बाज़ार, होटल एवं मॉल सहित तमाम व्यापारिक प्रतिष्ठान, स्कूल, कॉलेज और शैक्षणिक संस्थान बंद रहे. विश्वविद्यालय के कुलपति को हटाने की मांग को लेकर छात्र और शिक्षक संघ बीते 30 मई से धरने पर हैं. कुलपति पर वित्तीय अनियमितता का आरोप है.
इम्फाल/नई दिल्ली: मणिपुर विश्वविद्यालय के कुलपति आद्या प्रसाद पांडेय को हटाने की मांग को ले कर मणिपुर विश्वविद्यालय छात्रसंघ (एमयूएसयू) की दो दिन की राज्यव्यापी आम हड़ताल के चलते बुधवार को जनजीवन ठप रहा.
हड़ताल बीते 17 जुलाई की मध्यरात्रि से शुरू हुई. आॅल मणिपुर स्टूडेंट्स यूनियन, डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स अलायंस आॅफ मणिपुर, मणिपुर स्टूडेंट्स फेडरेशन सहित कई छात्र संगठनों और मणिपुर पीपुल्स पार्टी ने इसका समर्थन किया है.
पुलिस ने बताया कि कांचीपुर क्षेत्र में एमयूएसयू के सदस्य बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरे. उन्होंने बांस के अवरोधक खड़े कर सड़कों पर यातायात ठप कर दी. इसी क्षेत्र में मणिपुर विश्वविद्यालय स्थित है.
पुलिस ने बताया कि सभी अंतर-राज्यीय, अंतर-ज़िला बस, टैक्सी एवं आॅटोरिक्शा सेवाएं वापस ले ली गईं. बाज़ार, होटल एवं मॉल सहित तमाम व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे. हड़ताल के चलते स्कूल, कॉलेज और शैक्षणिक संस्थान बंद रहे.
उन्होंने बताया कि राजधानी के प्रमुख स्थानों पर बड़ी संख्या में सुरक्षाबल तैनात किए गए हैं.
पुलिस ने बताया कि राज्यपाल निवास के द्वारों पर बैरिकेड खड़े कर दिए गए हैं और पुलिस कमांडो तैनात किए गए हैं. निवास की पहरेदारी सीआरपीएफ जवान कर रहे हैं.
मणिपुर विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (एमयूटीए) के प्रोफेसर रणजीत सिंह ने बताया कि कुलपति के काम करने के तरीके के विरोध में बीते 47 दिन में छह डीन और 29 विभागाध्यक्षों ने अपने पदों से इस्तीफा दिया है.
मणिपुर विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष एम. दयामंद सिंह ने कहा, ‘हमारी पहली मांग कुलपति पांडेय को बर्खास्त करना है और दूसरी मांग उनके खिलाफ लगे आरोपों की जांच के लिए उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक स्वतंत्र सीमित का गठन करने की हैं.
कुलपति आद्या प्रसाद पांडेय पर वित्तीय अनियमितता और प्रशासनिक लापरवाही के आरोप लगाकर बीते 30 मई से छात्र और शिक्षक संघ उन्हें हटाने की मांग को लेकर धरने पर बैठे हैं.
गौरतलब है कि मणिपुर विश्वविद्यालय के छात्र संघ के सदस्यों के राजभवन और भाजपा के मुख्य कार्यालय में घुसने की कोशिश के एक दिन बाद बीते 17 जुलाई को इम्फाल के उच्च सुरक्षा वाले इलाके में सुरक्षाकर्मियों को दंगा रोधी उपकरणों के साथ तैनात किया गया है.
16 जुलाई के हंगामे में कम से कम सात आंदोलनकारी कथित रूप से घायल हो गए हैं जिनमें अधिकतर डेमोक्रेटिक स्टूडेंड अलायंस ऑफ मणिपुर (डीईएसएएम) से संबंधित हैं.
पुलिस सूत्रों ने बताया कि राज भवन की सुरक्षा सीआरपीएफ के जवान कर रहे हैं. राजभवन के मुख्य द्वार पर लोहे के बेरीकेड तथा कंटीले तारों को लगा गया है.
उन्होंने बताया कि राज भवन के आसपास राज्य पुलिस के दर्जनों कमांडों को तैनात किया गया है.
