नॉर्थ ईस्ट डायरी: मणिपुर सरकार की आलोचना के चलते गिरफ़्तार पत्रकार गंभीर रूप से बीमार

पत्रकार किशोरचंद्र वांगखेम को राज्य की भाजपा सरकार और मुख्यमंत्री एन.बीरेन सिंह की आलोचना के आरोप में रासुका के तहत एक साल की क़ैद की सज़ा सुनाई गई है. वे दिसंबर 2018 से जेल में हैं.

//

पत्रकार किशोरचंद्र वांगखेम को राज्य की भाजपा सरकार और मुख्यमंत्री एन.बीरेन सिंह की आलोचना के आरोप में रासुका के तहत एक साल की क़ैद की सज़ा सुनाई गई है. वे दिसंबर 2018 से जेल में हैं.

Kishorechandra Wangkhem fb 2
किशोरचंद्र वांगखेम (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्लीः मणिपुर सरकार की आलोचना करते वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड करने के चलते राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत गिरफ्तार पत्रकार किशोरचंद्र वांगखेम गंभीर रूप से बीमार हैं.

मालूम हो कि वह 27 नवंबर 2018 से पुलिस हिरासत में हैं और बीते कुछ दिनों से इम्फाल के जवाहरलाल नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (जिम्स) में उनका इलाज चल रहा है.

उनकी पत्नी रंजीता एलांगबम ने द वायर  को बताया, ‘उन्हें 20 मार्च को जिम्स लाया गया. मुझे किशोर के वकील से पता चला कि वह बीमार हैं, उन्हें (वकील को) जेल प्रशासन ने इस बारे में सूचित किया और बताया कि वह उस दिन जेल के बाहर डॉक्टरों से सलाह लेंगे. जैसे ही मैं अपने भाई के साथ अस्पताल पहुंची, उनके खून के जांच और बाकी पहले से ही हो चुके थे और वह डायटीशियन के पास थे.’

एलांगबम ने कहा, ‘अस्पताल में सुरक्षा के इंतजाम पुख्ता था. यह वही दिन था जब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इम्फाल के दौरे पर थे. पहले मुझे लगा कि राहुल गांधी के दौरे की वजह से सुरक्षा के इतने चाक-चौबंद इंतजाम हैं. हो सकता हो कि राहुल अस्पताल आ रहे हों, लेकिन मुझे बाद में पता चला कि इतनी सुरक्षा किशोरचंद्र के लिए थी. कम से कम 20 सुरक्षाकर्मी उस क्षेत्र की सुरक्षा में लगे थे. मुझे और मेरे भाई को उनसे (किशोरचंद्र) से मिलने की अनुमति नहीं दी गई.’

एलांगबम ने कहा कि मेरे भाई ने किशोरचंद्र को जेल की वैन में ले जाने के दौरान उनकी तस्वीरें ले ली थीं लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने जबरन उन्हें डिलीट करा दिया.

एलांगबम ने इम्फाल से बताया, ‘मेरे भाई ने तस्वीरें ली क्योंकि वह किशोरचंद्र के वजन में एकदम से इतनी गिरावट देखकर हैरान था. हम उनके प्रिसक्रिप्शन की तस्वीरें भी लेना चाहते थे, यह जानने के लिए कि उन्हें क्या बीमारी हैं लेकिन हमें सिर्फ जेलर से ही इसे लेने को कहा गया. हमें अस्पताल से पता चला कि खाने के बाद उनका शुगर लेवल 543 था इसलिए डॉक्टर उनके लिए विशेष आहार पर जोर दे रहे थे.’

एलांगबम ने कहा, ‘मैं उनके (किशोरचंद्र) के साथ मौजूद अधिकारी के पास गई. हालांकि, उन्हें अस्पताल प्रशासन ने उचित आहार के निर्देश दिए थे. उन्होंने मुझे बताया कि उन्हें नहीं लगता कि जेल प्रशासन उन्हें यह मुहैया कराएगा. अभी तक हमें मंजूरी नहीं मिली है कि हम उन्हें निर्धारित भोजन दे सकें, इस वजह से मुझे उनकी सेहत को लेकर बहुत चिंता हो रही है.’

रंजीता ने 22 मार्च की सुबह द वायर  को बताया कि जेल प्रशासन ने 21 मार्च की शाम को किशोरचंद्र के वकील से संपर्क किया और दवाइयों की एक सूची सौंपी, जिसे भेजा जाना जरूरी है.

