सुप्रीम कोर्ट में एनआरसी अपडेट को लेकर मूल याचिका दायर करने वाले असम पब्लिक वर्क्स ने कहा कि इस एनआरसी से तय हो गया है कि असम में अवैध प्रवासियों का मुद्दे कभी हल नहीं होगा. इतने खर्च के बावजूद प्रशासन त्रुटिहीन एनआरसी नहीं निकाल सका, असम के लोग आज ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.
गुवाहाटी: सुप्रीम कोर्ट में एनआरसी अपडेट को लेकर मूल याचिका दायर करने वाले असम पब्लिक वर्क्स (एपीडब्ल्यू) ने कहा कि एनआरसी ‘दोषपूर्ण दस्तावेज’ साबित होगा क्योंकि इसे पुन:सत्यापित करने की उसकी मांग शीर्ष अदालत ने खारिज कर दी.
एपीडब्ल्यू की याचिका पर ही छह साल पहले राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को अपडेट करने की प्रक्रिया शुरू हुई थी. गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) एपीडब्ल्यू के अध्यक्ष अभिजीत शर्मा ने एनआरसी अपडेट करने की प्रक्रिया में इस्तेमाल सॉफ्टवेयर की दस्तावेजों के प्रबंधन की क्षमता पर भी सवाल उठाए और पूछा कि क्या इसका तीसरे पक्ष के प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ से निरीक्षण कराया गया था?
शर्मा ने शनिवार को अंतिम एनआरसी जारी होने के बाद पत्रकारों से कहा, ‘अंतिम एनआरसी से तय हो गया है कि असम में अवैध प्रवासियों के मुद्दे का कभी हल नहीं होगा. इसे दोषपूर्ण तरीके से पूरा किया गया जबकि यह असम के इतिहास का सुनहरा अध्याय हो सकता था.’
अंतिम एनआरसी से 19 लाख आवेदक बाहर हैं. न्यूज़ 18 की खबर के अनुसार शर्मा ने आगे कहा, ‘यह संख्या उम्मीद के अनुरूप नहीं है. इसके साथ ही ऐसे बहुत से मामले सामने आए हैं, जहां वास्तविक भारतीय नागरिकों को एनआरसी सूची में शामिल नहीं किया गया है. इतने बड़े खर्चे और राज्य के हजारों सरकारी कर्मचारियों की मेहनत के बावजूद प्रशासन त्रुटिहीन एनआरसी नहीं निकाल सका. असम के लोग आज ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.’
नॉर्थ ईस्ट नाऊ के अनुसार संगठन ने कहा है कि वे इसमें राष्ट्रपति के हस्तक्षेप की मांग करेंगे.
शर्मा ने यह भी कहा, ‘इस एनआरसी के साथ तो अगले 30 सालों में भी असम से अवैध विदेशियों को नहीं निकाला जा सकेगा. यही कारण है कि हम एनआरसी के ड्राफ्ट के रीवेरिफिकेशन की मांग कर रहे थे.
उन्होंने आगे कहा, ‘हमने ड्राफ्ट के रीवेरिफिकेशन को लेकर 5 बार सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी, लेकिन उसे अदालत द्वारा ख़ारिज कर दिया गया.एनआरसी के राज्य समन्वयक प्रतीक हजेला की ओर से 27 प्रतिशत नामों का पुन:सत्यापन रहस्य है. कोई नहीं जानता कि क्या यह शत प्रतिशत दोषरहित है या नहीं.’
शर्मा ने प्रक्रिया के लिए इस्तेमाल सॉफ्टवेयर पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘क्या यह खामी वाले सॉफ्टवेयर की वजह से है क्योंकि मोरीगांव जिले में 39 संदिग्ध परिवारों के नाम भी एनआरसी में शामिल हो गए जिनका जिक्र जिला आयुक्त ने किया है?’
गौरतलब है कि 2009 में एपीडब्ल्यू ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर 41 लाख विदेशियों के नाम मतदाता सूची से हटाने और एनआरसी को अपडेट करने की मांग की थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)