इस हफ़्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में मणिपुर, असम, त्रिपुरा, नगालैंड, मेघालय और मिज़ोरम के प्रमुख समाचार.
इम्फाल: मानव संसाधन विकास मंत्रालय के नए आदेश के बाद मणिपुर विश्वविद्यालय के शिक्षक संघ ने अपने आंदोलन के अस्थाई निलंबन को निरस्त कर दिया है.
मणिपुर विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के प्रवक्ता एन. देबानंद ने बीते 18 अगस्त को संवाददाताओं से कहा कि वे 76 दिन से अधिक समय तक चले आंदोलन को फिर से शुरू करने को विवश हैं क्योंकि मंत्रालय के नए आदेश में सहमति वाले महत्वपूर्ण बिंदुओं का उल्लेख नहीं किया गया है.
उन्होंने कहा कि इसमें उस सबसे महत्वपूर्ण बिंदु का उल्लेख नहीं है जिसकी चर्चा 16 अगस्त के सहमति पत्र (एमओए) में की गई थी.
इसके मुताबिक जांच की अवधि के दौरान और जांच रिपोर्ट पर सक्षम अधिकारी द्वारा कार्रवाई करने तक कुलपति प्रोफेसर एपी पांडेय अवकाश पर रहेंगे. जांच 15 दिन के अंदर करने का प्रयास किया जाएगा.
हालांकि नए दिशानिर्देशों में इस बात का उल्लेख है कि पांडेय को आवश्यक होने पर तथ्यान्वेषी समिति के समक्ष पेश होना पड़ेगा.
देबानंद ने कहा कि हम मानव संसाधन विकास मंत्रालय के आदेश को देखने के बाद स्तब्ध, निराश हैं और अपमानित महसूस कर रहे हैं. मंत्रालय ने परस्पर हुई सहमति का पालन नहीं किया है, इसलिए विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने भी अपनी प्रतिबद्धता से पीछे हटने का निर्णय लिया है.
मालूम हो कि मणिपुर विश्वविद्यालय में 75 दिनों से चल रहे आंदोलन को लेकर संबंधित पक्षों के बीच बीते 16 अगस्त को ही समझौता हुआ जिसके बाद 17 अगस्त से आंदोलन को स्थगित करने पर सहमति बनी थी
छात्र विश्वविद्यालय के कुलपति एपी पांडेय को हटाने और उनके विरुद्ध लगे प्रशासनिक एवं वित्तीय ख़ामियों के आरोपों की जांच के लिए स्वतंत्र जांच समिति के गठन की मांग कर रहे हैं.
इस संबंध में 14 अगस्त से लगातार कई दौर की बातचीत होने के बाद यह फैसला किया गया था.
फैसले से जुडत्रे सहमति पत्र पर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के संयुक्त सचिव जीसी होसुर, मणिपुर सरकार के आयुक्त (उच्च एवं तकनीकी शिक्षा) और आंदोलनरत निकायों के प्रतिनिधियों के हस्ताक्षर हैं.
कुलपति एपी पांडेय से जुड़ी कथित अनियमितताओं को लेकर यह आंदोलन 30 मई को शुरू हुआ था और उसकी अगुवाई मणिपुर विश्वविद्यालय छात्रसंघ, मणिपुर शिक्षक एसोसिएशन, मणिपुर कर्मचारी एसोएिशन कर रहे थे.
सुप्रीम कोर्ट ने एनआरसी से बाहर रखी गई आबादी का ब्योरा मांगा
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बीते 16 अगस्त को असम राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के समन्वयक से कहा कि राज्य में एनआरसी मसौदे से बाहर रखी गई आबादी के ज़िलेवार प्रतिशत का आंकड़ा उसके समक्ष पेश करें.
जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस आरएफ नरिमन की पीठ ने ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू), ऑल असम माइनॉरिटी स्टूडेंट्स यूनियन (आमसू) और जमीयत उलेमा-ए-हिंद सहित सभी संबंधित पक्षों से एनआरसी मुद्दे के केंद्र की मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) पर जवाब मांगा.
इसने राज्य एनआरसी समन्वयक से राज्य के एनआरसी मसौदे से बाहर किए गए लोगों के ज़िलेवार प्रतिशत का आंकड़ा सील कवर में पेश करने के लिए कहा. पीठ ने इस बारे में किसी राजनीतिक दल का विचार नहीं मांगने का भी निर्णय किया.
