दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि पुलिस का कर्तव्य है कि वह अपने क्षेत्रों पर नज़र रखे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि महिलाओं या लड़कियों को बंधक बनाकर नहीं रखा गया है जैसा कि रोहिणी के एक आश्रम में हुआ था.
नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि निजी छात्रावासों और पेइंग गेस्ट आवासों जैसे उन स्थानों पर पुलिस को निगरानी करनी होगी जहां बड़ी संख्या में लोग, विशेषकर महिलाएं या लड़कियां रहती हैं ताकि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.
मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन और जस्टिस एजे भम्भानी की एक पीठ ने कहा कि दिल्ली पुलिस का कर्तव्य है कि वह अपने क्षेत्रों पर नजर रखें ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि महिलाओं या लड़कियों को बंधक बनाकर नहीं रखा जा सके जैसा रोहिणी के एक आश्रम में कथित तौर पर किया गया था.
अदालत ने पुलिस से पूछा कि जब यह पता चला कि रोहिणी के आश्रम में अनेक लड़कियां और महिलाएं रह रही हैं तो उन्होंने क्या कदम उठाए.
अदालत ने कहा, ‘दिल्ली पुलिस का यह पता लगाने का दायित्व है कि उनके क्षेत्र में क्या गतिविधियां चल रही हैं. जब इतनी सारी लड़कियां एक ही इमारत में रह रही थीं, तब निगरानी होनी चाहिए थी.’
आश्रम की ओर से पेश वकील ने कहा कि इमारत परिसर में कोई छात्रावास या पेइंग गेस्ट (पीजी) आवास नहीं चल रहा था. परिसर में रहने वाले लोगों को केवल आध्यात्मिक शिक्षा दी जा रही थी.
हिंदुस्तान टाइम्स की ख़बर के अनुसार आश्रम की ओर से पेश वक़ील के बयान पर कोर्ट ने कहा, ‘ वो आश्रम हॉस्टल या पीजी नहीं हो सकता है लेकिन आपने लड़कियों को वहां रखा हुआ था इसलिए उनकी सुरक्षा पर ध्यान देने की ज़रूरत है. आप अपने संस्थान को लेकर चिंतित हैं और हम आम जनता से जुड़े गंभीर मुद्दे पर गौर कर रहे हैं.’
अदालत राष्ट्रीय राजधानी के रोहिणी में वीरेन्द्र देव दीक्षित द्वारा संचालित ‘आध्यात्मिक विद्यालय’ में लड़कियों और महिलाओं को कथित रूप से कैद किये जाने से संबंधित एक मामले की सुनवाई कर रही थी.
हाईकोर्ट में मामला पहुंचने के बाद से ही दीक्षित फरार है. सीबीआई ने उसकी गिरफ्तारी में मदद करने वाली सूचना देने वाले को पांच लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा की है.
एक एनजीओ ने जनहित याचिका दायर की है जिसमें आरोप लगाया गया है कि रोहिणी के ‘आध्यात्मिक विश्वविद्यालय’ में लड़कियों और महिलाओं को अवैध रूप से कैद करके रखा गया था.
बता दें कि साल 2017 में दिल्ली के रोहिणी इलाके के विजय विहार स्थित आध्यात्मिक विश्वविद्यालय नाम के आश्रम में महिलाओं का यौन शोषण और उनके साथ बलात्कार किए जाने का मामला सामने आया था.
उस समय फाउंडेशन फॉर सोशल एम्पावरमेंट नाम के एनजीओ की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने आध्यात्मिक विश्वविद्यालय नाम के आश्रम पर छापा मारने का आदेश दिया था.
जिसके बाद डीसीपी (रोहिणी) रजनीश गुप्ता, दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल और दिल्ली हाईकोर्ट की ओर से नियुक्त चार अधिवक्ताओं के नेतृत्व में दिल्ली पुलिस की टीम ने आध्यात्मिक विश्वविद्यालय में छापा मारा था.
छापेमारी के बाद वहां से तकरीबन 40 युवतियों को रिहा करवाया गया.
याचिका में एनजीओ ने आरोप लगाया था कि आध्यात्मिक विश्वविद्यालय में तमाम महिलाओं और नाबालिग लड़कियों को बंधक बनाकर रखा गया है और उनका यौन शोषण किया जाता है.
वहां बंधक बनाकर रखी गईं महिलाओं को उनके परिवार और समाज से पूरी तरह काट दिया गया था. महिलाओं को पिछले 25 सालों से छोटे दड़बेनुमा जेल जैसी जगह में बांध कर रखा जाता था. आरोप है कि यहां महिलाओं को नशे में रखा जाता था.
हाईकोर्ट ने आध्यात्मिक विश्वविद्यालय के निर्माण को लेकर सीबीआई जांच के भी आदेश दे दिए थे. साथ ही पीठ ने सीबीआई के निदेशक से मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल गठित करने का आदेश दिया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)