10 केंद्रीय श्रम संघों के आह्वान पर बुलाई गई इस राष्ट्रव्यापी हड़ताल में 20 करोड़ मज़दूरों के शामिल होने की संभावना. हड़ताली यूनियनों का कहना है कि सरकार ने श्रमिकों के मुद्दों पर उसकी 12 सूत्रीय मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया. सितंबर 2015 के बाद केंद्र सरकार ने यूनियनों से एक बार भी बात नहीं की.
नई दिल्ली: विभिन्न केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की दो दिन की राष्ट्रव्यापी हड़ताल मंगलवार को शुरू हुई. इन यूनियनों ने सरकार पर श्रमिकों के प्रतिकूल नीतियां अपनाने का आरोप लगाया है.
हड़ताल में शामिल ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक) की महासचिव अमरजीत कौर ने पीटीआई से कहा, ‘असम, मेघालय, कर्नाटक, मणिपुर, बिहार, झारखंड, गोवा, राजस्थान, पंजाब , छत्तीसगढ़ और हरियाणा में- खास कर औद्योगिक इलाकों में हड़ताल का काफी असर दिख रहा है.’’
उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों में परिवहन विभाग के कर्मचारी और टैक्सी और तिपहिया ऑटो चालक भी हड़ताल में शामिल हैं. उन्होंने कहा कि भोपाल में परिवहन विभाग पूरी तरह बंद है. हरियाणा राज्य परिवहन निगम के कर्मचारी भी हड़ताल पर हैं.
एटक नेता के अनुसार रेलकर्मियों ने काले फीते पहन कर अपने अपने कार्यस्थल के बाहर बैठकें कर इस हड़ताल को अपना समर्थन जताया है. इस हड़ताल को 10 केंद्रीय श्रम संघों का समर्थन है.
इनमें एटक, इंटक, एचएमएस, सीटू, एआईटीयूसी, टीयूसीसी, सेवा,एआईसीसीटीयू, एलपीएफ और यूटीयूसी शामिल हैं.
इन यूनियनों का दावा है कि हड़ताल में 20 करोड़ मजदूर शामिल होंगे. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ी मजदूर यूनियन भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) इस हड़ताल में शामिल नहीं है.
अमरजीत कौर ने कहा कि दूरसंचार, स्वास्थ्य, शिक्षा, कोयला, इस्पात, बिजली, बैंक, बीमा और परिवहन क्षेत्र के कर्मचारी भी हड़ताल का समर्थन कर रहे हैं.
हड़ताल के दौरान सरकारी बैंक बंद रहेंगे. इन यूनियनों ने हड़ताल के दूसरे दिन यानी बुधवार 9 जनवरी को राजधानी में मंडी हाउस से संसद की ओर विरोध रैली निकालने की घोषणा की है. उनका कहना है कि देश में अन्य स्थानों में भी जुलूस निकाले जाएंगे.
हड़ताली यूनियनों ने आरोप लगाया है कि सरकार ने श्रमिकों के मुद्दों पर उसकी 12 सूत्री मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया है. उनका यह भी कहना है कि श्रम मामलों पर वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में गठित मंत्रियों के समूह ने दो सितंबर 2015 के बाद यूनियनों को वार्ता के लिए एक बार भी नहीं बुलाया है.
ये यूनियनें श्रम संघ कानून 1926 में प्रस्तावित संशोधनों का भी विरोध कर रही हैं. उनका कहना है कि इन संशोधनों के बाद यूनियनें स्वतंत्र तरीके से काम नहीं कर सकेंगी.
हड़ताल में किसान भी हैं शामिल
देश भर के किसान वाम किसान शाखा के तत्वावधान में सेंट्रल ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल में शामिल हैं.
माकपा से संबंधित ऑल इंडिया किसान सभा के महासचिव हन्नन मुल्ला ने कहा, ‘एआईकेएस और भूमि अधिकार आंदोलन 8-9 जनवरी को ‘ग्रामीण हड़ताल’, रेल रोको और मार्ग रोको अभियान चलायेगा. इसी दिन ट्रेड यूनियन राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल का आयोजन कर रहे हैं. यह कदम ग्रामीण संकट से जुड़े मुद्दों से निपटने, ग्रामीण किसानों की जमीनों को उद्योगपतियों से बचाने में मोदी सरकार की नाकामी के खिलाफ उठाया गया है. आगामी आम हड़ताल को किसानों का पूर्ण समर्थन होगा.’
भाकपा की किसान शाखा के अतुल कुमार अंजान ने कहा कि किसानों की कार्य समिति ने अपनी बैठक में फैसला किया कि जब श्रमिक, कामगार और आम जनता मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन करेगी तब किसान भी उसमें शामिल होंगे.
अंजान ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी नीतियों के प्रति अपनी निराशा जताने और राष्ट्रव्यापी हड़ताल को सफल बनाने के लिये किसान सड़क जाम, देशभर में प्रदर्शनों में शामिल होंगे.’
सीटू के महासचिव तपन सेन ने कहा कि बढ़ते आर्थिक संकट, मूल्य वृद्धि और जबरदस्त बेरोजगारी के खिलाफ ट्रेड यूनियनों एवं जन संगठनों के आह्वान पर सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारी, असंगठित क्षेत्र के कामगार, बंदरगाह एवं गोदी कर्मचारी, बैंक एवं बीमा कर्मचारी 8-9 जनवरी को राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन करने जा रहे हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)