इसने कहा, ‘इस चरण में असम सरकार, भारतीय महापंजीयक और एनआरसी के लिए राज्य समन्वयक के साथ विचार-विमर्श कर भारत सरकार की तरफ से सुझाए गए तौर तरीकों पर बिना टिप्पणी किए हमारा मानना है कि सभी पक्षों को 25 अगस्त 2018 तक समय दिया जाना चाहिए ताकि इस मामले में वे अपने विचार रख सकें.’
आसू, आमसू और जमीयत के अलावा अदालत ने जिन पक्षों के विचार जाने उनमें असम लोक निर्माण, असम सनमिलिता महासंघ, नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (प्रोग्रेसिव), इंडिजिनस ट्राइबल पीपुल्स फेडरेशन, ऑल असम भोजपुरी परिषद और जॉइंट एक्शन कमेटी फॉर बंगाली रिफ्यूजी शामिल हैं.
इसने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल और राज्य एनआरसी समन्वयक प्रतीक हजेला से पूछा कि कौन पक्षकार हैं जिनके विचार पहले लिए गए थे.
हजेला ने कहा कि 2012-13 में राज्य उप समिति थी जिसने एनआरसी मुद्दे पर आसू, आमसू और विभिन्न राजनीतिक दलों के विचार जाने थे.
पीठ ने कहा कि इस बार वह इस मुद्दे पर राजनीतिक दलों के विचार नहीं मांगेगा.
अदालत ने कहा कि नियमों के मुताबिक दावे और आपत्तियां स्वीकार करने का समय 30 दिनों का होना चाहिए.
असम की तरफ से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि लोगों की सहूलियत के लिए हर गांव के पंचायत कार्यालयों और अन्य स्थानों पर मसौदा एनआरसी की प्रति उपलब्ध कराई जानी चाहिए ताकि ये आसानी से उपलब्ध हो सकें.
पीठ ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 28 अगस्त तय की.
केंद्र सरकार ने 14 अगस्त को उच्चतम न्यायालय को बताया था कि एनआरसी को लेकर 40 लाख लोगों द्वारा दायर दावे और आपत्तियों को जुटाकर बायोमेट्रिक ब्यौरे के माध्यम से उनकी अलग आईडी बनाई जाएगी.
केंद्र ने कहा कि एनआरसी की अंतिम सूची में जिन लोगों के नाम नहीं होंगे, उन्हें आधार नंबर आवंटित किया जाएगा.
असम: मुख्यमंत्री ने एनआरसी के मुद्दे पर विरोधियों पर साधा निशाना
गुवाहाटी: असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने एनआरसी को लेकर दुष्प्रचार करने वालों पर जमकर निशाना साधते हुए बीते 15 अगस्त को कहा कि राज्य के लोग भारतीय नागरिकों की त्रुटि रहित सूची तैयार किए जाने के क़दम के साथ हैं.
सोनोवाल ने कहा कि बेबुनियाद ख़बरों और मसौदा एनआरसी के नाम पर लोगों को उकसाने की लगातार कोशिशों के बावजूद राज्य में 30 जुलाई से शांति है.
गौरतलब है कि राज्य में पूर्व में कई बार राष्ट्रीय कार्यक्रमों में हिंसक घटनाएं देखने को मिली हैं.
उन्होंने कहा, ‘पूरे राज्य में शांतिपूर्ण तरीके से स्वतंत्रता दिवस मनाया गया. मसौदा एनआरसी के प्रकाशन के बाद उकसावे, दुष्प्रचार और बेबुनियाद ख़बरों के बावजूद किसी तरह की हिंसा नहीं हुई है.’ उन्होंने राज्य में शांति के लिए लोगों को धन्यवाद दिया.
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि उनकी सरकार सतर्कता बरतते हुए यह सुनिश्चित करेगी कि एनआरसी में किसी विदेशी का नाम नहीं हो.
उन्होंने कहा, ‘सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए भी प्रतिबद्ध है कि असम में रह रहे किसी भारतीय नागरिक का नाम एनआरसी में नहीं छूटे.’
