चुनाव में हार के बाद जब पीएम जवाहर लाल नेहरू से उनकी भेंट हुई तो नेहरू ने पूछा, सहाय साहब कैसे हैं? फ़िराक़ गोरखपुरी का जवाब था, ‘सहाय’ कहां, अब तो बस ‘हाय’ रह गया है.
सांप्रदायिकता और जातिवाद के ख़िलाफ़ शुरू होने वाले गोरखनाथ पीठ से कभी बड़ी संख्या में मुसलमान और अछूत मानी जाने वाली जातियां जुड़ी थीं.