इस बारे में प्रतिक्रिया देते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा कि ताक़तवर पदों पर बैठे पुरूष अक्सर ऐसा करते हैं. किसी के भी ख़िलाफ़ यौन उत्पीड़न के आरोपों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए क्योंकि आमतौर पर महिलाएं इस बारे में बोलने से डरती हैं.
महिलाओं द्वारा #मीटू मुहिम के तहत अपने साथ हुए उत्पीड़न का अनुभव बताने के क्रम में सोमवार को विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर का नाम सामने आया है. अब तक 8 महिला पत्रकारों ने सामने आकर कहा है कि पत्रकार रहने के दौरान अकबर ने उनका उत्पीड़न किया और उनसे अनुचित व्यवहार किया था.
पिछले दिनों मनोरंजन और मीडिया जगत की महिलाओं ने सोशल मीडिया पर अपने साथ हुए उत्पीड़न के अनुभव साझा किए. सबसे पहले पत्रकार प्रिया रमानी ने विदेश राज्यमंत्री का नाम लिया. उन्होंने साल 2017 में मीटू मुहिम की शुरुआत के समय लिखा एक लेख साझा करते हुए बताया कि उस अनुभव में बताया गया पहला व्यक्ति एमजे अकबर हैं.
https://twitter.com/priyaramani/status/1049279608263245824
प्रिया इंडिया टुडे, द इंडियन एक्सप्रेस और द मिंट का हिस्सा रह चुकी हैं. 2017 में अपने लेख में प्रिया ने बताया था कि ‘वे तब 23 साल की थीं, जब 43 साल के एक संपादक ने उन्हें नौकरी के इंटरव्यू के लिए साउथ मुंबई के एक पॉश होटल में बुलाया था. जब उन्होंने होटल पहुंचकर संपादक को फोन किया, तब उन्होंने रमानी को अपने कमरे में आने को कहा.’
प्रिया ने लिखा है कि ‘यह इंटरव्यू कम और डेट ज्यादा था. इस दौरान संपादक ने उन्हें ड्रिंक ऑफर किया, पुराने हिंदी फिल्मी गाने गाकर सुनाए. बेड पर बैठे संपादक ने उन्हें अपने पास आकर बैठने को कहा, जिसके लिए उन्होंने मना कर दिया.’
प्रिया ने सोमवार को इस लेख को शेयर करते हुए लिखा कि ‘इसकी शुरुआत में बताया गया अनुभव एमजे अकबर के साथ का है. उन्होंने तब उनका नाम नहीं, लिखा क्योंकि उनके साथ ‘कुछ’ हुआ नहीं था. इस व्यक्ति के साथ अन्य महिलाओं के और भी बुरे अनुभव हैं, शायद वे उन्हें साझा करें.’
प्रिया के यह पोस्ट करने के कुछ घंटों के अंदर ही कई और महिलाओं ने उनकी बात से हामी भरते हुए अकबर पर उनके साथ अनुचित व्यवहार करने के आरोप लगाए.
In this case, #MeToo. Year: 1995, Place Taj Bengal, Kolkata. After that encounter, I declined the job offer.
— Shuma Raha (@ShumaRaha) October 8, 2018
So many of us have an MJ story. "Can I come over to your house with a bottle of rum?" he said. NO, was the answer…. Couldnt 'do' anything. Some dont get the meaning of No… they move on to the next, dont they https://t.co/eMnO6Y3PNX
— Harinder Baweja (@shammybaweja) October 8, 2018
He was this brilliant,flamboyant #editor who dabbled in politics, who called me-my 1st job- to his hotel room to 'discuss work', after i put the edition to bed-read midnight, & made life at work hell when i refused.,cudnt speak up due to various compulsions, but yes #MeTooIndia
— prerna singh bindra 🐘🐅🐾 (@prernabindra) October 6, 2018
@It was #MJAkbar I do not say this lightly..i know the consequences of false accusations &it has been now 17 yrs &i have no concrete proof. but i was young, just made features editor, super impressed with our brilliant editor, sensitive writer(read Riot after Riot), 1/4
— prerna singh bindra 🐘🐅🐾 (@prernabindra) October 9, 2018
https://twitter.com/153anju/status/1049479703709528064
द इंडियन एक्सप्रेस के साथ काम कर चुकी पत्रकार शुमा राहा ने रमानी की पोस्ट पर अपनी सहमति जताई थी.
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए उन्होंने बताया, ‘1995 में एशियन ऐज में नौकरी के एक इंटरव्यू के लिए अकबर ने उन्हें कोलकाता के ताज बंगाल में बुलाया था. जब मैं होटल की लॉबी में पहुंची तब उन्होंने अपने कमरे में आने को कहा. मैंने इस बारे में ज्यादा नहीं सोचा लेकिन इंटरव्यू देते समय बेड पर बैठना असहज था.’
उन्होंने आगे बताया कि अकबर ने नौकरी का प्रस्ताव देने के बाद उनसे ड्रिंक पर मिलने की बात कही. उन्होंने इस अख़बार को बताया कि अकबर का इस तरह कहना परेशान करने वाला था और नौकरी मिल जाने के बावजूद उनके जॉइन न करने की वजह भी अकबर का ऐसा व्यवहार था.
इन महिलाओं के इतर द इंडियन एक्सप्रेस ने कुछ अन्य पत्रकारों कनिका गहलोत, सुपर्णा शर्मा से भी बात की, जिन्होंने महिला पत्रकारों के साथ अकबर के अनुचित व्यवहार के अनुभव बताए हैं.
इसके अलावा पत्रकार द वायर से बात करते हुए फोर्स मैगज़ीन की एग्जीक्यूटिव एडिटर ग़ज़ाला वहाब ने बताया है कि एशियन ऐज में नौकरी करने के दौरान अकबर ने उनका यौन शोषण किया, उन्हें मानसिक रूप प्रताड़ित किया और इसका अंत उनके इस्तीफ़ा देने के साथ हुआ.
ग़ज़ाला के अलावा पत्रकार सबा नक़वी ने भी अकबर पर उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं. द वायर द्वारा इस बारे में एमजे अकबर से संपर्क करने का प्रयास किया गया, उन्हें सवाल भेजे गए, लेकिन अब तक उनका जवाब नहीं आया है.
यौन उत्पीड़न के आरोपों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए: मेनका गांधी
मंगलवार को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी इस बारे में पत्रकारों के सवाल का कोई जवाब नहीं दिया. हालांकि महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा है कि किसी के भी खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए क्योंकि आमतौर पर महिलाएं इस बारे में बोलने से डरती हैं.
पूर्व संपादक एवं केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर पर उनके पत्रकार रहने के दौरान यौन उत्पीड़न करने के आरोप लगे हैं. मेनका गांधी ने मंगलवार को एक समाचार चैनल से बात करते हुए कहा, ‘ताकतवर पदों पर बैठे पुरूष अक्सर ऐसा करते हैं. यह बात मीडिया, राजनीति और यहां तक कि कंपनियों में वरिष्ठ अधिकारियों पर भी लागू होती है.’
उन्होंने कहा कि अब जब महिलाओं ने इस बारे में बोलना शुरू किया है तो उनके आरोपों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘महिलाएं इस बारे में बोलने से डरती हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि लोग उनका मजाक बनाएंगे, उनके चरित्र पर उंगलियां उठाएंगे. लेकिन अब जब उन्होंने बोलना शुरू किया है तो हर एक आरोप के बारे में कार्रवाई की जानी चाहिए.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)