यूपी: क्या ‘ठोंक दो’ सिद्धांत वाली सरकार के राज में आमजन अपराधों से ज़्यादा सुरक्षित हुआ है?

योगी सरकार के सात सालों में उत्तर प्रदेश में अपराध उन्मूलन के अनेक बड़बोले दावों के बावजूद ऐसी पुलिस 'मुठभेड़ों' की ज़रूरत ख़त्म नहीं हो रही जहां भागने की कथित कोशिश में अभियुक्त मार गिराया जा रहा है. या पुलिस जिसे ज़िंदा गिरफ़्तार करना चाहती है, गोली उसके पांव में लगती है अन्यथा...

हिंदुओं को लगातार डराकर उनके बड़े हिस्से का सामाजिक विवेक छीन लिया गया है

जिस भी समाज में धर्मभीरुता बढ़ जाती है, उससे अपने धर्म के उदात्त मूल्यों की हिफाजत संभव नहीं हो पाती. पहले वह बर्बरता, बीमारी व असामाजिकता के सन्निपातों, फिर अनेक असली-नकली असुरक्षाओं से पीड़ित होने लग जाता है.

कौन रंक, कौन सर्वहारा, कौन मुफ़लिस, कौन दिवालिया और कौन दरिद्र?

गरीबी आम तौर पर एक ऐसी स्थिति है जिसके शिकार व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह के पास जीने के लिए आवश्यक बुनियादी चीजें नहीं होतीं, जबकि रंक के साथ गरीबी से पैदा हुई 'कंगाली में आटा गीला' वाली गिरानी से भरी भीषण असहायता भी जुड़ी होती है.

यूपी: क्या विधानसभा उपचुनाव योगी सरकार व विपक्ष दोनों के लिए जीवन-मरण का प्रश्न बन गए हैं

लोकसभा चुनाव में हार को अति आत्मविश्वास का नतीजा बताने वाले योगी आदित्यनाथ उपचुनावों में भाजपा को वांछित जीत दिला देंगे तो माना जाएगा कि उनकी लोकप्रियता का लिटमस टेस्ट हो गया. वहीं, विपक्षी गठबंधन को साबित करना है कि आम चुनाव में उसकी बढ़त तुक्का नहीं थी.

अयोध्या: फ़ैज़ाबाद की बहू बेगम की आख़िरी निशानी भी ख़तरे में है

सरकारी वेबसाइटों पर फ़ैज़ाबाद में स्थित बहू बेगम के मक़बरे को ग़ैर-मुग़ल मुस्लिम स्थापत्य कला का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण बताया गया है, हालांकि अब इसके परिसर में स्थापत्य की नहीं, अतिक्रमण व गंदगी की ‘भव्यता’ ही नज़र आती है.

यूपी: बहराइच ज़िले में भेड़ियों का आतंक, दो महीने में पांच बच्चों सहित आठ लोगों की मौत

बीते लगभग दो महीनों में उत्तर प्रदेश के बहराइच ज़िले के विभिन्न गांवों में भेड़ियों ने क़रीब सोलह लोगों पर हमला किया है, जिनमें ज़्यादातर बच्चे और वृद्ध शामिल हैं. ग्रामीणों का आरोप है कि उनके बच्चों को ऐसे हमलों से बचाने के लिए कुछ नहीं किया जा रहा, वहीं वन विभाग ने कार्रवाई किए जाने की बात कही है.

आज़ादी की सालगिरह कोई तमाशा नहीं, उससे फिर से इक़रार करने का दिन है

'आज़ादी की लड़ाई हमेशा जारी रहती है. कभी उसका अंत नहीं होता. हमेशा उसके लिए परिश्रम करना पड़ता है, हमेशा उसके लिए क़ुर्बानी करनी पड़ती है, तब वह क़ायम रहती है.'

क्या अयोध्या अब नए बदलाव की ओर चल पड़ी है?

लोकसभा चुनाव के नतीजे आए तो चुनाव विश्लेषक और राजनीतिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव ने कहा था कि भले सत्ता परिवर्तन नहीं हुआ, हवा में ऑक्सीजन थोड़ी बढ़ गई है. अब इस 'ऑक्सीजन' के असर को अयोध्या में महसूस किया जा सकता है.

‘मैं यहां नौकरी करने नहीं आया’… योगी आदित्यनाथ किससे और क्या कहना क्या चाहते हैं?

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बीते हफ्ते विधानसभा में कहते नज़र आए कि 'मैं यहां नौकरी करने नहीं आया हूं... मुझे इससे ज्यादा प्रतिष्ठा अपने मठ में मिल जाती है.' सवाल उठता है कि क्या उनकी निगाह में मुख्यमंत्री पद गोरक्षपीठाधीश्वर के पद से कम प्रतिष्ठित है?

लोकसभा चुनाव के बाद सुर्ख़ियों से नदारद हुए अयोध्या में अब क्या हो रहा है?

मीडिया के एक बड़े हिस्से द्वारा लोकसभा चुनाव के बाद अयोध्या को अपनी ख़बरों व चर्चाओं से बाहर का रास्ता दिखा देने के बीच बीते दिनों अवध विश्वविद्यालय की कुलपति फेसबुक पर मुहर्रम की 'मुबारकबाद' देती नज़र आईं, तो शहर के नामचीन साकेत डिग्री कॉलेज के गेट पर सेना का टैंक स्थापित कर दिया गया.

मोदी सरकार का ‘किंगमेकरों’ के साथ का अंजाम क्या पिछले उदाहरणों से अलग रहेगा?

देश में किंगमेकरों की राजनीति का इतिहास बताता है कि आमतौर पर वह सुखांत नहीं होती क्योंकि न किंगमेकर अपनी स्थिति का लाभ उठाने में संयम बरत पाते हैं, न ही 'किंग' उनकी सारी मांगें पूरी कर पाते हैं.

क्या फांसी तक गोडसे का आरएसएस से जुड़ाव था?

पुस्तक समीक्षा: धीरेन्द्र के. झा की ‘गांधी का हत्यारा गोड़से' किताब से आरएसएस के उस दुरंगेपन की पहचान अब बहुत आसान हो गई है जिसके तहत कभी वह नाथूराम से पल्ला छुड़ाता है और कभी उसका ‘यशगान’ करने वालों को अपना नया 'आइकाॅन' बना लेता है.

उत्तर प्रदेश: ‘बुलडोजर राज’ ने घरों को घर ही कहां रहने दिया है

योगी आदित्यनाथ सरकार ने कुकरैल नदी पुनर्जीवन परियोजना के तहत लखनऊ में ध्वस्तीकरण के लिए चिह्नित घरों पर बुलडोजर की कार्रवाई रोक दी है. ऐसा मानना है कि इस नरमी का एक सिरा लोकसभा चुनाव में पराजय के बाद भाजपा की अंदरूनी राजनीति में जारी उस उठापटक तक भी जाता है, जिससे मुख्यमंत्री अपनी कुर्सी असुरक्षित महसूस करने लगे हैं.

अयोध्या में ज़मीनों की ख़रीद-फ़रोख़्त: राम नाम की लूट है…

राम मंदिर निर्माण आरंभ होने के वक़्त से ही भूमि सौदों में भ्रष्टाचार को लेकर अयोध्या सुर्ख़ियों में आती रही है, हालांकि इस शहर में धर्म के नाम पर ज़मीन के सौदों में भ्रष्टाचार या लूट की जड़ें बहुत पुरानी हैं.