पोखर बंगाल की जीवन शैली का अभिन्न अंग है. घर की महिलाएं पोखर के जल से रसोई के बर्तन साफ़ करतीं और कई बार उसके पानी से खाना भी पकाती थीं. परिवार के सदस्य उसके जल से सुबह मंजन करते और दोपहर में उसमें स्नान भी.
बंगनामा स्तंभ की चौथी क़िस्त.
पश्चिम बंगाल में स्त्रियों के साथ सार्वजनिक स्थानों पर, बस, ट्राम और रेलगाड़ी में सम्मान के साथ व्यवहार होता है. यह बंगाल की संस्कृति का मौलिक तत्व है. लेकिन दो दशक पहले तक भी 'बाज़ार' करना स्त्रियों की परिधि के बाहर था. बंगनामा स्तंभ की तीसरी क़िस्त.
भारत के दसवें निर्वाचन आयुक्त टीएन शेषन की स्मृति इस चुनाव के दौरान उमड़ रही है. वर्तमान निर्वाचन आयोग को भी इन चुनावों में उसकी ख़ास भूमिका के लिए अरसे तक याद किया जाएगा, मगर वजह एकदम उलट होगी. बंगनामा स्तंभ की दूसरी क़िस्त.
सड़क दुर्घटना में किसी की मृत्यु के बाद जुटी भीड़ का आक्रोश केवल दोषी वाहनचालक के ख़िलाफ़ नहीं है, बल्कि यातायात को नियंत्रित करने में विफलता के लिए सरकार के ख़िलाफ़ भी है, और यह भी साबित करता है कि मनुष्य का मोल अभी बरक़रार है. बंगाल की सांस्कृतिक-राजनीतिक बारीकियों पर केंद्रित इस स्तंभ की पहली क़िस्त.