त्रिपुरा: मंत्री ने राज्य में एनआरसी पुनरीक्षण का समर्थन किया
अगरतला: त्रिपुरा के आदिवासी कल्याण मंत्री मेवार कुमार जमातिया ने राज्य में एनआरसी के पुनरीक्षण का समर्थन किया और उम्मीद जताई कि उनकी पार्टी आईपीएफटी जल्द ही कई अन्य राज्यों की तरह इसकी मांग करेगी.
भाजपा के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन में इंडीजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) भागीदार है.
आईपीएफटी के महासचिव जमातिया ने कहा कि हम हमेशा से अपने राज्य में एनआरसी की मांग करते रहे हैं. अन्य राज्य भी अब एनआरसी पुनरीक्षण की मांग कर रहे हैं और उम्मीद है कि हमारी पार्टी भी त्रिपुरा में इसकी मांग करेगी.
नगालैंड: मुख्यमंत्री ने नगा राजनीतिक मुद्दे के समाधान की वकालत की
कोहिमा: नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने बीते 15 अगस्त को यहां नगा राजनीतिक मुद्दे के जल्दी समाधान का आह्वान करते हुए कहा कि केंद्र और वार्ताकारों के बीच उनकी सरकार सक्रिय भूमिका अदा करने के लिए प्रतिबद्ध है.
सचिवालय प्लाजा में तिरंगा फहराते हुए उन्होंने कहा कि इस राजनीतिक गुत्थी का समाधान नगा के लिए सम्माननीय, समावेशी और स्वीकार्य होना चाहिए.
मुख्यमंत्री ने कहा कि सत्तारूढ़ पीडीए गठबंधन में नगा राजनीतिक मुद्दा शीर्ष पर है.
उन्होंने बताया, ‘केंद्र सरकार और नगा राजनीतिक समूहों के बीच जारी बातचीत में हम सक्रिया भूमिका अदा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. इस राजनीतिक गुत्थी का समाधान नगा समुदाय के लिए सम्माननीय, समावेशी और स्वीकार्य होना चाहिए.’
रियो ने यह भी कहा कि नगालैंड सरकार ने पिछले एक साल में इस गुत्थी को सुलझाने के लिए कई महत्वपूर्ण क़दम उठाए हैं. इसमें राजनीतिक मामलों की समिति का गठन भी शामिल है. इसका काम आदिवासी होहो और सभ्य समाज के संगठनों से मुलाकात कर परामर्श लेना है.
उन्होंने कहा, ‘कोहिमा में 11 मई को होहो आदिवासी समूह से मुलाकात के दौरान हमने एनएससीएन-के समेत सभी नगा राजनीतिक समूहों को केंद्र के साथ संघर्ष विराम में शामिल होने और शांति वार्ता में शामिल होने की अपील करने का निर्णय किया था.’
मुख्यमंत्री ने केंद्र सहित सभी वार्ताकारों से इस प्रक्रिया को और तेज़ करने की अपील की.
रियो ने कहा, ‘राजनीतिक वार्ता पिछले 21 साल से जारी है. हमने कई चुनौतियों का सामना किया है, लेकिन लोगों की सामूहिक इच्छा के आगे कोई समस्या नहीं है.’
असम: एनआरसी को अद्यतन करने के काम में लगा सरकारी शिक्षक हिरासत में
मोरीगांव/गुवाहाटी: असम में एनआरसी के कार्य में शामिल एक सरकारी स्कूल शिक्षक को हिरासत में ले लिया गया. पुलिस ने बीते 16 अगस्त बताया कि जून में गुवाहाटी उच्च न्यायालय द्वारा उसे अवैध बांग्लादेशी प्रवासी घोषित किए जाने की बात सामने आने के बाद यह कदम उठाया गया.
पुलिस अधीक्षक (एसपी) स्वप्निल डेका ने बताया कि मोरीगांव के विदेशी नागरिक अधिकरण ने इससे पहले खैरुल इस्लाम को एक घुसपैठिया घोषित किया था. उसे 15 अगस्त की रात मोरीगांव ज़िले के मोइराबारी के पास से हिरासत में लिया गया.
मोरीगांव के उपायुक्त हेमन दास ने बताया कि जिला प्रशासन ने इस्लाम को एनआरसी को अद्यतन करने के काम में लगाया था. प्रशासन ने 13 अगस्त को उसे इस काम से हटा दिया था.
