शिविर में तैनात सैन्यकर्मी आ गए.
अधिकारियों ने बताया कि भीड़ ने ‘साधुओं’ के सामानों को खुले में फेंक दिया और इसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर साझा किया. इससे अफवाहों को और बल मिला.
इस घटना के बाद बीते पांच जुलाई को उपायुक्त अमिताभ राजखोवा और पुलिस अधीक्षक प्रशांत सैकिया की अध्यक्षता में ज़िला प्रशासन की आपातकालीन बैठक बुलाई गई.
बैठक में विभिन्न समुदाय के प्रतिनिधि भी शामिल हुए. उन्होंने लोगों से अपील की कि ज़िम्मेदारीपूर्ण व्यवहार करें और सोशल मीडिया पर फैलायी जा रही अफवाहों में ना फंसें.
उन्होंने यह भी कहा कि कानून को अपने हाथ में न लें और किसी व्यक्ति के संदिग्ध गतिविधियों के बारे में अधिकारियों को सूचित करें.
मणिपुर: बच्चा चोरी के संदेह पर दो लोगों पर हमला
इम्फाल: सोशल मीडिया पर अफवाहों को लेकर मणिपुर में स्थानीय लोगों ने बच्चा चोर और नरभक्षी होने के संदेह में दो लोगों की पिटाई कर दी.
पुलिस ने बीते पांच जुलाई को यह जानकारी दी.
उन्होंने बताया कि स्थानीय लोगों ने यहां से करीब दो किलोमीटर दूर कंगपोकपी ज़िले के सैकुल इलाके में दो लोगों को संदिग्ध स्थिति में देखा था.
उन्होंने बताया कि पीड़ितों ने पूछताछ पर जब संतोषजनक जवाब नहीं दिया तब उन पर हमला किया गया. इनमें से किसी के पास कोई पहचान पत्र नहीं था जिससे कि उनकी पहचान की पुष्टि की जा सके.
दोनों को पुलिस ने बचाया और एहतियातन उन्हें हिरासत में ले लिया. बाद में उन्हें रिजनल इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आरआईएमएस) ले जाया गया. पुलिस उनकी पहचान करने की कोशिश कर रही है.
पुलिस ने बताया कि पिछले तीन महीने में ज़िले में एक भी बच्चे के गुमशुदा होने की घटना दर्ज नहीं की गई है.
अरुणाचल प्रदेश: सरकार ने ओजिंग तायेंग हत्या मामले की जांच सीबीआई को सौंपी
ईटानगर: अरुणाचल प्रदेश सरकार ने ओजिंग तायेंग हत्या मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी है. सरकार ने छह जुलाई को राजधानी ईटानगर में एक विज्ञप्ति जारी कर यह जानकारी दी.
मुख्यमंत्री कार्यालय की विज्ञप्ति में कहा गया है कि अरुणाचल प्रदेश के गृह आयुक्त ने मामले को हस्तांतरित करते हुए राज्य पुलिस की विशेष जांच टीम (एसआईटी) द्वारा की गई अब तक की जांच का ब्योरा भी सौंप दिया.
आॅल ईस्ट सियांग डिस्ट्रिक्ट स्टूडेंट्स यूनियन के पूर्व वित्त सचिव ओजिंग तायेंग और उनके दो दोस्तों पर अज्ञात युवकों ने ईटानगर में पिछले साल 10 जून की रात हमला किया था. चोट के चलते गुवाहाटी में 19 जून को उनकी मौत हो गई थी.
शुरू में इस मामले की जांच ईटानगर पुलिस ने की थी. बाद में इसे 27 अप्रैल को एसआईटी को हस्तांतरित कर दिया गया था.
विज्ञप्ति में कहा गया है कि ऐसा लगता है कि मामले की गंभीरता और संवेदनशीलता की तुलना में जांच कार्य संतोषजनक ढंग से प्रगति नहीं कर रहा है.
सरकार ने कहा कि और अधिक विशेषज्ञता के साथ और तकनीकी जांच की ज़रूरत है.
अरुणाचल प्रदेश: मानवाधिकार आयोग ने पीड़ित लड़कियों को आर्थिक सहायता देने को कहा
नई दिल्ली: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने अरुणाचल प्रदेश सरकार से कहा है कि वह उन 88 पीड़ित छात्राओं को आर्थिक सहायता के तौर पर 5,000 रुपये दे, जिनके स्कूल शिक्षकों ने पिछले साल उन्हें सज़ा देने के नाम पर जबरन कथित रूप से उनके कपड़े उतरवाए थे.
