अयोध्या में बीते दिनों बड़े प्रचार के साथ सरयू नदी में शुरू की गई 'क्रूज़' सेवा जनता को लुभाने में नाकामयाब रही है. हफ्तेभर में ही कम लोगों के पहुंचने के बीच इसका किराया घटा दिया गया है. यात्रा कर चुके लोगों ने भी 'क्रूज़' के रंग-रोगन से लेकर इसमें दी जाने वाली सुविधाओं पर सवाल उठाए हैं.
वकालत की अपनी पारी को विराम देकर जस्टिस के. चंद्रू 31 जुलाई, 2006 को जब मद्रास उच्च न्यायालय के जज बने तो मामलों की सुनवाई और फैसलों की गति ही नहीं तेज की, न्याय जगत की कई पुरानी औपनिवेशिक परंपराओं और दकियानूसी रूढ़ियों को भी तोड़ डाला. साथ ही कई नई और स्वस्थ परंपराओं का निर्माण भी किया.
जन्मदिन विशेष: भारतीयों के लिए स्वराज या स्वशासन की मांग उठाने वाले पहले नेता दादाभाई नौरोजी का व्यक्तित्व व कृतित्व गवाह हैं कि कैसे प्रगतिशील राजनीतिक शक्ति इतिहास के काले अध्यायों में भी एक रोशनी की किरण की तरह होती है.
2021 में अयोध्या के राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय की एक चौथाई भूमि 'मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे' के निर्माण के लिए निशुल्क ‘समर्पित’ की गई थी. आज हवाई अड्डे का निर्माण पूरा होने का दावा किया जा रहा है, वहीं विश्वविद्यालय सिकुड़कर उससे संबद्ध कई महाविद्यालयों से भी छोटा हो चुका है.
पुण्यतिथि विशेष: असहयोग आंदोलन की पृष्ठभूमि में रची कविता में अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ विद्रोह के आह्वान के बाद नज़रुल इस्लाम ‘विद्रोही कवि’ कहलाए. उपनिवेशवाद, धार्मिक कट्टरता और फासीवाद के विरोध की अगुआई करने वाली उनकी रचनाओं से ही इंडो-इस्लामिक पुनर्जागरण का आगाज़ हुआ माना जाता है.
चुनाव हमेशा पुराने आंकड़ों व समीकरणों के बूते नहीं जीते जाते, कई बार उन्हें परसेप्शन और मनोबल की बिना पर भी जीता जाता है. राहुल गांधी अमेठी व प्रियंका गांधी वाराणसी से चुनाव मैदान में उतर जाएं तो अनुकूल परसेप्शन बनाने के भाजपा, नरेंद्र मोदी के महारत का वही हाल हो जाएगा, जो पिछले दिनों विपक्षी गठबंधन का ‘इंडिया’ नाम रखने से हुआ था.
अयोध्या का रंग-रूप बदलकर ‘त्रेता की वापसी’ करा देने के लिए वहां चल रही व्यापक तोड़-फोड़ की आपाधापी और अनियोजित कवायदों से ध्वस्त हुई नागरिक व्यवस्थाओं के चलते कई लोग जान गंवा चुके हैं.
समानता के बिना स्वतंत्रता और स्वतंत्रता के बिना समानता पूरी नहीं हो सकती. बाबा साहब आंबेडकर का भी यही मानना था कि अगर राज्य समाज में समानता की स्थापना नहीं करेगा, तो देशवासियों की नागरिक, आर्थिक और राजनीतिक स्वतंत्रताएं महज धोखा सिद्ध होंगी.
देश की ग़ुलामी के दौर में विदेशी हुक्मरानों तक ने अपनी पुलिस से लोगों के जान-माल की रक्षा की अपेक्षा की थी, मगर अब आज़ादी के अमृतकाल में लोगों की चुनी हुई सरकार अपनी पुलिस के बूते सबको सुरक्षा देने में असमर्थ हो गई है.
अयोध्या में राम मंदिर तक पहुंचने के लिए पारंपरिक मार्ग बंद करके नया राम जन्मभूमि पथ खोल दिया गया है, जिसके चलते पारंपरिक मार्ग पर स्थित दर्जन भर मंदिर वीरान से हो गए हैं. श्रद्धालुओं के दान से ही चलने वाले मंदिरों की देख-रेख करने वाले आगामी संकट की संभावना से सशंकित हैं.
कई बार एकताओं व गठबंधनों से कुछ भी हासिल नहीं होता. दल मान लेते हैं कि गठबंधन कर लेने भर से बेड़ा पार हो जाएगा. लेकिन ज़मीनी स्तर पर समर्थकों के बीच बहुत-सी ग्रंथियां होती हैं. 'इंडिया' के घटक दलों के समर्थकों के बीच भी ऐसी ग्रंथियां कम नहीं हैं.
अयोध्या के गुदड़ी बाज़ार स्थित मस्जिद खजूर वाली की एक मीनार शहर में बनाए जा रहे ‘राम पथ’ के प्रस्तावित चौड़ीकरण के रास्ते में आ रही है. लोक निर्माण विभाग द्वारा मस्जिद समिति को मीनार हटाने का नोटिस दिए जाने के बाद मामला हाईकोर्ट पहुंच चुका है.
हिंदुत्व के अनुकूलित सुधारक बाल गंगाधर तिलक वर्ण व जाति व्यवस्था को राष्ट्र निर्माण का आधार बताकर उसका बचाव तो किया ही करते थे, वैवाहिक व दांपत्य संबंधों में बालिग या नाबालिग पत्नियों के पूरी तरह अपने पतियों के अधीन रहने के हिमायती भी थे. वे महिलाओं की आधुनिक शिक्षा के विरोधी भी थे.
जिस सरकार को अरसे से धर्म के नाम पर भेदभावों को बढ़ाने की कोशिशों में मुब्तिला देख रहे हैं, वह उन भेदभावों को ख़त्म करने के नाम पर कोई संहिता लाए तो उसे लेकर संदेह गहराते ही हैं कि वह उसे कैसे लागू करेगी और उससे उसे कैसी समानता चाहिए होगी?
भाजपा नहीं चाहती कि लोग समझें कि अयोध्या में राम मंदिर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस ज़मीन से जुड़े विवाद के निपटारे के फलस्वरूप बन रहा है. वह समझाना चाहती है कि भाजपा, उसकी सरकारों और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व उसके आनुषंगिक संगठनों ने जी-जान न लगा रखी होती, तो उसका बनना संभव नहीं होता.