एलांगबम ने कहा, ‘मेरा भाई आज दवाइयां लेकर सजिवा सेंट्रल जेल गया था. मुझे उम्मीद है कि उनकी दवा आज से शुरू हो जएगी.’ रंजीता का 12 मार्च को पति से मिलने का वक्त तय था लेकिन एनएसए के नियमों के अनुसार, उनकी पिछली मुलाकात के 15 दिन पूरे होने के बाद ही एलांगबम को पति से मिलने की मंजूरी दी जाएगी.

एलांगबम ने बताया, ‘हालांकि, उन्हें डायबिटीज नहीं है. उनके परिवार में कई लोगों को बीमारियां रही हैं. मैं खुद एक नर्स हूं. मैं खुद एक बार लगा था कि यह उनके बढ़ते शुगर लेवल की वजह से हो सकता है लेकिन उन्हें जेल के भीतर ही खून और शुगर टेस्ट कराने को कहा था. मैं जेल के मेडिकल विभाग को ग्लूकोमीटर देने के लिए अगले दिन जेल भी गई थी ताकि उनका टेस्ट हो जाए. कुछ दिनों बाद जब मैं इसके बारे में जानकारी लेने गई तो विभाग के अधिकारी ने बताया कि उन्हें तो ग्लूकोमीटर मिला ही नहीं.’

यह भी देखें: ‘पत्रकारों पर रासुका लगाने के पीछे सरकार का उद्देश्य बाकी पत्रकारों को डराना है’

द वायर  ने किशोरचंद्र के स्वास्थ्य को लेकर जेल प्रशासन से और जानकारियां मांगने के लिए संपर्क करने की कोशिश की लेकिन अभी तक संपर्क नहीं हो सका है.

27 नवंबर को रासुका के तहत किशोरचंद्र पर मामला दर्ज करने से पहले उन्हें 21 नवंबर को राजद्रोह की धारा के अलावा आईपीसी की धारा 294 और 500 के तहत इम्फाल पश्चिम पुलिस ने 21 नवंबर को गिरफ्तार किया था.

उन्हें सोशल मीडिया पर एक वीडियो अपलोड करने के लिए हिरासत में लिया गया था, जिसमें उन्होंने मेईतेई भाषा में मोदी और राज्य की एन. बीरेन सिंह के नेतृत्व में भाजपा सरकार की आलोचना की थी.

हालांकि एक स्थानीय अदालत ने उन्हें 26 नवंबर को जमानत पर रिहा कर दिया था और उनकी रिहाई के 24 घंटों के भीतर उन पर लगाए गए राजद्रोह के आरोप हटा दिए थे लेकिन उन्हें रासुका के तहत दोबारा गिरफ्तार किया गया.

इसके बाद दिसंबर 2018 में उन्हें एक साल की जेल की सजा सुनाई गयी. रासुका के तहत किसी भी व्यक्ति को अधिकतम 12 महीने की हिरासत में रखा जा सकता है.

किशोरचंद्र ने मणिपुर हाईकोर्ट में इस फैसले को चुनौती दी है अभी तक इसके पक्ष और विपक्ष में बहस पूरी हो चुकी है और अदालत के अंतिम आदेश का इंतजार है.

हालांकि, अदालत ने अभी तक इसके लिए तारीख निर्धारित नहीं की है. प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, उनकी पार्टी, उनकी विचारधारा और आरएसएस की आलोचना करने के लिए रासुका के तहत किशोरचंद्र की गिरफ्तारी के लिए मणिपुर सरकार की राज्य के भीतर और बाहर दोनों जगह व्यापक आलोचना हो रही है.

संयुक्त राष्ट्र के मैनडेट्स ऑफ द वर्किंग ग्रुप ऑन आर्बिट्रेरी डिटेंशन एंड द स्पेशनल रैपोर्टेउर ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सुरक्षा को लेकर तीन जनवरी को भारत सरकार को पत्र लिखा, जिसमें किशोरचंद्र की गिरफ्तारी को लेकर चिंता जताई गई.

पत्र में लिखा, ‘हम रासुका के जरिए अभिव्यक्ति की आजादी के शांतिपूर्ण इस्तेमाल के अपराधीकरण को लेकर चिंतित हैं, जिससे पत्रकारों के काम सहित भारत में सार्वजनिक बहस पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है.’

बता दें कि किशोरचंद्र को जब रासुका के तहत गिरफ्तार किया गया, तब जिस चैनल में वह काम करते थे, उसने उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया.

इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.