रॉयटर्स, बीबीसी, द वाशिंगटन पोस्ट और अल जजीरा जैसे अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों की रिपोर्ट्स के मुताबिक जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के खिलाफ हजारों प्रदर्शनकारियों ने विरोध किया. प्रदर्शनकारियों को भगाने के लिए सुरक्षा बलों ने पेलेट गन और आंसू गैस का इस्तेमाल किया.
नई दिल्ली: रॉयटर्स, बीबीसी, द वाशिंगटन पोस्ट और अल जजीरा जैसे अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों ने भारी सुरक्षा के बीच शुक्रवार दोपहर को कश्मीर में विरोध प्रदर्शन पर रिपोर्ट की. हालांकि, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने समाचार एजेंसियों के उस दावे को खारिज कर दिया कि श्रीनगर में कम से कम 10 हजार प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए.
श्रीनगर में सुरक्षा बलों पर युवाओं की पत्थरबाजी जैसी कई घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं. वहीं, अल जजीरा ने कथित तौर पर श्रीनगर में एक वीडियो में बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों को दिखाया जिसमें कई प्रदर्शनकारी काले झंडे और ‘सेव आर्टिकल 370’ की तख्तियां लिए हुए थे.
शनिवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इन रिपोर्टों पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्हें मनगढ़ंत और गलत बताया.
A news report originally published in Reuters and appeared in Dawn claims there was a protest involving 10000 people in Srinagar.
This is completely fabricated & incorrect. There have been a few stray protests in Srinagar/Baramulla and none involved a crowd of more than 20 ppl.
— Spokesperson, Ministry of Home Affairs (@PIBHomeAffairs) August 10, 2019
हालांकि, अल जजीरा ने अपनी खबर को सही बताया है. श्रीनगर को समझने वाले कश्मीरी पत्रकारों ने द वायर को बताया कि वीडियो फुटेज श्रीनगर के पड़ोसी इलाके सौरा का लग रहा है.
वहीं, बीबीसी ने भी एक वीडियो फुटेज जारी किया. उसने कहा कि यह फुटेज उसने वहां पर बनाया है. ये वीडियो सरकार के उन आधिकारिक दावों को खारिज कर रहे हैं जिसमें कहा गया कि वहां पर बड़े पैमाने पर कोई विरोध नहीं हुआ.
श्रीनगर से वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों को वापस जाने को कहा. हालांकि, जब उन्होंने मना कर दिया तब सुरक्षा बलों ने पेलेट गन और आंसू गैस का इस्तेमाल किया. प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि शुक्रवार को पेलेट गन के हमले में कम से कम आठ लोग घायल हुए.
श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में पेलेट गन के कई पीड़ित भर्ती हैं. वहां के एक प्रत्यक्षदर्शी ने रॉयटर्स को बताया, कुछ महिलाएं और बच्चे पानी में भी कूद गए. एक अन्य प्रदर्शनकारी ने बताया, उन्होंने (पुलिसकर्मी) हम पर दोतरफा हमला किया.
बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा विशेष राज्य का दर्जा छिनते हुए अनुच्छेद 370 को खत्म करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बदलने के आदेश के बाद से राज्य को एक तरह से बंद का सामना करना पड़ रहा है और संचार सेवाएं भी पूरी तरह से बाधित हैं. वहीं, राज्य में 46 हजार अतिरिक्त जवानों की तैनाती की गई है.
द वायर की रिपोर्ट के अनुसार, कर्फ्यू की घोषणा न किए जाने के बावजूद सुरक्षाबलों की भारी तैनाती के कारण राज्य के अधिकतर इलाके पूरी तरह से सुनसान हैं. मोबाइल, लैंडलाइन और इंटरनेट सेवाएं पूरी तरह से बंद हैं.
अल जजीरा की रिपोर्ट के अनुसार, कश्मीर में नमाज अदा करने के लिए शुक्रवार को जहां पाबंदी में थोड़ी ढील दी गई थी, वहीं दक्षिण कश्मीर, उत्तर कश्मीर और कश्मीर के कुछ अन्य हिस्सों में विरोध प्रदर्शनों के बाद सुरक्षा पाबंदियां एक बार फिर से बढ़ा दी गईं.