एसपी ने बताया कि मोरीगांव के विदेशी नागरिक प्राधिकरण के फैसले को बरक़रार रखने वाले गुवाहाटी उच्च न्यायालय के फैसले की प्रति मिलने के बाद पुलिस ने खैरुल को ढूंढने के लिए तलाश अभियान चलाया और मोइराबारी गांव के पास से उसे हिरासत में ले लिया.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि जिले के खांदापुखुरी लोअर प्राथमिक स्कूल के शिक्षक इस्लाम को मोरीगांव ज़िला प्रशासन ने एनआरसी सेवा केंद्र में संबंधित कार्य के लिए नियुक्त किया था. वह उन 40,000 सरकारी कर्मचारियों में शामिल था जिन्हें राज्य भर में एनआरसी के कार्य में लगाया गया था.
एनआरसी पर भाजपा के ख़िलाफ़ आक्रामक होगी कांग्रेस: हरीश रावत
नई दिल्ली: कांग्रेस महासचिव और असम प्रभारी हरीश रावत ने भाजपा पर विदेशी घुसपैठियों के नाम पर हव्वा खड़ा करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि अब राज्य में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के मुद्दे पर उनकी पार्टी सत्तारूढ़ दल के ख़िलाफ़ आक्रामक रुख़ अपनाएगी.
रावत ने यह भी कहा कि एनआरसी के आख़िरी मसौदे में जिन 40 लाख लोगों के नाम छूटे हैं, उनमें बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जो भारत के वास्तविक नागरिक हैं और कांग्रेस इनकी मदद करेगी.
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रावत ने कहा, ‘एनआरसी को लेकर हमने एक संतुलित नीति रखी है. एनआरसी की प्रक्रिया कांग्रेस ने आरंभ की और हम इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में मददगार हैं. इसके साथ ही हमें उन सभी वास्तविक नागरिकों की मदद करनी है जो किसी कारण से एनआरसी की प्रक्रिया से छूट गए हैं.’
उन्होंने कहा, ‘भाजपा एनआरसी और घुसपैठिये शब्द का उपयोग भले ही ध्रुवीकरण के लिए कर रही हो, लेकिन असम में एनआरसी का फायदा कांग्रेस को होने वाला है. भाजपा ने यह हव्वा खड़ा किया कि राज्य में करोड़ों विदेशी घुसपैठिये हैं. लेकिन अब लोग देख रहे हैं कि एनआरसी के आख़िरी मसौदे से 40 लाख लोग बाहर हैं और इनमें भी बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो भारत के वास्तविक नागरिक हैं.’
रावत ने कहा, ‘‘एनआरसी से बाहर लोगों में करीब आधे हिंदू हैं और इतने ही मुसलमान भी हैं. बंगाली भी और गैर बंगाली भी हैं. भाषायी अल्पसंख्यक भी हैं. उत्तर प्रदेश, बिहार और दूसरे प्रांतों के लोग भी इसमें हैं. असम की ज़मीनी वास्तविकता भाजपा के दुष्प्रचार से बहुत दूर है.’
उन्होंने कांग्रेस छोड़कर गए हिमंता बिश्व शर्मा के संदर्भ में दावा किया कि अब वह भाजपा के लिए बोझ बन गए हैं.
कांग्रेस महासचिव ने कहा, ‘हिमंता बिश्व शर्मा जब गए तो बड़ी-बड़ी बातें कीं. अब वह असम में भाजपा के लिए बोझ बन गए हैं. सर्बानंद सोनोवाल ने उनसे दूरी बना ली है. वहां एक सत्ता संघर्ष चल रहा है.’
उन्होंने यह भी कहा कि फिलहाल असम में वह पार्टी के संगठन को मज़बूत करने के लिए काम कर रहे हैं.
असम: फ़र्ज़ी मुठभेड़ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया
नई दिल्ली: असम में फ़र्ज़ी मुठभेड़ों में सशस्त्र बलों और राज्य पुलिस के संलिप्त रहने का आरोप लगाते हुए दायर की गई एक जनहित याचिका पर उच्चतम न्यायालय ने केंद्र और राज्य सरकार से जवाब मांगा है.