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि संजेंथांग, केसाम्पत और सिंग्जामेई इलाकों में सुरक्षा अधिकारी तैनात किए गए है, क्योंकि इस तरह की खबर थी कि आंदोलनकारी डीईएसएएम के स्वयंसेवकों के खिलाफ 16 जुलाई को की गई कार्रवाई के विरोध में एक रैली निकाल सकते हैं और मानव श्रृंखला बना सकते हैं.
पूर्वोत्तर के छात्रों के संगठन ने एचआरडी मंत्रालय को ज्ञापन सौंपा
पूर्वोत्तर के छात्रों के एक संगठन के सदस्यों ने मणिपुर विश्वविद्यालय के कुलपति आद्या प्रसाद पांडेय को वित्तीय अनियमितता और प्रशासनिक लापरवाही के आरोपों को लेकर हटाने की मांग की है. उन्होंने इस सिलसिले में बुधवार को मानव संसाधन विकास मंत्रालय को एक ज्ञापन सौंपा.
पूर्वोत्तर अंतरराष्ट्रीय एकजुटता मंच (एनईएफआईएस) के सदस्यों ने बुधवार को मंत्रालय के बाहर प्रदर्शन किया. इसके कुछ सदस्यों ने मंत्रालय को ज्ञापन सौंपा.
मंच के सदस्य चिंगलेन ने कहा, ‘हम चाहते हैं कि कुलपति इस्तीफा दें. यहां तक कि यदि जांच समिति का पुनर्गठन भी किया जाता है, तो भी निष्पक्ष जांच कैसे हो सकती है जब कुलपति अब भी विश्वविद्यालय में हैं? चूंकि वह विश्वविद्यालय में शीर्ष पद पर हैं इसलिए वह लोगों को और ज़रूरी दस्तावेज़ों को प्रभावित कर सकते हैं.’
मंत्रालय को सौंपे ज्ञापन में संगठन ने आरोप लगाया है कि कुलपति ने विश्वविद्यालय के कोष से दो लाख रुपये भाजपा समर्थित अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) को मनमाने और अवैध रूप से दिया.
मंच ने आरोप लगाया है कि कुलपति ने उपयुक्त प्रक्रिया का पालन किए बगैर ठेकों के आवंटन में अपने पद का इस्तेमाल किया.
ज्ञापन में कहा गया है कि कुलपति से मिलना चाहने वाले छात्रों का शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न किया जा रहा है.
गौरतलब है कि विश्वविद्यालय की अकादमिक गतिविधियां पिछले 47 दिनों से ठप हैं क्योंकि अध्यापक, छात्र और कर्मचारी संगठन पांडेय को हटाने की मांग करते हुए आंदोलन कर रहे हैं.
कुलपति पर लगे आरोपों की जांच के लिए समिति का पुनर्गठन
मालूम हो कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने मणिपुर विश्वविद्यालय के कुलपति आद्या प्रसाद पांडेय पर लगे प्रशासनिक लापरवाही और धन के दुरुपयोग के आरोपों की जांच के लिए एक तथ्यान्वेषी समिति का पुनर्गठन किया है.
मंत्रालय के एक आधिकारिक आदेश में बीते 17 जुलाई को बताया गया कि पांडेय के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए केंद्र ने 12 जुलाई को एक तथ्यान्वेषी समिति गठित की.
समिति में यूजीसी और मानव संसाधन विकास मंत्रालय के प्रतिनिधि शामिल थे. हालांकि, आंदोलनकारियों ने समिति के साथ सहयोग करने से मना कर दिया और इस कदम को उनके लोकतांत्रिक आंदोलन को कमज़ोर करने की चाल क़रार दिया.
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने समिति के पुनर्गठन का स्वागत किया और छात्र-छात्राओं और शिक्षकों से अपना आंदोलन वापस लेने की अपील की थी.
सिंह ने मणिपुर विश्वविद्यालय छात्र संघ, शिक्षक संघ और नागरिक समाज के संबंधित लोगों से सरकार की जांच में सहयोग करने और छात्र-छात्राओं के व्यापक हित में विश्वविद्यालय का कामकाज चलने देने की अपील की.
समिति की अध्यक्षता मेघालय उच्च न्यायालय के पूर्व कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश टी. नंदकुमार सिंह, यूजीसी के संयुक्त सचिव जेके त्रिपाठी, मानव संसाधन विकास मंत्रालय में उच्च शिक्षा विभाग के उप सचिव सूरत सिंह इसके सदस्य हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)