मुज़फ़्फ़रनगर दंगों से जुड़े 41 में से 40 मामलों में सभी आरोपी बरी

उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर में 2013 को हुए दंगों में हत्या के गवाहों के अपने बयान से मुकर जाने के बाद अदालत ने सभी 10 मुक़दमों के आरोपियों को रिहा कर दिया. मुज़फ़्फ़रनगर दंगों में 65 लोगों की मौत हुई थी.

Muzaffarnagar Riot Relief Camp Reuters
2013 में हुए मुज़फ़्फ़रनगर दंगों के बाद विस्थापित लोगों का शिविर. (फाइल फोटो: रॉयटर्स)

उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर में 2013 को हुए दंगों में हत्या के गवाहों के अपने बयान से मुकर जाने के बाद अदालत ने सभी 10 मुक़दमों के आरोपियों को रिहा कर दिया. मुज़फ़्फ़रनगर दंगों में 65 लोगों की मौत हुई थी.

Muzaffarnagar Riot Relief Camp Reuters
2013 में हुए मुज़फ़्फ़रनगर दंगों के बाद विस्थापित लोगों का शिविर. (फाइल फोटो: रॉयटर्स)

लखनऊः उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर दंगों के मामले ने अदालत ने 2017 से 2019 के बीच हत्या के 10 मुकदमों में सभी आरोपियों को बरी कर दिया है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, हत्या के गवाहों के अपने बयान से मुकर जाने के बाद अदालत ने इन सभी 10 मुकदमों के आरोपियों को रिहा कर दिया. इन गवाहों में अधिकतर मारे गए लोगों के संबंधी थे.

एक्सप्रेस की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पुलिस ने अहम गवाहों के बयान दर्ज नहीं किए. इसके साथ ही हत्या में प्रयोग किए गए हथियार भी पुलिस की ओर से पेश नहीं किए गए.

रिपोर्ट के मुताबिक, इन 10 मामलों से जुड़े शिकायतकर्ता और गवाहों से बातचीत के साथ ही अदालत के रिकॉर्ड और दस्तावेज़ों की पड़ताल के बाद पता चला कि पांच गवाह अदालत में इस बात से मुकर गए कि अपने संबंधियों की हत्या के वक्त मौके पर मौजूद थे.

छह अन्य गवाहों ने अदालत में कहा कि पुलिस ने जबरन खाली कागजों पर उनके हस्ताक्षर लिए थे.

इस संबंध में जनवरी 2017 से फरवरी 2019 तक चले इन मुकदमों के रिकॉर्ड, गवाहों के बयानों की विस्तृत पड़ताल और मुकदमें में शामिल अधिकारियों से बातचीत के बाद पता चला कि पांच मामलों में हत्या में इस्तेमाल हुए औजार को पुलिस ने अदालत में पेश नहीं किया. इतना ही नहीं अभियोजन पक्ष ने पुलिस की सभी बातों को ज्यों का त्यों स्वीकार कर लिया. इस तरह सभी आरोपी अदालत से छूट गए.

मुज़फ़्फ़रनगर दंगों के 41 मामलों में से सिर्फ एक मामले में मुज़फ़्फ़रनगर की स्थानीय अदालतों ने सजा सुनाई है. इस मामले में इस साल 8 फरवरी को सजा सुनाई गई थी.,

इसमें 27 अगस्त 2013 को कवल गांव में हुई वह घटना शामिल है, जिसमें सचिन और गौरव दो भाइयों की हत्या कर दी गई थी. इस हत्या के आरोप में अदालत ने मुज़म्मिल, मुजस्सिम, फुर्कान, नदीम, जहांगीर, अफजल और इकबाल को सजा सुनाई गई.

हत्या से जुड़े 10 मामलों में 53 लोगों को सीधे तौर पर रिहा कर दिया गया. इसके अलावा सामूहिक बलात्कार के चार और दंगों के 26 मामलों में भी किसी आरोपी को सजा नहीं मिल सकी.

गौरतलब है कि साल 2013 में  मुज़फ़्फ़रनगर में हुए दंगों में 65 लोगों की मौत हो गई थी.

मालूम हो कि दंगे के सभी मामले अखिलेश यादव की सरकार में दर्ज किए गए थे. इन मामलों की सुनवाई सपा के साथ भाजपा सरकार में भी हो रही थी.

उत्तर प्रदेश सरकार का कहना है कि वह इन मामलों में अपील नहीं करेगी.

सरकारी वकील दुष्यंत त्यागी का कहना है, ‘हम 2013 मुज़फ़्फ़रनगर दंगे मामले में कोई अपील नहीं करने जा रहे हैं. इन मामलों में सभी मुख्य गवाह अपने बयान से मुकर गए थे. इन मामलों में आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट गवाहों के बयान पर ही दर्ज की गई थी.’