सारा खेल विज्ञापन निकालकर हेडलाइन हासिल करने का है. जब आप जॉइनिंग लेटर मिलने और जॉइनिंग हो जाने का रिकॉर्ड देखेंगे तो पता चलेगा कि ये भर्तियां नौजवानों को ठगने के लिए निकाली जा रही हैं, नौकरी देने के लिए नहीं.
आपकी लड़ाई हिंदू या मुसलमान से नहीं है, उस नेता और राजनीति से है जो आपको भेड़ बकरियों की तरह हिंदू-मुसलमान के फ़साद में इस्तेमाल करना चाहता है.
भारत की राजनीति झूठ से घिर गई है. झूठ के हमले से बचना मुश्किल है, इसलिए सवाल करते रहिए कि 14 दिनों में गन्ना भुगतान और एथनॉल से डीज़ल बनाने के सपने का सच क्या है वरना सिर्फ झांसे में ही फांसे जाएंगे.
आप अपने राजनीतिक पत्रकारों और संपादकों से यह भी नहीं जान पाएंगे कि दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय पर चलने वाली पार्टी ने कई सौ करोड़ का मुख्यालय बनाया है, वो भीतर से कितना भव्य है.
भ्रष्टाचार भारत की राजनीति की आत्मा है. इसके शरीर पर राष्ट्रवाद और धर्मनिरपेक्षता ओढ़कर सब नौटंकी करते हैं.
गुजरात में विधानसभा चुनाव के वक़्त नर्मदा के पानी को लेकर जनता को सपने दिखाए गए लेकिन अब गर्मी आने से पहले सरकार ने कह दिया है कि सिंचाई के लिए जलाशय का पानी नहीं मिलेगा.
बिहार में शराब पीने के जुर्म में तकरीबन एक लाख लोग गिरफ़्तार किए गए होंगे. राज्य की अदालतों और जेलों में क्या आलम होगा, आप अंदाज़ा कर सकते हैं. एक लाख लोग किसी एक जुर्म में जेल में बंद हों यह सामान्य नहीं हैं.
नीरव मोदी जी, भारत आने से न डरें. आपकी रिश्तेदारी ही इस कमाल की है कि हाथ लगाने में हुज़ूर के हाथ कांप जाएंगे.
गीतांजलि ग्रुप के प्रमुख मेहुल चौकसी हैं जिनका नाम साल 2015 में मुंबई में सोने का सिक्का लॉन्च करते हुए प्रधानमंत्री बड़े प्यार से ले रहे थे, ‘हमारे मेहुल भाई यहां बैठे हैं.’ अभी तक प्रधानमंत्री के ये ‘हमारे मेहुल भाई’ गिरफ़्तार नहीं हुए हैं.
दो हफ़्ते पुरानी कंपनी को हज़ारों करोड़ रुपये का डिफेंस डील मिल जाए ये सिर्फ और सिर्फ उसी दौर में हो सकता है जब देश हिंदू-मुस्लिम में डूबा हुआ हो, वरना जनता को उल्लू बनाने का कोई चांस ही नहीं था.
जिस समाज में प्रेम के ख़िलाफ़ इतने सारे तर्क हों, उस समाज को अंकित की हत्या पर कोई शोक नहीं है, वह फ़ायदे की तलाश में है.
दो हज़ार करोड़ के फंड के साथ पचास करोड़ लोगों को बीमा देने की करामात भारत में ही हो सकती है. यहां के लोग ठगे जाने में माहिर हैं. दो बजट पहले एक लाख बीमा देने का ऐलान हुआ था, आज तक उसका पता नहीं है.
नौजवानों को हिंदू मुस्लिम टॉपिक की गोली दे दो, वो अपनी जवानी बिना किसी कहानी के काट देगा.
आपके मुल्क में अक्टूबर से लेकर आधी जनवरी तक एक फिल्म को लेकर बहस हुई है. साढ़े तीन महीने बहस चली. नौकरी पर इतनी लंबी बहस हुई? बेहतर है आप भी सैलरी की नौकरी छोड़ हिंदू-मुस्लिम डिबेट की नौकरी कर लीजिए.
विश्व आर्थिक मंच की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो कुछ कहा वो सब वे तीन साल से बोल रहे हैं. आपको बुरा लगेगा लेकिन आप प्रधानमंत्री के भाषण में भारत की व्याख्या देखेंगे तो वह दसवीं कक्षा के निबंध से ज़्यादा का नहीं है.