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और जस्टिस एएम खानविलकर तथा जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की सदस्यता वाली एक पीठ ने केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (सीआरपीएफ), राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) एवं अन्य को भी नोटिस जारी किया है.
पीठ ने 4 कोर के जनरल आॅफिसर कमांडिंग और सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के एकीकृत कमान के ऑपरेशनल ग्रुप के प्रमुख तथा असम के चिरांग ज़िले में पदस्थ सीआरपीएफ कमांडेंट से भी जवाब मांगा.
केंद्रीय बलों के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों के नाम का ज़िक्र जनहित याचिका में किया गया है. यह याचिका पूर्व नौकरशाह ईएएस शर्मा ने दायर की है. यह जनहित याचिका सीआरपीएफ के महानिरीक्षक (आईजी) रजनीश राय द्वारा अप्रैल 2017 में दर्ज एक रिपोर्ट पर आधारित है.
इसमें आरोप लगाया गया है कि पिछले साल 30 मार्च को असम के सिमलगुरी गांव में नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (सोंगबीजीत) के दो संदिग्ध सदस्यों की सुनियोजित फ़र्ज़ी मुठभेड़ में हत्या की गई.
शर्मा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंजालवेस पेश हुए. उन्होंने अख़बार में प्रकाशित ख़बरों का हवाला दिया, जिनमें दावा किया गया था कि राय ने फ़र्ज़ी मुठभेड़ के कुछ गवाहों से मुलाकात की थी.
पूर्व नौकरशाह ने थल सेना, असम पुलिस, सीआरपीएफ और एसएसबी की संयुक्त कार्रवाई में चिरांग ज़िले के सिमलगुरी गांव में 30 मार्च 2017 को अंजाम दी गई इस घटना की गहन जांच की मांग की है. इस घटना में एनडीएफबी (एस) के दो संदिग्ध सदस्य मारे गए थे.
त्रिपुरा: ब्रू परिवारों वाले शिविर 25 सितंबर तक बंद हो जाएंगे
अगरतला: केंद्र ने बीते 12 अगस्त को इस बात पर ज़ोर दिया कि उत्तर त्रिपुरा ज़िले में वे सभी छह शिविर 25 सितंबर के बाद बंद हो जाएंगे जहां पड़ोसी मिज़ोरम के ब्रू परिवारों ने आश्रय ले रखा है.
ब्रू शरणार्थियों को वापस भेजने का अंतिम चरण 25 अगस्त से शुरू होना तय है और 25 सितंबर को बंद हो जाएगा. ब्रू शरणार्थियों को वापस भेजने का अंतिम चरण 25 अगस्त से शुरू होना तय है और 25 सितंबर को बंद हो जाएगा.
गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव सत्येंद्र गर्ग ने संवाददाताओं से कहा, ‘ब्रू शरणार्थी नेताओं के साथ चर्चा के बाद हमने यह तय किया है कि शिविरों में रह रहे 32,876 लोगों को वापस भेजा जाना 25 अगस्त से शुरू होगा और यह प्रक्रिया 25 सितंबर तक समाप्त हो जाएगी. उसके बाद हम शिविरों को बंद कर देंगे.’
उन्होंने कहा, ‘उसके बाद भी यदि कोई रहना चाहे तो रह सकता है लेकिन हम शिविरों को बंद कर देंगे और राहत सामग्री का वितरण भी रोक देंगे.’
असम: व्यक्ति को पीट-पीटकर मार डालने के आरोप में 12 लोग गिरफ़्तार
गुवाहाटी: असम के बिश्वनाथ ज़िले में मवेशी चोर होने के संदेह में एक व्यक्ति को पीट-पीटकर मार डालने के आरोप में 12 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है.
पुलिस अधीक्षक दिगांत कुमार चौधरी ने बताया कि घटना में शामिल अन्य लोगों की तलाश की जा रही है.
भीड़ के हमले में देबेन राजबोंगशी (35) की मौत हो गई थी तथा पुजान घाटोवार (40), फूलचंद साहू (25) और बिजय नायक (25) घायल हो गए थे.
पुलिस अधीक्षक ने कहा, ‘हमारी जांच के अनुसार चार लोगों पर हमले में लगभग 15 लोग शामिल थे. पिछले दो दिनों में हमने 12 लोगों को गिरफ़्तार किया है.’
