ग्राउंड रिपोर्ट: यूपी में बुंदेलखंड के सात ज़िलों में किसानों को कृषि बाज़ार मुहैया करवाने के उद्देश्य से 625.33 करोड़ रुपये ख़र्च कर ज़िला, तहसील और ब्लॉक स्तर पर कुल 138 मंडियां बनाई गई थीं. पर आज अधिकतर मंडियों में कोई ख़रीद-बिक्री नहीं होती, परिसरों में जंग लगे ताले लटक रहे हैं और स्थानीय किसान परेशान हैं.
विशेष रिपोर्ट: पिछले साल नवंबर महीने में मुख्य सूचना आयुक्त और तीन सूचना आयुक्तों की नियुक्ति हुई थी. इससे जुड़े दस्तावेज़ दर्शाते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद सर्च कमेटी ने बिना स्पष्ट प्रक्रिया और मानक के नामों को शॉर्टलिस्ट किया था. प्रधानमंत्री पर दो किताब लिख चुके पत्रकार को बिना आवेदन के सूचना आयुक्त बना दिया गया.
हाल ही में रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्णब गोस्वामी को ज़मानत देते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने हाईकोर्ट एवं ज़िला न्यायालयों को निर्देश दिया कि वे बेल देने पर जोर दें, न कि जेल भेजने में. सवाल ये है कि क्या ख़ुद शीर्ष अदालत हर एक नागरिक पर ये सिद्धांत लागू करता है या फिर रसूख वाले और सत्ता के क़रीबी लोगों को ही इसका लाभ मिल पा रहा है?
विशेष रिपोर्ट: द वायर द्वारा प्राप्त किए गए आधिकारिक दस्तावेज़ों से पता चलता है कि केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने मंडियों में लगने वाले इस तरह के टैक्स को सही ठहराया था और केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने इसका समर्थन भी किया था. मंत्रालय ने कहा था कि मंडियों में मिलने वाली सेवाओं के लिए ये राशि वसूली जाती है.
विशेष रिपोर्टः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में किसानों की हालत सुधारने के लिए गठित स्वामीनाथन आयोग की सभी सिफ़ारिशें लागू करने का श्रेय एक बार फ़िर अपनी सरकार को दिया है. हालांकि द वायर द्वारा प्राप्त दस्तावेज़ों से पता चलता है कि मोदी सरकार में सिर्फ़ 25 सिफ़ारिशें ही लागू की गई है, जबकि यूपीए सरकार में 175 सिफ़ारिशें लागू की गई थीं.
साल 2011 में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अन्ना हजारे की अगुवाई में चले लोकपाल आंदोलन के बाद साल 2013 में इसे लेकर क़ानून बनाया गया था, लेकिन केंद्र समेत कई राज्यों में समय पर नियुक्ति न होने और फंड की कमी जैसे कारणों के चलते यह दयनीय स्थिति में है.
विशेष रिपोर्ट: उत्तर प्रदेश में धान की ख़रीद शुरू होने पर योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि किसी भी किसान को एमएसपी से कम मूल्य पर अपने कृषि उत्पादन नहीं बेचना है. हालांकि सरकारी आंकड़ों के मुकाबले प्रदेश की मंडियों में एमएसपी से कम पर बिक्री तो हो ही रही है, सरकारी ख़रीद भी काफी कम है. रफ़्तार इतनी धीमी है कि ख़रीद केंद्र एक दिन में दो किसानों से भी धान नहीं ख़रीद पा रहे हैं.
एक्सक्लूसिव रिपोर्ट: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कृषि क़ानूनों का समर्थन करते हुए कहा है कि उनकी सरकार ने 2006 में एपीएमसी एक्ट ख़त्म कर दिया, जिसका बड़ी संख्या में किसानों को लाभ मिला. हालांकि आधिकारिक दस्तावेज़ों से पता चलता है कि बिहार के कृषि मंत्रालय ने केंद्र को पत्र लिखकर बताया था कि उनके यहां न तो पर्याप्त गोदाम हैं और न ही अनाज ख़रीदने की अच्छी व्यवस्था.
किसानों का सरकार से सवाल है कि क्या उनकी तरफ़ से ऐसा कोई क़ानून बनाने की मांग उठी थी और उनसे इस बारे में सलाह क्यों नहीं ली गई? किसानों का आरोप है कि सरकार इसके ज़रिये न्यूनतम समर्थन मूल्य एवं मंडियों की स्थापित व्यवस्था को ख़त्म करना चाह रही है. किसान एमएसपी को क़ानूनी अधिकार बनाए जाने की मांग कर रहे हैं.
विशेष रिपोर्ट: केंद्र सरकार ने साल 2018-19 के बजट में घोषणा की थी कि देश के 22,000 ग्रामीण हाटों को कृषि बाज़ार में बदला जाएगा, ताकि जो किसान एपीएमसी मंडियों तक नहीं पहुंच पाते, वे अपने नज़दीक इन हाटों में फसल बेचकर लाभकारी मूल्य प्राप्त कर सकें. इसके उलट सरकार ने तीन कृषि क़ानून बना दिए, जिसका किसान विरोध कर रहे हैं. उन्हें डर है कि सरकार इनके ज़रिये न्यूनतम समर्थन मूल्य दिलाने की स्थापित व्यवस्था ख़त्म करना चाह रही
विशेष रिपोर्ट: सितंबर में विवादित कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ प्रदर्शनों के बीच मोदी सरकार ने छह रबी फसलों के लिए एमएसपी की घोषणा करते हुए इसे ऐतिहासिक कहा था. हालांकि आधिकारिक दस्तावेज़ बताते हैं कि भाजपा शासित राज्यों समेत कई राज्य सरकारों ने इसे मामूली वृद्धि बताते हुए इसका विरोध किया था.
विशेष रिपोर्ट: ख़रीफ फसलों के लिए केंद्र द्वारा घोषित एमएसपी और इस बारे में राज्यों के प्रस्ताव में बड़ा अंतर है. द वायर द्वारा प्राप्त आधिकारिक दस्तावेज़ दिखाते हैं कि भाजपा शासित राज्यों समेत विभिन्न राज्य सरकारों ने केंद्र से बढ़ी उत्पादन लागत के हिसाब से एमएसपी घोषित करने की मांग की थी, जिसे माना नहीं गया.
विशेष रिपोर्ट: सत्तारूढ़ दल जदयू और भाजपा अपनी चुनावी रैलियों में शौचालय निर्माण को बड़ी सफलता के रूप में प्रचारित कर रहे हैं. स्वच्छ भारत मिशन के आंकड़ों के मुताबिक़ बिहार के 1,374 गांवों में बने शौचालयों या ओडीएफ गांवों का एक बार भी सत्यापन नहीं हुआ है.
विशेष रिपोर्ट: कोरोना संक्रमण के मामले में भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर है और एक्टिव केस के मामले में तीसरे पर. ऐसे समय में आरोग्य सेतु ऐप की उपयोगिता और किसी भी तरह से संक्रमण रोकने में इसके कारगर होने को लेकर सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया है.
विशेष रिपोर्ट: नीतीश कुमार ने चुनाव से पहले उनकी सरकार के 'सात निश्चय' की सफलता का दावा करते हुए इसके 'पार्ट-2' की घोषणा की है. हालांकि आंकड़े बताते हैं कि पार्ट-1 में शामिल कुछ योजनाएं कुछ ज़िलों में ज़मीन पर ही नहीं उतरी हैं और जहां शुरू हुईं, वहां महज़ कुछ फ़ीसदी काम पूरा हुआ है.