पिछले साल 23 नवंबर को पापुम पारे ज़िले में तनी हप्पा (न्यू सगली) स्थित कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय की छठी एवं सातवीं कक्षा की छात्राएं इस अमानवीय बर्ताव की शिकार हुई थीं. छात्राओं पर आरोप था कि उन्होंने स्कूल के प्रधानाध्यापक के खिलाफ आपत्तिजनक शब्द लिखे थे.
पिछले साल 27 नवंबर को मामला प्रकाश में आया था. थाने में दर्ज एफआईआर के मुताबिक, दो सहायक शिक्षक और एक जूनियर शिक्षक ने 88 छात्राओं को सबके सामने कपड़े उतरने पर मजबूर किया था. उनके हाथ एक कागज का टुकड़ा लगा था जिसमें प्रधानाध्यापक और एक छात्रा को लेकर आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया गया था.
घटना पर स्वत: संज्ञान लेते हुए एनएचआरसी ने अरुणाचल प्रदेश सरकार एवं केंद्रीय मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रालय को नोटिस जारी किया.
एनएचआरसी ने एक बयान में कहा, ‘एनएचआरसी सिफारिश करता है कि अरुणाचल प्रदेश सरकार पापुम पारे में कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय की उन 88 छात्राओं को आर्थिक सहायता के तौर पर 5,000 रुपये दे जिन्हें स्कूल के तीन शिक्षकों ने सज़ा के नाम पर समूचे स्कूल के सामने अपने कपड़े उतारने को मजबूर किया था.’
इसमें कहा गया कि इसने सरकार से कहा है कि वह इस संबंध में चार सप्ताह के अंदर अनुपालन रिपोर्ट और भुगतान का साक्ष्य पेश करे.
पैनल ने कहा कि छात्राओं ने प्रधानाध्यापक एवं कुछ अन्य छात्रों के खिलाफ आपत्तिजनक शब्द लिखने की बात से इनकार किया बावजूद इसके उन्हें सज़ा दी गई.\
त्रिपुरा: अगरतला हवाई अड्डे का नाम महाराज बीर बिक्रम माणिक्य किशोर रखने को मंज़ूरी
नई दिल्ली: केंद्रीय कैबिनेट ने त्रिपुरा के अगरतला हवाई अड्डे का नाम राज्य के भूतपूर्व शासक महाराज बीर बिक्रम माणिक्या किशोर के नाम पर रखने को बीते चार जुलाई को मंज़ूरी दे दी.
एक सरकारी बयान में बताया गया है कि हवाई अड्डे का निर्माण 1942 में महाराज की ओर से दान दी गई ज़मीन पर हुआ था. दूरंदेश शासक के तौर पर वे दुनियाभर में घूमे थे और त्रिपुरा के चहुंमुखी विकास के लिए कई कदम उठाए थे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में अगरतला हवाई अड्डे का नाम महाराज बीर बिक्रम माणिक्य किशोर हवाई अड्डा रखने को मंज़ूरी दी. यह निर्णय त्रिपुरा के लोगों की लंबे समय से चली आ रही मांग तथा त्रिपुरा सरकार द्वारा महाराजा बीर विक्रम माणिक्य किशोर को श्रद्धांजलि देने के आलोक में लिया गया.
उल्लेखनीय है कि महाराजा बीर विक्रम माणिक्य किशोर 1923 में त्रिपुरा राज्य के राजा बने. वे एक विद्वान और विनम्र शासक थे. महाराजा बीर विक्रम माणिक्य किशोर द्वारा दान में दी गई ज़मीन पर 1942 में अगरतला हवाई अड्डे का निर्माण किया गया था.
महाराजा बीर विक्रम माणिक्य किशोर ने पूरे विश्व की यात्रा की और त्रिपुरा के चहुंमुखी विकास के लिए कई कदम उठाए. उनके प्रयासों से अगरतला में एक हवाई अड्डे का निर्माण हुआ, जो वर्तमान में पूर्वोत्तर क्षेत्र का दूसरा सबसे व्यस्त हवाई अड्डा है.
मणिपुर: सेना अधिकारी की पत्नी ने अपने पति की तलाश के लिए पुलिस से मांगी मदद
इम्फाल: एक लेफ्टिनेंट कर्नल की पत्नी ने मणिपुर पुलिस और सामाजिक संगठन से अपने पति की तलाश करने और उन्हें सुरक्षा प्रदान करने की अपील की है.
