लैंसेट जर्नल के हालिया अध्ययन के मुताबिक स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में 195 देशों की सूची में भारत 154 वें स्थान पर है.
देश में आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं की कमी जब-तब सामने आती रहती है. कभी किसी राज्य में लगातार प्रसूताओं की मृत्यु का मामला सामने आता है तो किसी राज्य से एम्बुलेंस की कमी के चलते किसी परिजन का शव कंधे पर ले जाते घर वालों की तस्वीरें. देश में बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं की इस हालत की पुष्टि हालिया हुए एक अध्ययन के परिणामों से हो जाती है.
मेडिकल जर्नल ‘द लैंसेट’ में प्रकाशित ‘ग्लोबल बर्डेन ऑफ डिजीज स्टडी’ के अनुसार भारत स्वास्थ्य सेवा से जुड़ी स्वास्थ्य सुविधाओं और सेवाओं के मामले में अपने कई पड़ोसी देशों से काफी पीछे है.
इस रिपोर्ट के अनुसार स्वास्थ्य सेवाएं देने के क्षेत्र में भारत पिछली रैंकिंग से 11 स्थान से गिरकर 154 वें स्थान पर पहुंच गया है. सूची में कुल 195 देश हैं. दक्षिण एशिया में स्वास्थ्य सुविधाएं देने में श्रीलंका अव्वल रहा, वहीं बांग्लादेश, चीन, भूटान भी भारत से आगे हैं.
वहीं, अलग-अलग रोगों से निपटने की रैंकिंग के अनुसार नवजात शिशु मृत्युदर के मामले में भारत को 100 में से 14 स्कोर मिला है जो सोमालिया (21/100) और अफगानिस्तान (19/100) से कम है. वहीं टीबी से निपटने में भारत को 100 में से 26 का स्कोर मिला, जो पाकिस्तान (29/100) और कांगो (30/100) से कम है.
इन रोगों के अलावा डायबिटीज़, गुर्दे और ह्रदय से जुड़े रोगों के इलाज में भी भारत का स्कोर बेहद कम रहा है.
हालांकि स्वास्थ्य सेवा उपलब्धता और गुणवत्ता के इंडेक्स में भारत ने पिछले सालों के मुकाबले में बढ़त दर्ज की है.
पर जर्नल के मुताबिक एशियाई देशों में स्वास्थ्य सेवा की उपलब्धता के मामले में भारत का प्रदर्शन उम्मीद से बेहद ख़राब रहा है.
हेल्थ इंडेक्स की इस सूची में स्विट्जरलैंड शीर्ष पर है. वहीं, स्वीडन और नार्वे क्रमशः दूसरे व तीसरे स्थान पर हैं.
विकसित देशों में स्वास्थ्य क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन न करने वाले देशों में ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं.
समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के आधार पर