महिला वकीलों और कार्यकर्ताओं ने कहा कि हम फिर दोहराते हैं कि तीन जजों की समिति का गठन पूरी तरह से ग़लत है क्योंकि सीजेआई शिकायत की सुनवाई करने वाले तीनों जजों से वरिष्ठ और संस्थान के प्रमुख हैं.
नई दिल्ली: 300 से अधिक महिलाओं ने सीजेआई के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने वाली शिकायतकर्ता के आरोपों की जांच के लिए बनी आंतरिक समिति के सामने पेश होने से मना करने का समर्थन किया है. इन महिलाओं में वकील, शिक्षाविद, सामाजिक कार्यकर्ता और नागरिक अधिकार समूहों से जुड़ी महिलाएं शामिल हैं.
महिलाओं ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि हमने शिकायतकर्ता के समिति छोड़ने के फैसले का समर्थन किया है.
मालूम हो कि शिकायतकर्ता ने मुख्य रूप से चार आपत्तियां जताते हुए यह निर्णय लिया था. 1) सुनवाई के दौरान उन्हें उनकी वकील को रहने की अनुमति नहीं दी गई 2.) समिति की कार्यवाही को वीडियो/ऑडियो रिकॉर्डिंग न होना 3.) समिति द्वारा उनके दिए गए बयानों की प्रति न सौंपना 4.) समिति द्वारा उन्हें कार्यवाही के लिए अपनाई जा रही प्रक्रिया के बारे में न बताना।
साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि शुरुआत में मुझे लगता था कि जज निष्पक्ष जांच करेंगे लेकिन तीन सुनवाइयों के बाद लगा कि- तीन सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीशों- जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस इंदिरा बनर्जी की यह समिति मेरी शिकायत को संवेदनशीलता से नहीं बल्कि शक की नजरों से अधिक देखते हैं.
उन्होंने सुनवाई के माहौल को डराने वाला बताते हुए कहा था कि उन्हें नहीं लगता कि उन्हें न्याय मिलेगा.
इन महिला वकीलों और कार्यकर्ताओं ने कहा कि महिला के समिति छोड़ने के फैसले के बाद भी जांच जारी रखकर और सीजेआई गोगोई को समन करके समिति ने खुद को अविश्वसनीय बना लिया है. उन्होंने अदालत से इन सुनवाइयों पर रोक लगाने की मांग करते हुए कहा कि किसी बाहरी सदस्य के न होने कारण यह समिति स्वाभाविक रूप से दोषपूर्ण है.