राष्ट्रगान न गाने पर सज़ा: किसी का सम्मान करने को बाध्य कैसे किया जा सकता है

भारत का कश्मीर के साथ रिश्ता इंसानी रिश्ता नहीं है. वह ताक़तवर और कमज़ोर का संबंध है. कमज़ोर जब चीख नहीं सकता तो ख़ामोश रहकर अपना प्रतिरोध दर्ज करता है. ताक़तवर के पास उसे इसकी सज़ा देने की ताक़त है.

किसी एक के ख़िलाफ़ बुलडोज़र की मांग करते हुए ‘बुलडोज़र न्याय’ का विरोध कैसे होगा?

शुक्ला और त्यागी के ख़िलाफ़ बुलडोज़र की मांग करने के पहले यह सोच लेना चाहिए कि यह मुसलमानों के ख़िलाफ़ फ़ौरी कार्रवाई का औचित्य बन जाएगा. अब खुलकर बुलडोज़र का इस्तेमाल होगा. सरकारें यह करके कह सकेंगी कि वे कोई भेदभाव नहीं करतीं.

बहुसंख्यकवाद असलियत था, है और उसका ख़तरा भी असली है

बहुसंख्यकवाद का जो मतलब मुस्लिमों के लिए है, वह हिंदुओं के लिए नहीं. वे कभी उसकी भयावहता महसूस नहीं कर सकते. मसलन, डीयू के शताब्दी समारोह में जय श्री राम सुनकर हिंदुओं को वह भय नहीं लग सकता जो मुसलमानों को लगेगा क्योंकि उन्हें याद है कि उन पर हमला करते वक़्त यही नारा लगाया जाता है.

इस मुल्क में हम मुसलमानों को मुजरिम मानकर कार्यवाही कर रहे हैं: प्रो. अपूर्वानंद

वीडियो: जेएनयू के पूर्व छात्र उमर ख़ालिद ने वर्ष 2020 में उत्तर-पूर्व दिल्ली में भड़के दंगों से जुड़े एक मामले में जेल में 1,000 दिन पूरे कर लिए हैं. बीते दिनों उनकी रिहाई की मांग और उनके समर्थन में हुई एक सभा में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद ने अपने विचार रखे.

नेहरू ने सेंगोल को संग्रहालय में रखवाकर उसका तिरस्कार नहीं किया था

जवाहरलाल नेहरू ने आज़ादी के समय तमिलनाडु के अधीनम (शैव मठ) के पुराहितों के द्वारा सेंगोल को तो ले लिया, लेकिन उसके पीछे के विचार से असहमति के कारण उसको संग्रहालय में रखवा दिया, ताकि भविष्य में अध्येता यह समझ सकें कि भारतीय जनतंत्र का जन्म अनेक परस्पर विरोधी विचारों के बीच हुआ है.

क्या दिल्ली विश्वविद्यालय, जेएनयू जैसे कैंपस हिंदुत्व के प्रशिक्षण केंद्र में शेष हो जाएंगे

कुछ वक़्त पहले तक कहा जा रहा था कि विश्वविद्यालयों को राष्ट्रवादी भावना का प्रसार करना है. उस दौर में परिसर में राष्ट्रध्वज लगाना और वीरता दीवार बनाना ज़रूरी था. अब राष्ट्रवाद का चोला उतार फेंका गया है और बिना संकोच के हिंदुत्व का प्रचार किया जा रहा है.

‘द केरला स्टोरी’ से मुसलमान विरोधी घृणा प्रचार के लिए अन्य फ़िल्मकारों को प्रेरणा मिलेगी

फ़िल्म ‘द कश्मीर फ़ाइल्स’ के बाद ‘द केरला स्टोरी’ का बनाया जाना एक सिलसिले की शुरुआत है. कम पैसों में, ख़राब अभिनय और निर्देशन के बावजूद सिर्फ़ मुसलमानों के ख़िलाफ़ घृणा प्रचार के विषय के सहारे अच्छी कमाई हो सकती है, क्योंकि ऐसी फ़िल्मों के प्रचार में अब राज्य की मशीनरी और भाजपा का एक पूरा तंत्र काम करता है. 