मेघालय: दक्षिण तुरा उपचुनाव को लेकर घृणास्पद भाषण के लिए निर्दलीय उम्मीदवार को नोटिस
तुरा: चुनाव आयोग ने मेघालय के दक्षिण तुरा सीट पर 23 अगस्त को होने वाले उपचुनाव के प्रचार अभियान के दौरान कथित तौर पर नफ़रत भरे भाषण के लिए निर्दलीय उम्मीदवार जॉन लेस्ली के संगमा को कारण बताओ नोटिस जारी किया है.
पश्चिमी गारो हिल्स के उपायुक्त राम सिंह ने उम्मीदवार को बीते 12 अगस्त को नोटिस जारी किए जाने की पुष्टि की है. उन्होंने कहा कि पूर्व विधायक के जवाब की प्रतीक्षा की जा रही है.
नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के महासचिव एमएन मारक ने निर्वाचन पदाधिकारी के समक्ष अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि निर्दलीय उम्मीदवार ने सात अगस्त को एक सभा में पूर्व विधायक अगाथा संगमा और उनके पिता पीए संगमा के ख़िलाफ़ नफ़रत भरा भाषण दिया था.
मणिपुर: इम्फाल एंड खोनगजोम पर्यटन परियोजना का लोकार्पण
इम्फाल: मणिपुर की राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला ने केंद्र की ‘स्वदेश दर्शन स्कीम’ के तहत ‘नार्थ ईस्ट सर्किट: इम्फाल और खोनगजोम पर्यटन परियोजना’ का इम्फाल के कांगला में लोकार्पण किया.
अधिकारियों ने बताया कि केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने करीब 72 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से 2015 में इस परियोजना की शुरुआत की थी जिसमें दो स्थलों- इम्फाल का कांगला किला और खोनगजोम को शामिल किया गया था.
इस अवसर पर बीते 14 अगस्त को राज्यपाल ने कहा कि मणिपुर में एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और सुंदरता है.
उन्होंने कहा कि मणिपुर आधुनिक पोलो एवं नात संकीर्तन का जन्मस्थान है जिसे यूनेस्को के ‘इन्टैन्जिबल कल्चरल हैरिटेज ऑफ ह्यूमैनिटी’ में शामिल किया गया है. यहां का इमा मार्केट दुनिया में महिलाओं का सबसे बड़ा बाज़ार है जिसमें 4000 महिला दुकानदार हैं.
इस अवसर पर राज्य के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह और केंद्रीय पर्यटन मंत्री केजे अल्फोंस भी उपस्थित थे.
मिज़ोरम: मुख्यमंत्री ने कहा, नई नीतियों से राज्य का सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य बदला
आईज़ोल: मिज़ोरम के मुख्यमंत्री ललथनहावला ने बीते 15 अगस्त को कहा कि नई भूमि उपयोग नीति (एनएलयूपी) और नई आर्थिक विकास नीति (एनईडीपी) को सफलतापूर्वक लागू करने से राज्य के आर्थिक-सामाजिक परिदृश्य पर उल्लेखनीय प्रभाव पड़ा है.
राजधानी में तिरंगा फहराने के बाद लोगों को संबोधित करते हुये ललथनहावला ने कहा कि मिज़ोरम आज गुजरात, झारखंड और त्रिपुरा सहित सबसे तेज़ी से आर्थिक विकास करने वाले राज्यों में से एक है जिसने पिछले चार सालों में रिकॉर्ड आठ प्रतिशत विकास दर हासिल की है.
उन्होंने कहा, ‘मिज़ोरम विश्व बैंक समूह और नीति आयोग द्वारा तैयार किए गए स्वास्थ्य सूचकांक में, छोटे राज्यों में पहले स्थान पर और सभी राज्यों की सूची में दूसरे स्थान पर है.’
उन्होंने दो अप्रैल को पूर्ववर्ती हमार पीपुल्स कन्वेंशन (डेमोक्रेटिक) उग्रवादियों के साथ हुए शांति समझौते का भी सरकार की एक उपलब्धि के तौर पर ज़िक्र किया जिसके बाद इस संगठन के कैडरों ने 13 अप्रैल को हथियार डाल दिए थे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)