वरिष्ठ कांग्रेस नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने भाजपा नेताओं के एनआरसी सवाल उठाने पर कहा कि अगर भाजपा दुखी है, तो यह किसकी ज़िम्मेदारी है? यह सूची राज्य की भाजपा सरकार द्वारा ही तैयार करवाई गई है.
नई दिल्ली/गुवाहाटी/बेंगलुरु: असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) की अंतिम सूची आने के बाद कांग्रेस ने शनिवार को कहा कि एनआरसी की मौजूदा स्थिति से राज्य का हर वर्ग नाराज है और देश के वास्तविक नागरिकों के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए.
एनआरसी की अंतिम सूची आने के बाद पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के आवास पर इस मुद्दे को लेकर बैठक हुई जिसमें पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर से ताल्लुक रखने वाले वरिष्ठ नेता शामिल हुए.
Delhi: Congress meeting to be held shortly at 10 Janpath on Assam National Register of Citizens (NRC) final list issue. pic.twitter.com/hfXYNKmAy9
— ANI (@ANI) August 31, 2019
बैठक के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि देश के वास्तविक नागरिकों के हितों की रक्षा होनी चाहिए. लोकसभा में पार्टी के नेता चौधरी ने कहा, ‘देश के वास्तविक नागरिकों के हितों की सुरक्षा होनी चाहिए और उन्हें एनआरसी में शामिल किया जाना चाहिए.
पूर्वोत्तर से ताल्लुक रखने वाले पार्टी के वरिष्ठ नेता मुकुल संगमा ने कहा, ‘जैसा कि आप सभी जानते हैं कि एनआरसी असम करार के तहत किया जा रहा काम है. हमारी पार्टी का रुख एकदम स्पष्ट है कि वास्तविक भारतीय नागरिकों के हितों की रक्षा होनी चाहिए.’
गौरतलब है कि असम में बहुप्रतीक्षित एनआरसी की अंतिम सूची शनिवार को ऑनलाइन जारी कर दी गई. इसमें करीब 19.07 लाख आवेदकों को बाहर रखा गया है. एनआरसी के राज्य समन्वयक कार्यालय ने बताया कि एनआरसी की अंतिम सूची में 3.11 करोड़ लोगों को शामिल किया गया है.
वरिष्ठ कांग्रेस नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई भी एनआरसी से संतुष्ट नहीं हैं. एनडीटीवी से बात करते हुए उन्होंने दावा किया कि प्रशासन ने गलती से लाखों भारतीय लोगों को इस महत्वपूर्ण दस्तावेज से बाहर कर दिया है.
उन्होंने कहा, ‘ढेरों असली भारतीय- खासकर बंगाली हिंदुओं- का नाम एनआरसी में नहीं है जबकि कई विदेशियों के नाम इसमें जोड़े गए हैं. भाजपा को जवाब देना होगा कि एनआरसी में क्या गड़बड़ हुई है.’
उन्होंने भाजपा नेताओं के एनआरसी को रोष जताने को लेकर भी सवाल उठाए. गोगोई ने कहा, ‘अगर भाजपा दुखी है, तो यह किसकी जिम्मेदारी है? यह लिस्ट राज्य की भाजपा सरकार द्वारा ही तैयार करवाई गयी है. हमारा इस पर स्टैंड साफ है- इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि कोई हिंदू है या मुसलमान… किसी भी विदेशी का नाम नहीं जोड़ा जाना चाहिए.’
उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर निशाना साधते हुए कहा कि बीते साल एनआरसी ड्राफ्ट जारी में 41 लाख लोगों को छोड़े जाने का श्रेय उन्होंने लिया था. उन्होंने कहा, ‘उस समय अमित शाह ने कहा कि वे घुसपैठिये हैं, जिन्हें वापस भेजा जायेगा. उन्हें तब नहीं पता था कि इनमें से ज्यादातर हिंदू हैं.’
उन्होंने यह भी जोड़ा कि उनकी पार्टी भाजपा द्वारा इस मुद्दे को ‘सांप्रदायिक बनाए जाने’ के किसी भी प्रयास का विरोध करेगी.
Every section of Assam is unhappy with the status of NRC. Even BJP ministers are complaining. Careless implementation that many genuine Indian citizens will have to unnecessarily face the courts. Congress will provide all help. Nation above politics is our motto.
— Gaurav Gogoi (@GauravGogoiAsm) August 31, 2019
असम से सांसद और तरुण गोगोई के बेटे गौरव गोगोई ने ट्विटर पर लिखा, ‘असम का हर वर्ग एनआरसी के स्टेटस से नाखुश है. यहां तक कि भाजपा के नेता भी शिकायत कर रहे हैं. लापरवाही से इसके कार्यान्वयन के चलते ढेरों असली भारतीय नागरिकों को फिजूल में अदालतों के चक्कर काटने होंगे. कांग्रेस उनकी भरसक मदद करेगी. देश हमारे लिए राजनीति से ऊपर है.’
बारपेटा से कांग्रेस सांसद अब्दुल खालीक ने भी कहा कि वह एनआरसी से पूरी तरह से संतुष्ट नहीं हैं. उनका कहना था, ‘काफी संख्या में वैध नामों को हटा दिया गया है.’
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने एनआरसी को लेकर चिंता जताई
एनआरसी की अंतिम सूची से 19.07 लाख लोगों को बाहर रखे जाने के बीच एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने असम सरकार से यह सुनिश्चित करने की अपील की है कि विदेश न्यायाधिकरण पूरी पारदर्शिता के साथ काम करें.
एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के प्रमुख आकार पटेल ने यहां एक बयान में कहा कि इसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत निष्पक्ष परीक्षण मानकों के अनुरूप कार्य करना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘कई रिपोर्टों से पता चलता है कि विदेशी न्यायाधिकरणों के समक्ष सुनवाई कैसे एकपक्षीय होती है और उनके आदेश पक्षपातपूर्ण और भेदभावपूर्ण होते हैं.’
पटेल ने 100 और अधिक विदेशी न्यायाधिकरणों के कामकाज को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की. उन्होंने उन मीडिया रिपोर्टों का हवाला दिया कि जिसमें आरोप लगाया गया है कि असम सरकार ‘सदस्यों पर बड़ी संख्या में लोगों को अनियमित विदेशी घोषित करने के लिए कथित रूप से दबाव बना रही थी.’
शनिवार को जारी अंतिम सूची में 19 लाख से अधिक आवेदक अपना स्थान बनाने में विफल रहे हैं. जिन लोगों का नाम एनआरसी से बाहर हैं, वे इसके खिलाफ 120 दिन के भीतर विदेशी न्यायाधिकरण में अपील दर्ज करा सकते हैं.
असम सरकार पहले ही कह चुकी है जिन लोगों को एनआरसी सूची में शामिल नहीं किया गया उन्हें किसी भी स्थिति में हिरासत में नहीं लिया जाएगा, जब तक विदेशी न्यायाधिकरण (एफटी) उन्हें विदेशी न घोषित कर दे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)