डीयू और पीजीआई चंडीगढ़ के अधिकारियों का ‘कर्तव्यबोध’ और देश के शैक्षणिक संस्थानों का हाल

राहुल गांधी के डीयू के हॉस्टल जाकर छात्रों से मिलने के लिए उन्हें 'अव्यवस्था' का हवाला देते हुए नोटिस भेजा गया है. वहीं, पीजीआई चंडीगढ़ ने अपने एक हॉस्टल की छात्राओं को इसलिए दंडित किया है कि वे नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम 'मन की बात' की 100वीं कड़ी के सामूहिक श्रवण आयोजन से अनुपस्थित रहीं.

‘मन की बात’ उसी प्रकार की आत्मरति है जैसी स्टालिन या हिटलर को थी

बताया जाता है कि सोवियत यूनियन में आप स्टालिन की आवाज़ से बच नहीं सकते थे. सड़कों पर लाउडस्पीकरों से स्टालिन की आवाज़ आपका पीछा करती रहती थी. हिटलर ने आत्मप्रचार के लिए रेडियो का कैसा इस्तेमाल किया, यह जानी हुई बात है. भारत भी अब हिटलर और स्टालिन के रास्ते चल रहा है.

दिल्ली विश्वविद्यालय की नियुक्तियों में एक प्रकार का संहार अभियान चल रहा है

दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज के अध्यापक समरवीर सिंह की आत्महत्या से उस गहरी बीमारी का पता चलता है जो दिल्ली विश्वविद्यालय को, उसके कॉलेजों को बरसों से खोखला कर रही है; कि स्थायी नियुक्ति का आधार योग्यता नहीं, भाग्य और सही जगह पहुंच है.

अब हिंदुओं की फ़िक्र करने का वक़्त है

सामूहिक हिंसा या घृणा के अलावा बिना किसी संगठन के भी ढेरों हिंदुओं में दूसरों के प्रति घृणा ज़ाहिर करने का लोभ अश्लीलता के स्तर तक पहुंच गया है. इन हिंदुओं के बीच ऐसे ‘कुशल’ वक्ताओं की संख्या बढ़ रही है जो खुलेआम हिंसा का प्रचार करते हैं. वक्ताओं के साथ उनके श्रोताओं की संख्या भी बढ़ती जा रही है.

अतीक़ अहमद हत्या: चिंता राज्य के अपराधी बनने की है, जिसे हमारी हिफ़ाज़त करनी है

अपराधियों के समर्थक अपराधी ही हो सकते हैं और वे हैं. हमारी चिंता है उस राज्य द्वारा समाज के एक हिस्से को हत्या का साझेदार बना देने की साज़िश से. हमारी चिंता क़ानून के राज के मायने के लोगों के दिमाग़ से ग़ायब हो जाने की है.

रामनवमी हिंसा: राम के कंधे पर सवार होकर भाजपा की हिंसक राजनीति पूरे देश में पहुंच गई है

भारतीय जनता पार्टी के नेता अब खुलकर रामनवमी में हिंसा का उकसावा कर रहे हैं. और वे सरकारों  में हैं. उन्होंने इसे हिंदुत्व के लिए गोलबंदी का ज़रिया बना लिया है. अब रामनवमी उन राज्यों में भी मनाई जाने लगी है जहां इसका रिवाज न था.

मुस्लिम उतने ही और उसी तरह मुसलमान हो सकते हैं, जितना और जिस तरह हिंदुत्ववादी इजाज़त दें!

उत्तर प्रदेश की मुरादाबाद पुलिस ने बजरंग दल के प्रदर्शन और धमकी के बाद एक मुस्लिम व्यक्ति द्वारा उनकी निजी इमारत में की जा रही सामूहिक तरावीह को रुकवा दिया. क्या अब यह सच नहीं कि मुसलमान या ईसाई का चैन और सुकून तब तक है जब तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संगठन कुछ और तय न करें? क्या अब उनका जीवन अनिश्चित नहीं हो गया है?