मध्य प्रदेश में 24 घंटे में तीन किसानों ने की आत्महत्या. भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय बोले- क़र्ज़ नहीं, पारिवारिक कारण या फ्रस्ट्रेशन है आत्महत्या की वजह.
सोलह से अधिक राज्यों के किसानों ने मिलकर बनाई समन्वय समिति. 16 जून को दिल्ली में बैठक के बाद तय होगी किसान आंदोलन की रणनीति.
मध्य प्रदेश में किसानों के उग्र प्रदर्शन के बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने उपवास शुरू किया है.
नरेंद्र मोदी चुनाव प्रचार में कहते थे कि देश के संसाधनों पर पहला हक़ ग़रीबों और किसानों का है, लेकिन उनके कार्यकाल में किसान आत्महत्या की दर बढ़ गई.
गाय और अन्य जानवरों के वध के लिए ख़रीद-फ़रोख़्त पर केंद्र सरकार के आदेश पर तीन अदालतों ने तीन तरह का आदेश दिया है तो राज्य सरकारों ने कड़ा विरोध जताया है.
वर्तमान सरकार गाय को लेकर आवश्यकता से ज़्यादा चिंतित होने का दिखावा कर रही है, लेकिन वहीं हर साल डायरिया-कुपोषण से मरने वाले लाखों बच्चों को लेकर सरकार आपराधिक रूप से निष्क्रिय है.
कांग्रेस का आरोप है कि अमरकंटक में आयोजित नर्मदा सेवा यात्रा के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने सरकारी ख़जाना लुटाकर प्रधानमंत्री की सभा के लिए बटोरी भीड़.
सर्जिकल स्ट्राइक को चुनावों में ख़ूब भुनाया गया. सरकार का दावा था कि अब पाकिस्तान की ओर से हमलों और पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद पर लगाम लग जाएगी. लेकिन हमले रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं.
गोरखपुर में 2007 में हुए दंगों के मामले में योगी पर भीड़ को उकसाने का आरोप है. कोर्ट ने तलब किया तो मुख्य सचिव बोले, मुक़दमा चलाने की इजाज़त नहीं दी है.
ग्राउंड रिपोर्ट: बुलंदशहर में पिछले दिनों ग़ुलाम अहमद नाम के शख़्स को पीट-पीटकर मार डाला गया. उनके बेटे वकील अहमद के अनुसार, प्रेमी युगल के भागने में उनके पिता का कोई हाथ नहीं था.
‘छात्र और शिक्षक का रिश्ता बल प्रयोग का नहीं होता. यह नैतिक बल का रिश्ता होता है. नैतिक बल का पतन हो गया है तो प्रोफेसर को पुलिस बुलानी पड़ रही है.’
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में हॉस्टल खाली करवाने के विरोध में छात्र-छात्राओं का प्रदर्शन उग्र रूप ले चुका है.
छात्रों का कहना है कि विवि प्रशासन अपनी नाकामी छुपाने के लिए अवैध छात्रों के बहाने वैध रूप से रह रहे आठ हज़ार छात्रों को प्रताड़ित कर रहा है.
पिछले कुछ समय में आधार से जुड़ी लाखों लोगों की निजी सूचनाएं लीक होने से आधार के सुरक्षित होने के दावे पर गंभीर सवाल खड़े हुए हैं.
'आंदोलन के सारे गांधीवादी-सत्याग्रही तरीक़े चूक जाने के बाद अगर तमिलनाडु के किसान हथियार उठा लें तो उसके लिए कौन ज़िम्मेदार होगा?'