साल 2007 में हुए अजमेर दरगाह बम विस्फोट मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और संघ के नेता इंद्रेश कुमार को क्लीनचिट दे दी है.
सोमवार को जयपुर की विशेष एनआईए अदालत में जांच एजेंसी ने मामले की क्लोज़र रिपोर्ट दाख़िल की, जिसमें कहा गया है कि साध्वी प्रज्ञा, संघ नेता इंद्रेश कुमार के अलावा दो अन्य आरोपी रमेश वेंटकराव महाल्कर और राजेंद्र उर्फ समंदर के ख़िलाफ़ ठोस सबूत नहीं मिल सके हैं.
बता दें कि इसी महीने की शुरुआत मामले के एक अन्य आरोपी स्वामी असीमानंद को अदालत ने बरी कर दिया था. वहीं 22 मार्च को इसी मामले में विशेष अदालत भावेश पटेल और देवेंद्र गुप्ता को उम्रक़ैद की सज़ा सुना चुकी है.
मिलिट्री अफसर लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत पुरोहित की ओर से कथित तौर पर चलाए जा रहे हिंदू अतिवादी संगठन अभिनव भारत का सदस्य होने का साध्वी प्रज्ञा पर है. इस मामले के अलावा 29 सितंबर 2008 को हुए मालेगांव बम धमाका मामले में भी उन्हें क्लीनचिट मिल चुकी है.
मालेगांव बम धमाके में छह लोग मारे गए थे. साल 2015 में इस मामले की जांच कर रही एनआईए तब विवादों में आ गई थी जब वरिष्ठ अभियोजनकर्ता रोहिणी सालियान ने कहा था कि नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद जांच एजेंसी ने उनसे इस मामले में नरम रुख अपनाने को कहा था. हालांकि उनके इस आरोप को एजेंसी ने सिरे से ख़ारिज कर दिया था.
बहरहाल समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में अभियोजन पक्ष के वकील अश्विनी कुमार ने बताया कि अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 17 अप्रैल को तय की है. इस दिन यह तय होगा कि अदालत जांच एजेंसी की क्लोज़र रिपोर्ट स्वीकार करती है या नहीं.
अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाज़ा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में 11 अक्टूबर, 2007 को आहता-ए-नूर पेड़ के पास हुए बम विस्फोट मामले में तीन ज़ायरीन मारे गए थे और पंद्रह ज़ायरीन घायल हो गए थे. विस्फोट के बाद पुलिस को तलाशी के दौरान एक और लावारिस बैग मिला था जिसमें बम के साथ टाइमर लगा था.
मामले में तीन अन्य आरोपी संदीप डांगे, सुरेश नायर और रमेश चंद्र कलसांग्रा अभी भी फरार हैं, जबकि दो अन्य जयंती भाई उर्फ उस्ताद और रमेश गोहिल उर्फ घनश्याम की जेल में मौत हो चुकी है.