क्या गुजरात में मोदी की चमक फीकी पड़ गई ​है?

गुजरात में अपनी कमज़ोरियों के कारण कांग्रेस भले ही बाज़ी नहीं पलट पायी, लेकिन मतदाताओं ने पिछली बार से डेढ़ दर्जन ज़्यादा सीटें देकर साफ कर दिया है कि वे ‘अपने’ प्रधानमंत्री के ‘कांग्रेसमुक्त भारत’ के आह्वान को कान नहीं दे रहे.

गुजरात चुनाव से धर्मनिरपेक्षता क्यों गायब हो गई है?

पूरे विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा और कांग्रेस के बीच ख़ुद को असली और प्रतिद्वंद्वी को नकली हिंदू सिद्ध करने की प्रतियोगिता-सी चल पड़ी.

निकाय चुनाव परिणाम को मोदी की नीतियों और विकास की जीत बताना महज़ सियासी ज़रूरत है

मेयरों के चुनाव में भाजपा की सफलता को मोदी-योगी के चमत्कारों से जोड़ने वालों को यह भी बताना चाहिए कि किसके चमत्कार से पार्टी निर्दलीयों से भी पीछे रही?

रविशंकर जी! और भी ग़म हैं अयोध्या में राम मंदिर-बाबरी मस्जिद के सिवा…

माहौल का असर है या कुछ और कि श्री श्री रविशंकर को अयोध्या में कोई भी गंभीरता से नहीें ले रहा. लेकिन श्री श्री का सौभाग्य कि वे मीडिया की भरपूर सुर्ख़ियां बटोर रहे हैं.

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद के स्वामित्व संबंधी विवाद में विहिप की क्या भूमिका है?

विधि विशेषज्ञों की मानें तो अब जो स्थिति है, उसमें चाहे विवाद कोर्ट के बाहर सुलझ जाए या फैसला हिंदुओं के पक्ष में आ जाए, मंदिर निर्माण में विहिप की कोई भूमिका मुमकिन नहीं है.

अयोध्या में नए खेल की तैयारी कर रहा संघ परिवार

संघ परिवार के संगठन इन दिनों अयोध्या में ख़ुद को राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद के सद्भावपूर्ण हल का सबसे बड़ा पैरोकार सिद्ध करने में लगे हैं.

अयोध्या: एक दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात

आज अयोध्या सीता जैसी ही अकेली है. वह नहीं समझ पा रही कि इस उदासी का गिला किससे और कैसे करे? बुधवार की जगर-मगर देखने तो सैकड़ों न्यूज़ चैनल दौड़ पड़े थे, अब उसकी उदासी को खोज-ख़बर लेने वाला कोई नहीं है.

क्या योगी सरकार दीयों से ज़्यादा अयोध्यावासियों का दिल जलाना चाहती है?

सही मायने में अयोध्या और यहां रहने वाले लोगों की फ़िक्र किसी को नहीं है. 1,71,000 दीयों वाली सरकारी दीपावली मनाकर योगी सरकार सिर्फ़ अपने एजेंडे को आगे बढ़ा रही है.

सावधान, वे फिर अयोध्या लौट आए हैं!

नई बात यह है कि इस बार वे ‘मंदिर वहीं बनाएंगे’ के नारे लगाते अयोध्या नहीं लौटे हैं. सरयू तट पर भगवान राम की भव्य प्रतिमा लगाने और भव्य देव दीपावली मनाने आए हैं.

बेटियों के लिहाज से बाकी उत्तर प्रदेश का सच भी वाराणसी जितना ही कड़वा है

योगी सरकार से पूछना चाहिए कि यह बेटियों की सुरक्षा है या छल? जिस मीडिया को पूछना चाहिए उसने तो अखिलेश सरकार के जाने के बाद जंगलराज ख़त्म मान लिया है.

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