एक पुलिस अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया कि 10 हजार लोगों ने विरोध प्रदर्शनों में हिस्सा लिया. पहले ये सभी सौरा इलाके में इकट्ठे हुए और फिर उन्हें पीछे करते हुए आयवा पुल ले जाया गया.
अल जजीरा के अनुसार, प्रदर्शनकारियों को भगाने के लिए सुरक्षा बलों ने हवा में गोलियां चलाईं और आंसू गैस, रबर लगे हुए स्टील बुलेट का भी इस्तेमाल किया.
बता दें कि, द वायर ने अपनी ग्राउंड रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि की थी कि पिछले कुछ दिनों में सुरक्षा बलों ने पेलेट गन का इस्तेमाल किया है. इसके कारण करीब 12 युवाओं या लड़कों को पेलेट गन से घायल होने के कारण एसएसएमएस अस्पताल में भर्ती कराया गया. यह रिपोर्ट उन आधिकारिक दावों को खारिज करती है जिसमें कहा जा रहा है कि जमीनी स्तर पर हालात शांत हैं.
पुलिस महानिदेशक ने कहा- जम्मू कश्मीर में स्थिति शांतिपूर्ण, एक हफ्ते में किसी अप्रिय घटना की खबर नहीं
जम्मू कश्मीर पुलिस ने शनिवार रात कहा कि राज्य में स्थिति शांतिपूर्ण है और पिछले एक हफ्ते में किसी अप्रिय घटना की खबर नहीं मिली है.
पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने कहा, ‘पथराव की मामूली घटना को छोड़ कर किसी तरह की अप्रिय घटना की कोई खबर नहीं है जिससे तत्काल निपट लिया गया था और वहीं रोक दिया गया था.’
#WATCH SP Pani, IGP Kashmir denies media reports of police firing in Kashmir says,"This is to clarify some international media reports regarding firing incidents in the valley,they are wrong, no such incident has taken place. Valley has remained largely peaceful over last 1 week" pic.twitter.com/aF0SSMoIG2
— ANI (@ANI) August 10, 2019
वहीं राज्य के मुख्य सचिव और डीजीपी ने लोगों से मनगढंत खबरों पर यकीन नहीं करने को कहा और कहा कि कश्मीर में पिछले छह दिनों में गोलीबारी की कोई घटना नहीं हुई है.
डीजीपी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बयान के बाद राज्य की स्थिति के संबंध में यह स्पष्टीकरण दिया. राहुल गांधी ने नई दिल्ली में मीडियाकर्मियों से कहा था कि जम्मू कश्मीर में स्थिति बहुत खराब है.
#WATCH Rahul Gandhi, Congress: I was called by the Working Committee because between the work that they were doing, to choose next Congress president, some reports have come that things in Jammu&Kashmir are going very wrong…so we stopped our deliberation… pic.twitter.com/5WgtRahH7Y
— ANI (@ANI) August 10, 2019
राहुल गांधी ने जम्मू-कश्मीर के हालात पर ‘गंभीर चिंता’ जताते हुए कहा था कि सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पारदर्शिता के साथ राज्य की स्थिति से देश की जनता को अवगत कराएं.
गांधी के बयान के कुछ ही मिनट बाद श्रीनगर पुलिस ने ट्वीट किया कि स्थिति शांतिपूर्ण है. ट्वीट में कहा गया, ‘घाटी में स्थिति आज सामान्य थी. किसी अप्रिय घटना की खबर नहीं मिली. कुछ चुनिंदा स्थानों पर प्रतिबंध अस्थायी रूप से हटाए गए थे.’
बता दें कि, इससे पहले कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में एक प्रस्ताव पारित कर राज्य के हालात खासकर मुख्यधारा के राजनीतिक दलों के नेताओं की ‘गिरफ्तारी और हिरासत’ को लेकर चिंता जताई गई थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)