नक्सली हमलों से 15 गुना अधिक हार्ट अटैक, डिप्रेशन, डेंगू से सीआरपीएफ जवानों की मौत

यह आंकड़ा सभी 11 नक्सल प्रभावित राज्यों का है. साल 2016 से जुलाई 2018 तक हार्ट अटैक, मलेरिया-डेंगू, आत्महत्या और अन्य गैर नक्सली कारणों से 1294 सीआरपीएफ जवानों की मौत हुई है.

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यह आंकड़ा सभी 11 नक्सल प्रभावित राज्यों का है. साल 2016 से जुलाई 2018 तक हार्ट अटैक, मलेरिया-डेंगू, आत्महत्या और अन्य गैर नक्सली कारणों से 1294 सीआरपीएफ जवानों की मौत हुई है.

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(फोटो साभारः पीटीआई)

नई दिल्लीः नक्सली हमलों की तुलना में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवानों की मौत दिल के दौरे, अवसाद (डिप्रेशन) व मच्छर जनित बीमारियां जैसे मलेरिया व डेंगू से अधिक हो रही है. सीआरपीएफ कर्मचारियों की इन कारणों से मौत नक्सली हमले में मारे गए कर्मियों की तुलना में 15 गुना ज्यादा है.

आधिकारिक आंकड़े में यह जानकारी सामने आई है. समाचार एजेंसी आईएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक, आंकड़ों के अनुसार, एक जनवरी 2016 से 30 जुलाई 2018 के बीच कुल 1,294 सीआरपीएफ जवानों की मौत अवसाद, दिल के दौरे, आत्महत्या, मलेरिया या डेंगू व अन्य कारणों से हुई.

हालांकि, इस दौरान 85 जवान नक्सली हमलों में शहीद हुए. ये आंकड़ें सभी 11 नक्सल प्रभावित राज्यों का है. सीआरपीएफ के इन 1,294 कर्मियों में से 416 की मौत साल 2016 में, 2017 में 635 और 30 जुलाई 2018 तक 183 मौतें हुईं.

साल 2016 में 92 जवानों की मौत दिल के दौरे की वजह से हुई, पांच की मलेरिया व डेंगू की वजह से और 26 ने अवसाद की वजह से आत्महत्या कर ली और 352 लोगों की मौतें अन्य कारणों से हुईं. नक्सली हमलों में 2016 में बिहार में 11, छत्तीसगढ़ में 18 और झारखंड में दो सीआरपीएफ जवान शहीद हुए थे.

साल 2017 में दिल के दौरे से 156, मच्छर जनित बीमारियों (मलेरिया व डेंगू) से छह, अवसाद की वजह से आत्महत्या करने वाले 38 जवानों और दूसरी वजहों से 435 मौतें हुईं. इस साल नक्सली हमलों में शहीद हुए जवानों की संख्या 40 रही. इनमें 39 जवान छत्तीसगढ़ और एक महाराष्ट्र में शहीद हुए थे.

2018 में (30 जुलाई तक) दिल के दौरे की वजह से 39, मलेरिया व डेंगू  से एक, अवसाद की वजह से आत्महत्या करने वाले 19 जवानों और अन्य कारणों से  12 मौतें हुईं.

हालांकि, नक्सली हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ कर्मियों की संख्या 2016 में 31 रही. साल 2017 में 40 और साल 2018 में एक जनवरी से 30 जुलाई 2018 के बीच 14 जवान ऐसे हमलों में शहीद हुए थे.

मालूम हो कि आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के 90 जिले नक्सल प्रभावित हैं.

इनमें आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, महाराष्ट्र, ओडिशा और तेलंगाना के 30 जिले सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित हैं. इनमें झारखंड सबसे आगे है. इसके 13 जिले सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित हैं. इसके बाद छत्तीसगढ़ के आठ और बिहार  के चार जिले आते हैं.

सीआरपीएफ में अधिकारियों सहित 3.5 लाख जवान हैं.

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