पेरिस के पास भारतीय वायुसेना की रफाल परियोजना प्रबंधन टीम का दफ़्तर है. पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि क्या विमान से जुड़े गोपनीय डेटा चुराने की मंशा से यह घुसपैठ की कोशिश की गई.
नई दिल्ली: फ्रांस की राजधानी पेरिस स्थित भारतीय वायुसेना के उस दफ्तर में बीते रविवार को कुछ लोगों ने घुसपैठ की कोशिश की, जो भारत के लिए 36 रफाल लड़ाकू विमानों के उत्पादन की निगरानी कर रहा है. सैन्य सूत्रों के मुताबिक, यह जासूसी का मामला हो सकता है.
उन्होंने बताया कि कुछ अज्ञात लोग पेरिस के उपनगरीय इलाके में भारतीय वायुसेना की रफाल परियोजना प्रबंधन टीम के दफ्तर में अवैध रूप से दाखिल हो गए. स्थानीय पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि क्या विमान से जुड़े गोपनीय डेटा को चुराने की मंशा से यह घुसपैठ की कोशिश की गई.
एक सूत्र ने बताया, ‘शुरुआती आकलन के मुताबिक, कोई डेटा या हार्डवेयर नहीं चुराया गया है. स्थानीय पुलिस घटना की जांच कर रही है.’
सूत्रों ने बताया कि वायुसेना ने इस घटना के बारे में रक्षा मंत्रालय को सूचित कर दिया है. पेरिस स्थित भारतीय दूतावास फ्रांस के अधिकारियों के संपर्क में है.
इस बीच, फ्रांसीसी न्यूज एजेंसी एएफपी ने नानतेरे शहर से खबर दी है कि पेरिस के पास भारतीय सैन्यकर्मियों के द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे एक दफ्तर से दस्तावेज और पैसे चुराए गए हैं. एक फ्रांसीसी अभियोजक ने बुधवार को यह जानकारी दी.
यह लूट फ्रांस की कंपनी दासो एविएशन के दफ्तरों के पास पेरिस के पश्चिम में स्थित उपनगरीय इलाके सेंट क्लाउड में शनिवार-रविवार की दरम्यानी रात हुई.
स्थानीय अभियोजक कार्यालय के एक सूत्र ने अपने नाम का खुलासा नहीं करने की शर्त पर बताया कि मामले की जांच शुरू कर दी गई है. उसने पुष्टि की कि दफ्तर के एक सेफ से दस्तावेज और पैसे चुराए गए हैं.
एक अलग पुलिस सूत्र ने एएफपी को बताया कि घटनास्थल को संवेदनशील करार दे दिया गया है और दासो एविएशन के एक कर्मचारी द्वारा सोमवार को सुरक्षा सेवाओं को अलर्ट कर दिया गया था.
रफाल परियोजना प्रबंधन का भारतीय वायुसेना का दफ्तर रफाल विमान बनाने वाली कंपनी दसाल्ट एविएशन के परिसर में स्थित है.
रक्षा मंत्रालय या भारतीय वायुसेना की तरफ से इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है.
सूत्रों ने बताया कि रफाल विमानों के हथियार पैकेज या एवियोनिक्स से जुड़ा कोई भी डेटा चोरी होने के गंभीर परिणाम हो सकते हैं.
भारतीय वायुसेना की परियोजना प्रबंधन टीम की अध्यक्षता एक ग्रुप कैप्टन कर रहे हैं. इसमें दो पायलट, एक लॉजिस्टिक अधिकारी और कई हथियार विशेषज्ञ एवं इंजीनियर भी हैं. यह टीम रफाल विमानों के निर्माण और इसमें हथियारों के पैकेज के मुद्दे पर दासो एविएशन के साथ समन्वय कर रही है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 अप्रैल 2015 को पेरिस में तत्कालीन फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद से वार्ता के बाद 36 रफाल विमानों की खरीद की घोषणा की थी. करीब 56,000 करोड़ रुपये की लागत वाला अंतिम करार 23 सितंबर 2016 को हुआ था.
कांग्रेस रफाल करार में बड़े पैमाने पर अनियमितता के आरोप लगाती रही है. वह दासो एविएशन के ऑफसेट पार्टनर के लिए अनिल अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस डिफेंस के चयन पर मोदी सरकार पर हमलावर रही है.
मोदी सरकार ने कांग्रेस के आरोपों को खारिज किया है. भारत को पहला रफाल विमान इस साल सितंबर में मिलने की संभावना है.
मालूम हो कि बीते 14 दिसंबर को अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने रफाल सौदे में जांच की मांग वाली सभी याचिकाएं ख़ारिज कर दी थीं और कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग को भी ठुकरा दी थी.
इसके बाद बीते 21 फरवरी को रफाल सौदे को लेकर दायर पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई को तैयार हो गया था. रफाल सौदे की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली अपनी याचिका खारिज होने के बाद, पूर्व मंत्री अरुण शौरी और यशवंत सिन्हा के साथ-साथ वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर कर फैसले की समीक्षा की मांग की थी.
पुनर्विचार याचिका की सुनवाई करने वाली पीठ में सीजेआई रंजन गोगोई के अलावा जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ भी शामिल हैं.
बता दें कि ‘द हिंदू’ अख़बार ने बीते फरवरी माह में दावा किया था कि फ्रांस की सरकार के साथ रफाल समझौते को लेकर रक्षा मंत्रालय के साथ-साथ पीएमओ भी समानांतर बातचीत कर रहा था.
हालांकि बीते चार मई को सुप्रीम कोर्ट में एक नया हलफ़नामा दाख़िल कर केंद्र की मोदी सरकार ने दावा किया है कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) द्वारा सौदे की निगरानी को समानांतर बातचीत या दख़ल के तौर पर नहीं देखा जा सकता.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)