भारत में 32 फीसदी लड़कियां 15-19 साल की उम्र में बनीं मां: रिपोर्ट

एनसीपीसीआर और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की ओर से पेश की रिपोर्ट के मुताबिक बाल विवाह के संदर्भ में राजस्थान, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, असम, बिहार और झारखंड के कई जिलों पर विशेष नीतिगत ध्यान देने की जरूरत है.

A 14-year-old sits with her four-month-old baby outside her house. Credit: Reuters/Danish Siddiqui

एनसीपीसीआर और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की ओर से पेश की रिपोर्ट के मुताबिक बाल विवाह के संदर्भ में राजस्थान, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, असम, बिहार और झारखंड के कई जिलों पर विशेष नीतिगत ध्यान देने की जरूरत है.

A 14-year-old sits with her four-month-old baby outside her house. Credit: Reuters/Danish Siddiqui
अपने चार महीने के बच्चे के साथ 14 साल की एक मां (फाइल फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: देश में पिछले कुछ वर्षों में शादीशुदा लड़कियों में से 32 फीसदी 15 से 19 साल की उम्र में मां बनीं. एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है.

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की ओर से बाल विवाह और किशोरावस्था में गर्भवती होने से जुड़ी रिपोर्ट बुधवार को जारी गई. यह रिपोर्ट 2015-16 की अवधि की है.

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में बाल विवाह के मामलों में कमी आई है, लेकिन लड़कियों के किशोरावस्था में मां बनना अभी भी एक चिंता का विषय बना हुआ है.

रिपोर्ट के अनुसार कुल शादीशुदा किशोरियों में 32 फीसदी 15-19 साल की उम्र में मां बनीं और यह बेहद का चिंता का विषय है.

इसमें कहा गया है कि बाल विवाह के संदर्भ में राजस्थान, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, असम, बिहार और झारखंड के कई जिलों पर विशेष नीतिगत ध्यान देने की जरूरत है. रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण भारत में 15-19 साल की उम्र में बाल विवाह का आंकड़ा 14.1 फीसदी और तो शहरी भारत में यह आंकड़ा 6.9 फीसदी है.

गौरतलब है कि भारत में लड़कियों के लिए शादी की कानूनी उम्र 18 साल और लड़कों के लिए 21 साल है.

आयोग ने यह भी सुझाव दिया कि देश में बाल विवाह को रोकने के लिए 18 साल की आयु तक के सभी छात्रों को शिक्षा का अधिकार दिया जाना चाहिए. ये सुझाव एक ऐसे शोध पर आधारित है जो कि दर्शाता है कि एक लड़की के शिक्षा का स्तर और विवाह की आयु के बीच संबंध है.

रिपोर्ट के मुताबिक ऐसा देखा गया है कि 15 साल की उम्र में स्कूल से एक लड़की को बाहर निकालने के बाद, उसकी कम उम्र में शादी करने की काफी संभावनाएं होती हैं.

रिपोर्ट से पता चलता है कि इन लड़कियों में से लगभग 30 प्रतिशत को कोई शिक्षा नहीं मिली, 21.9 प्रतिशत को प्राथमिक शिक्षा मिली, उनमें से 10 प्रतिशत को माध्यमिक स्कूली शिक्षा मिली है. 2.4 प्रतिशत लड़कियों को उच्च शिक्षा भी मिली है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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