सूचना का अधिकार क़ानून के 15 साल पूरे होने के मौके पर ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया द्वारा जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश भर में कम से कम 3.33 करोड़ आवेदन दायर हुए. सूचना आयोग समय पर वार्षिक रिपोर्ट प्रकाशित नहीं कर रहे. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद देश भर के सूचना आयोगों में 38 पद ख़ाली हैं, जो इस क़ानून के लिए बड़ा झटका है.
विशेष रिपोर्ट: बीते दिनों कृषि विधेयकों के देशव्यापी विरोध के बीच मोदी सरकार ने रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा की और इसे 'ऐतिहासिक' कहते हुए किसानों को लाभ होने दावा किया. हालांकि राज्यों द्वारा भेजी गई उत्पादन लागत रिपोर्ट बताती है कि यह एमएसपी कई राज्यों की उत्पादन लागत से भी कम है.
बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में भाजपा नेताओं समेत 32 लोगों को बरी करते हुए विशेष सीबीआई अदालत ने कहा था कि कुछ अराजक कारसेवकों के समूह द्वारा मस्जिद गिराई गई थी और ऐसे लोगों को रामभक्त नहीं कहा जा सकता है. मस्जिद गिराना पूर्व नियोजित साज़िश नहीं थी.
केंद्र सरकार का दावा है कि इस क़ानून से कृषि क्षेत्र में निजी और प्रत्यक्ष निवेश में बढ़ोतरी होगी तथा कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास होगा, जिससे किसानों को अच्छे दाम मिलेंगे. वहीं विरोध कर रहे किसानों और विपक्ष का कहना है कि इससे सिर्फ़ जमाखोरों को लाभ होगा.
साल 2014 से लेकर अब तक दस राज्यों ने कुल 2.70 लाख करोड़ रुपये के कृषि ऋण को माफ़ करने की घोषणा की थी, लेकिन इसमें से 1.59 लाख करोड़ रुपये के ही क़र्ज़ माफ़ हुए हैं. इसके साथ ही आंकड़े बताते हैं कि 2015 से 2020 के बीच किसानों के क़र्ज़ में लगभग 35 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.
लोकसभा में पेश जानकारी के मुताबिक़ ऐसे राज्यों में सबसे ऊपर पश्चिम बंगाल है, जहां लगभग 397 करोड़ रुपये की मनरेगा मज़दूरी का भुगतान नहीं हुआ है. यह दस राज्यों में कुल लंबित राशि का क़रीब 50 फीसदी है. इसके बाद उत्तर प्रदेश है, जहां 121.78 करोड़ रुपये की मनरेगा मज़दूरी नहीं दी गई है.
वीडियो: द वायर द्वारा भारतीय रेल के 18 ज़ोन में दायर आरटीआई आवेदनों के तहत पता चला है कि श्रमिक ट्रेनों से यात्रा करने वाले कम से कम 80 प्रवासी श्रमिकों की मौत हुई है. केंद्र सरकार के रिकॉर्ड में ये जानकारी उपलब्ध होने के बावजूद उसने संसद में इसे सार्वजनिक करने से मना कर दिया.
द वायर द्वारा भारतीय रेल के 18 ज़ोन में दायर आरटीआई आवेदनों के तहत पता चला है कि श्रमिक ट्रेनों से यात्रा करने वाले कम से कम 80 प्रवासी मज़दूरों की मौत हुई है. केंद्र सरकार के रिकॉर्ड में ये जानकारी उपलब्ध होने के बावजूद उसने संसद में इसे सार्वजनिक करने से मना कर दिया.
कोरोना महामारी से लड़ने के लिए मोदी सरकार द्वारा अप्रैल में लाया गया आरोग्य सेतु ऐप शुरुआत से ही नागरिकों की निजी जानकारी की सुरक्षा और इसकी उपयोगिता को लेकर विवादों में घिरा हुआ है.
विशेष रिपोर्ट: कृषि मंत्रालय ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अलावा कृषि लोन पर ब्याज सब्सिडी, राज्यों को दाल वितरण, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना जैसी कई महत्वपूर्ण योजनाओं के बजट को बढ़ाने की मांग की थी, लेकिन वित्त मंत्रालय द्वारा इन मांगों को ख़ारिज कर दिया गया.
सुप्रीम कोर्ट ने 28 मई को दिए एक आदेश में कहा था कि ट्रेन या बस से यात्रा करने वाले किसी भी प्रवासी मज़दूर से किराया नहीं लिया जाएगा. आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार शीर्ष अदालत के निर्देशों के बावजूद रेलवे द्वारा श्रमिक ट्रेनों के यात्रियों से किराया लिया गया है.
विशेष: कोविड-19 संबंधी कामों को देखने के लिए आईसीएमआर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की सर्वोच्च संस्था है. भारत-चीन के बीच चल रहे तनाव और चीन की कंपनियों के बहिष्कार की मांग के बीच इसकी ओर से 33 लाख कोविड जांच किट्स के लिए टेंडर निकाला गया था, जिसमें 13.10 लाख की खरीद चीनी कंपनी से हुई है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने 30 जून को आदेश जारी कर कहा था कि केंद्र पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना-2020 के ड्राफ्ट का संविधान की आठवीं अनुसूची में दी गई 22 भाषाओं में अनुवाद करवाकर इसका खूब प्रचार-प्रचार किया जाए, ताकि विभिन्न वर्गों के लोग इसे समझकर अपनी राय दे सकें.
कोरोना को लेकर स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली पर हुई आलोचना के बाद केंद्र ने दावा किया था कि लॉकडाउन में बने स्वदेशी वेंटिलेटर्स अस्पतालों में हो रही इनकी कमी पूरी करेंगे. आंकड़े बताते हैं कि अब तक केंद्र द्वारा आवंटित वेंटिलेटर्स का महज़ 50 फीसदी ही राज्यों और केंद्रीय संस्थानों को मिला है.
हाल ही में केंद्र सरकार ने आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत बनाए गए नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फंड में व्यक्तियों और संस्थानों द्वारा अनुदान को मंज़ूरी दी है. लेकिन कोविड-19 जैसी आपदा के दौर में जब स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की बेहतरी के लिए इसमें मिली राशि का प्रयोग किया जा सकता है, इसमें दान देने के बारे में आम जनता को बेहद कम जानकारी है.