उन्होंने दावा किया है कि उनके पति को बिना कोई वारंट जारी किए सेना ने हिरासत में ले लिया.
लेफ्टिनेंट कर्नल धर्मवीर सिंह की पत्नी रंजू सिंह ने पत्रकारों से कहा कि मेरे पति को इम्फाल स्थित आधिकारिक निवास से एक जुलाई की सुबह बिना कोई वारंट जारी किए हिरासत में ले लिया गया.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार लेफ्टिनेंट कर्नल ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों पर उगाही और फर्जी एनकाउंटर करने का आरोप लगाया था.
पुलिस ने बीते चार जुलाई को कहा कि रंजू सिंह ने प्राथमिकी दर्ज कराई है और उसके तहत कार्रवाई करते हुए बल ने सेना अधिकारियों से मुलाकात की, जिन्होंने कथित तौर पर लेफ्टिनेंट कर्नल को हिरासत में लिया था.
रंजू ने कहा कि सेना ने उसे फोन पर बताया कि लेफ्टिनेंट कर्नल सिंह नगालैंड के दीमापुर में हैं.
सेना ने रंजू सिंह द्वारा लगाए आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि आरोप उनकी छवि को धूमिल करने के लिए लगाए गए हैं.
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, कॉलेजियम को मेघालय हाईकोर्ट के लिए जजों की सिफारिश करनी है
नई दिल्ली: केंद्र ने बीते छह जुलाई को उच्चतम न्यायालय को साफ कर दिया कि मेघालय उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों के खाली पद भरने के लिए उसके कॉलेजियम को फैसला करना होगा और सरकार को सिफारिश भेजनी होगी.
गौरतलब है कि मेघालय उच्च न्यायालय फिलहाल सिर्फ दो न्यायाधीशों के साथ काम कर रहा है.
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने न्यायाधीश मदन बी. लोकुर और न्यायाधीश दीपक गुप्ता की पीठ से कहा कि सरकार के पास मेघालय, मणिपुर और त्रिपुरा उच्च न्यायालय में रिक्तियों को भरने के संबंध में कॉलेजियम की कोई सिफारिश लंबित नहीं है.
उन्होंने पीठ से कहा, ‘इन मामलों में रिक्तियों को कॉलेजियम की सिफारिश के एक महीने के भीतर भरा गया.’
उन्होंने सरकार द्वारा दाखिल एक हलफनामे का उल्लेख करते हुए कहा कि आज की तारीख में मणिपुर और त्रिपुरा उच्च न्यायालयों में तीन-तीन न्यायाधीश हैं.
वेणुगोपाल ने कहा, ‘समस्या मेघालय उच्च न्यायालय में है, जहां सिर्फ दो न्यायाधीश हैं.’
उन्होंने कहा, ‘जहां तक मेघालय का सवाल है तो उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम को देखना चाहिए कि क्या किसी का वहां तबादला किया जा सकता है.’
उन्होंने कहा, ‘कॉलेजियम को फैसला करना होगा.’ इस पर न्यायाधीश लोकुर ने कहा, ‘वह कॉलेजियम को देखना है, हमें नहीं.’
शीर्ष अदालत ने पहले की सुनवाई में गौर किया था कि मणिपुर उच्च न्यायालय में स्वीकृत पदों की संख्या सात है, जबकि वहां दो ही न्यायाधीश हैं. मेघालय उच्च न्यायालय में स्वीकृत पदों की संख्या चार है जबकि उस वक्त वहां एक ही न्यायाधीश थे जबकि त्रिपुरा उच्च न्यायालय में स्वीकृत पदों की संख्या चार है.
नागरिकता संशोधन विधेयक वापस लेने की मांग
नई दिल्ली: पूर्वोत्तर के प्रतिष्ठित संगठन ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) ने नागरिकता (संशोधन) विधेयक को तत्काल वापस लेने की मांग करते हुए बीते तीन जुलाई को कहा कि यह असंवैधानिक है क्योंकि यह लोगों को सिर्फ धर्म के आधार पर नागरिकता देने की बात करता है.
आसू ने यह भी कहा कि वह न तो हिंदुओं के खिलाफ है और न ही वह मुसलमानों या बंगालियों के खिलाफ है, बल्कि वह बांग्लादेश से अवैध शरणार्थियों के खिलाफ है.
