दिल्ली विश्वविद्यालय के अन्य छात्र संगठन एनएसयूआई और आइसा ने विरोध करते हुए कहा है कि सावरकर को नेताजी सुभाष चंद्र बोस और भगत सिंह के समकक्ष नहीं रखा जा सकता. उन्होंने 24 घंटों के भीतर मूर्तियां नहीं हटाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू करने की धमकी दी.
नई दिल्लीः दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में रातों-रात वीर सावरकर, सुभाष चंद्र बोस और भगत सिंह की प्रतिमाएं स्थापित करने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) संबद्ध एबीवीपी ने मंगलवार को नॉर्थ कैंपस की आर्ट्स फैकल्टी के गेट के बाहर वीर सावरकर, सुभाष चंद्र बोस और भगत सिंह की प्रतिमाएं लगवाई हैं.
Delhi: A pillar,with busts of VD Savarkar, Bhagat Singh&SC Bose atop it, was installed by Delhi University Students’ Union(DUSU)outside Faculty of Arts on campus, y'day. DUSU pres says "They had made great contributions in freedom struggle.Youth should take inspiration from them" pic.twitter.com/nFzL7Xc6S1
— ANI (@ANI) August 21, 2019
इस कदम की कांग्रेस संबद्ध एनएसयूआई और लेफ्ट समर्थित आइसा ने आलोचना की है.
डीयू छात्रसंघ के अध्यक्ष एबीवीपी के शक्ति सिंह ने कहा कि इन प्रतिमाओं को लगवाने के लिए उन्होंने कई बार कॉलेज प्रशासन से संपर्क किया लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया.
सिंह ने कहा कि अगर प्रशासन इन प्रतिमाओं को हटवाने की कोशिश करेंगे तो हम विरोध प्रदर्शन करेंगे.
शक्ति सिंह ने कहा, ‘हम बीते नवंबर से प्रशासन से इन प्रतिमाओं को लगवाने के लिए संपर्क कर रहे हैं लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं आया. मैंने उनसे नौ अगस्त को एक बार फिर मूर्तियां लगवाने के लिए आग्रह किया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. प्रशासन की चुप्पी ने हमें यह कदम उठाने के लिए मजबूर किया.’
इस कदम का हालांकि एनएसयूआई और आइसा ने विरोध करते हुए कहा है कि सावरकर को बोस और सिंह के समकक्ष नहीं रखा जा सकता.
एनएसयूआई की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष अक्षय लाकड़ा ने कहा, ‘आप भगत सिंह और सुभाष चंद्र बोस के बराबर सावरकर को नहीं रख सकते.’
आइसा के दिल्ली इकाई की अध्यक्ष कवलप्रीत कौर ने भी कहा कि एबीवीपी भगत सिंह और सुभाष चंद्र बोस की आड़ में सावरकर के विचारों को वैध बनाने की कोशिश कर रही है. यह स्वीकार्य नहीं है. जिस जगह पर उन्होंने मूर्ति लगाई है वह निजी नहीं सार्वजनिक संपत्ति है.
लाकड़ा ने 24 घंटों के भीतर मूर्तियां नहीं हटाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू करने की धमकी दी.
अमर उजाला की रिपोर्ट के मुताबिक, डीयू से मिली जानकारी के अनुसार, डूसू अध्यक्ष किसी दूसरे कार्यक्रम के बहाने मूर्तियों को टैंट में छिपाकर लाए और आर्ट्स फैकल्टी के बाहर देर रात स्थापित करा दिया. मूर्तियों पर माल्यार्पण भी किया गया.
बीते दिनों एक कार्यक्रम के दौरान शक्ति सिंह ने डूसू कार्यालय का नाम वीर सावरकर के नाम पर रखने की मांग भी की थी.
एबीवीपी ने पूरे विवाद से पल्ला झाड़ते हुए कहा कि यह शक्ति सिंह का अपना पक्ष है. ऐसे प्रतीक कैंपस में नियमों के तहत स्थापित होने चाहिए.
एबीवीपी दिल्ली मीडिया इंचार्ज आशुतोष सिंह ने कहा कि संगठन की ओर से डूसू पदाधिकारियों को जानकारी दे दी गई है कि कैंपस में जो भी हो उसे नियमों के तहत किया जाना चाहिए.
गौरतलब है कि डीयू में अगले महीने छात्रसंघ चुनाव है. हालांकि अभी चुनावों की तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है.