संवाददाता सम्मेलन में आसू के सलाहकार समुज्जल कुमार भट्टाचार्य ने कहा कि पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र ने इस विधेयक के खिलाफ एक स्वर में आवाज़ उठायी है. यह कानून बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आने वाले गैर-मुसलमानों को नागरिकता देने की बात करता है.
उनका कहना है कि मेघालय और मिज़ोरम की सरकारों ने इस प्रस्तावित कानून के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया है.
उन्होंने कहा, ‘विदेशी, विदेशी ही होता है. वह हिंदू हो या मुसलमान. हम विदेशियों को धर्म के आधार पर नागरिकता देने के खिलाफ हैं. विधेयक को तुरंत वापस लेकर रद्द किया जाना चाहिए.’
भट्टाचार्य ने कहा, यह विधेयक पारित होने पर बांग्लादेश से अवैध रूप से भारत में आकर बसे लोगों के लिए नागरिकता का रास्ता खुल जाएगा.
असम: एनआरसी के अंतिम प्रारूप में डेढ़ लाख लोगों को शामिल नहीं किया जाएगा
गुवाहाटी: असम में नेशनल रजिस्टर फॉर सिटीजंस (एनआरसी) के पहले प्रारूप में शामिल किए गए करीब डेढ़ लाख लोगों को अंतिम प्रारूप में सम्मिलित नहीं किया जाएगा क्योंकि सत्यापन प्रक्रिया के दौरान विसंगतियां पाई गई हैं. अंतिम प्रारूप 30 जुलाई को प्रकाशित किया जाना है.
एनआरसी के राज्य समन्वयक प्रतीक हजेला ने बीते चार जुलाई को यह जानकारी दी.
उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के दो जुलाई के आदेश के मुताबिक उन नामों को निकाला जाएगा. उच्चतम न्यायालय असम में अवैध प्रवासियों की पहचान के लिए एनआरसी को अपडेट करने की प्रक्रिया की निगरानी कर रहा है.
हजेला ने कहा कि एनआरसी के पहले प्रारूप में शामिल करीब डेढ़ लाख लोगों को शामिल नहीं किया जाएगा.
एनआरसी का पहला प्रारूप पिछले साल 31 दिसंबर को प्रकाशित किया गया था जिसमें शामिल 65,694 लोगों को वंशावली (फैमली ट्री) के सत्यापन की प्रक्रिया के दौरान अस्वीकार्य कर दिया गया.
हजेला ने कहा कि यह भी पाया कि 19,783 लोगों को गलती से शामिल कर लिया गया था.
इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने संवाददाताओं से कहा, ‘यह कैसे संभव है कि पहले प्रारूप में डेढ़ लाख विदेशियों को शामिल कर लिया जाए.’ कौन अधिकारी इसके लिए ज़िम्मेदार हैं. यह साबित करता है कि शुरू से ही एनआरसी का काम ठीक तरीके से नहीं हो रहा है.
कांग्रेस की पूर्वोत्तर समन्वय कमेटी का पुनर्गठन, मनमोहन सिंह बनाए गए संरक्षक
नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पूर्वोत्तर समन्वयक कांग्रेस कमेटी का पुनर्गठन किया है. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को इसका संरक्षक बनाया है.
मेघालय के पूर्व मुख्यमंत्री मुकुल संगमा की अध्यक्षता वाली यह कमेटी पूर्वोत्तर में कांग्रेस को मज़बूत बनाने के लिए इस क्षेत्र की प्रदेश कांग्रेस कमेटियों की गतिविधियों में तालमेल बिठाने का काम करेगी.
कांग्रेस के संगठन महासचिव अशोक गहलोत की ओर से जारी बयान के मुताबिक राहुल गांधी द्वारा पुनर्गठित इस कमेटी में पूर्वोत्तर के राज्यों के सभी प्रभावी सचिव विशेष आमंत्रित सदस्य होंगे.
मनमोहन सिंह को इस कमेटी का संरक्षक और संगमा को अध्यक्ष बनाया गया है. पूर्वोत्तर के राज्यों के सभी मौजूदा एवं पूर्व मुख्यमंत्री सलाहकार की भूमिका में होंगे.
पूर्वोत्तर के सभी राज्यों के कांग्रेस अध्यक्ष, विधायक दल के नेता और मौजूदा एवं पूर्व सांसद इस कमेटी में सदस्य होंगे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)